समकालीन जनमत

Tag : पूंजीवाद

ख़बर

उपन्यास अगम बहै दरियाव पर राहुल सांकृत्यायन सृजन पीठ में गोष्ठी संपन्न

समकालीन जनमत
18 मार्च, मऊ जन संस्कृति मंच के तत्वाधान में राहुल सांकृत्यायन सृजन पीठ के सभागार में वरिष्ठ कथाकार शिवमूर्ति के प्रकाशित उपन्यास अगम बहै दरियाव...
पुस्तक

पूंजीवाद की दुनिया और उसकी कार्यपद्धति

गोपाल प्रधान
2022 में वर्सो से विवेक छिब्बर की किताब ‘कनफ़्रंटिंग कैपिटलिज्म: हाउ द वर्ल्ड वर्क्स ऐंड हाउ टु चेंज इट’ का प्रकाशन हुआ । लेखक का...
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कोमिंटर्न के इतिहास का खाका

1996 में मैकमिलन प्रेस से केविन मैकडर्मट और जेरेमी एग्न्यू की किताब ‘द कोमिंटर्न: ए हिस्ट्री आफ़ इंटरनेशनल कम्युनिज्म फ़्राम लेनिन टु स्तालिन’ का प्रकाशन...
पुस्तक

पूंजीवाद की वर्तमान स्थिति

गोपाल प्रधान
2023 में वर्सो से कोस्तास लापाविस्तास और एरेन्सेप राइटिंग कलेक्टिव की किताब ‘द स्टेट आफ़ कैपिटलिज्म: इकोनामी, सोसाइटी, ऐंड हेजेमनी’ का प्रकाशन हुआ । इस...
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अधिग्रहण और प्रतिरोध की दास्तान

गोपाल प्रधान
2023 में मंथली रिव्यू प्रेस से इयान आंगुस की किताब ‘द वार अगेंस्ट द कामन्स: डिसपजेशन ऐंड रेजिस्टेन्स इन द मेकिंग आफ़ कैपिटलिज्म’ का प्रकाशन...
पुस्तक

अमेरिका में अहिंसक प्रतिरोध

गोपाल प्रधान
2019 में सिटी लाइट्स बुक्स से माइकेल जी लांग के संपादन में ‘वी द रेजिस्टेन्स: डाकुमेंटिंग ए हिस्ट्री आफ़ नानवायलेन्ट प्रोटेस्ट इन द यूनाइटेड स्टेट्स’...
जनमत

यह किसानों के अस्तित्व का संघर्ष है

सियाराम शर्मा
“मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि लोकतांत्रिक स्वराज्य में किसानों के पास राजनीतिक संस्था के साथ हर किस्म की संस्था होनी चाहिए।……. किसानों को उनकी...
कविता

किसने आखिर ऐसा समाज रच डाला है

सुधीर सुमन
सुधीर सुमन  “नहीं निकली नदी कोई पिछले चार-पाँच सौ साल से/ एकाध ज्वालामुखी ज़रूर फूटते दिखाई दे जाते हैं/ कभी कभार/ बाढ़ें तो आईं ख़ैर...
दुनिया

पूंजीवाद के उदय और विकास की कहानी हदास थिएर की जुबानी

गोपाल प्रधान
सबसे पहले वे इस झूठ का भंडाफोड़ करती हैं कि पूंजीवाद कोई स्वाभाविक या शाश्वत चीज है । जो भी लोग ऐसा मानते हैं उनका...
पुस्तक

मार्क्सवाद की समझ

गोपाल प्रधान
2019 में डेमोक्रेसी ऐट वर्क से रिचर्ड डी वोल्फ़ की किताब ‘अंडरस्टैंडिंग मार्क्सिज्म’ का प्रकाशन हुआ । पतली सी इस किताब में लेखक का कहना...
पुस्तक

मानव श्रम का इतिहास

गोपाल प्रधान
2019 में मंथली रिव्यू प्रेस से पाल काकशाट की किताब ‘हाउ द वर्ल्ड वर्क्स: द स्टोरी आफ़ ह्यूमन लेबर फ़्राम प्रीहिस्ट्री टु द माडर्न डे’...
पुस्तक

विश्व पूंजीवाद और लोकतंत्र का अधिग्रहण

गोपाल प्रधान
(सदी की शुरुआत में प्रकाशित इस किताब को पढ़ते हुए लग रहा था कि वर्तमान भारत की कथा पढ़ रहा हूं।) 2001 में द फ़्री...
पुस्तक

समाजवाद के बारे में कुछ बुनियादी बातें

गोपाल प्रधान
2005 में स्टर्लिंग से माइकेल न्यूमैन की किताब ‘सोशलिज्म: ए ब्रीफ़ इनसाइट’ का प्रकाशन हुआ । चित्रों के साथ उसका नया संस्करण 2010 में वहीं...
शख्सियत

प्रेमचंद और किसान संकट : गोपाल प्रधान

समकालीन जनमत
(31 जुलाई को प्रेमचंद की 140वीं जयंती के अवसर पर समकालीन जनमत जश्न-ए-प्रेमचंद का आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर 30-31 जुलाई को समकालीन...
ज़ेर-ए-बहस

महाजनी सभ्यता और महामारी के सबक

समकालीन जनमत
डॉ. दीना नाथ मौर्य सभ्यता के विकासक्रम में मानव जाति पर समय-समय पर आयी प्राकृतिक आपदाओं के ऐतिहासिक अनुभव से यह सीख ली जा सकती...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति

महाजनी सभ्यता : प्रेमचंद

समकालीन जनमत
महाजनी सभ्यता मुज़द: ए दिल कि मसीहा नफ़से मी आयद; कि जे़ अनफ़ास खुशश बूए कसे मी आयद। ( हृदय तू प्रसन्न हो कि पीयूषपाणि...
ज़ेर-ए-बहसदुनियापुस्तकशख्सियत

एक और मार्क्स: वर्तमान को समझने के लिए मार्क्स द्वारा उपलब्ध कराए गए उपकरणों की जरूरत

गोपाल प्रधान
  2018 में ब्लूम्सबरी एकेडमिक से मार्चेलो मुस्तो की इतालवी किताब का अंग्रेजी अनुवाद ‘एनादर मार्क्स: अर्ली मैनुस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल’ प्रकाशित हुआ । अनुवाद...
जनमत

‘कुछ नॉस्टैल्जिया तो है’ हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’ में

दीपक सिंह
(कथाकार हेमंत कुमार की कहानी ‘ रज्जब अली ’ पत्रिका ‘ पल-प्रतिपल ’ में प्रकाशित हुई है. इस कहानी की विषयवस्तु, शिल्प और भाषा को...
दुनियाशख्सियतस्मृति

मार्क्स ने खुद के दर्शन को निर्मम और सतत आलोचना के रूप में विकसित किया : दीपंकर भट्टाचार्य

मार्क्स के दबे हुए लोग और अंबेडकर के बहिष्कृत लोग एक ही हैं। इसी तरह मार्क्स ने भारत में जिसे जड़ समाज कहा, अंबेडकर ने...
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