Wednesday, October 4, 2023
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मंगलेश की कविताएं आने वाली पीढ़ियों को भी लंबे समय तक प्रेरित करती रहेंगी – संतोष सहर

कवि मंगलेश डबराल को जन संस्कृति मंच की श्रद्धांजलि

पटना, 13 दिसंबर।

स्थानीय छज्जूबाग में जन संस्कृति मंच की ओर से, विगत 9 दिसंबर को दिवंगत हुए हिन्दी के वरिष्ठ कवि-पत्रकार मंगलेश डबराल की ‘श्रद्धांजलि सभा’ का आयोजन किया गया।

कोराना काल में यह दुर्लभ अवसर था, जब अच्छी-ख़ासी तादाद में पटना के साहित्यकार-रंगकर्मी व कविता-प्रेमी एक जगह इकट्ठा हुए और उन्होंने कवि मंगलेश डबराल को अपनी श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने वालों में वरिष्ठ शायर संजय कुमार कुंदन, साहित्यकार-समीक्षक श्री यादवेन्द्र, संस्कृतिकर्मी अनीष अंकुर, युवा कवि अंचित, कृष्ण समिद्ध, कौशलेन्द्र, अनिल पासवान, शाहनवाज, प्रशांत विप्लवी, साउंड इंजीनियर विस्मय चिंतन, फिल्मकार कुमुद रंजन, रंगकर्मी सुमन कुमार, मृत्युंजय, राम कुमार, राजन कुमार, प्रका कुमार, प्रीति प्रभा के अलावा ऐपवा की सरोज चौबे, लोकयुद्ध के प्रदीप झा, माले के वरिष्ठ नेता राजाराम सिंह, पवन शर्मा आदि थे।

हिन्दुस्तानी संगीत के गहरे जानकार कवि मंगलेश डबराल पर आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत उनकी आवाज में गाई हुई एक छोटी बंदिश की रिकार्डिंग सुनाने के साथ हुई। इसके बाद जसम पटना के संयोजक युवा कवि राजेश कमल ने शुरुआती वक्तव्य रखा। इसके बाद मंगलेश डबराल के चित्र पर उपस्थित सभी लोगों ने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए और 2 मिनट का मौन रखा गया।

इस अवसर पर बोलते हुए साप्ताहिक ‘समकालीन लोकयुद्ध’ के संपादक व साहित्यकार संतोष सहर ने कहा कि मंगलेश डबराल नक्सलबाड़ी आंदोलन के दौर में हिन्दी कविता में आनेवाली एक पूरी पीढ़ी के प्रतिनिधि कवि हैं। वीरेन डंगवाल, पंकज सिंह, पंकज बिष्ट, आलोकधन्वा, विष्णु खरे, गोरख पांडे के साथ मिलकर उन्होंने हिन्दी कविता का चेहरा पूरी तरह से बदल दिया। लेकिन सबने अलग-अलग लहजा अपनाया। मंगलेश डबराल ने अपनी सूक्ष्म संवेदनषीलता, शिल्प की विशिष्टता और मार्मिक तीखेपन से इन सबमें अपनी एक अलग पहचान कायम की। आनेवाली पीढ़ियां उनकी कविताओं से बरसों तक प्रेरणा पाती रहेंगी।

श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ कवि कुमार मुकुल और रंगकर्मी अनीष अंकुर ने पटना और दिल्ली में मंगलेश डबराल के साथ हुई अपनी मुलाकातों का जिक्र करते हुए उनके निधन को हिन्दी जगत की अपूरणीय क्षति बताई। उन्होंने मंगलेश डबराल के बहुआयामी व्यक्तित्व पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।

श्रद्धांजलि सभा के दौरान युवा कवि अंचित ने ‘पहाड़ से मैदान’, कवि अनिल पासवान ने ‘अनुपस्थिति’ और हिरावल के संतोष झा ने वीरेन डंगवाल की कविता ‘मंगलेश को चिट्ठी’ का पाठ किया। उससे पहले मंगलेश डबराल पर केंद्रित प्रियदर्शन के एक स्मृति आलेख का भी पाठ किया गया।

जन संस्कृति मंच ने चर्चित चित्रकार विभास दास को श्रद्धांजलि दी

जन संस्कृति मंच ने आज ही दिल्ली में दिवंगत हुए देश के चर्चित चित्रकार विभास दास को भी भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। जसम के बिहार राज्य सचिव सुधीर सुमन, जसम पटना के संयोजक राजेश कमल, साहित्यकार संतोष सहर ने कहा कि विभास दास ने भारतीय चित्रकला में कई नए रंग भरे और उसे अपने समय के सवालों से जोड़ा। वे जसम के स्थापना काल से ही उससे जुड़े हुए थे। कवि मंगलेश डबराल और वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना के पुत्र के निधन के तुरंत बाद ही अब उनके निधन का समाचार स्तब्धकारी है

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