समकालीन जनमत

Tag : आज की कविता के स्वर

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माटी पानी : सत्ता और समय की पहचान

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रवि श्रीवास्तव सदानंद शाही के कविता संकलन ‘माटी-पानी’ को पढ़ते हुए मिर्ज़ा ग़ालिब का एक शेर याद आया- ‘ जो उलझी थी कभी आदम के...
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कई आँखोंवाली कविताओं के कवि शशांक मुकुट शेखर

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कृष्ण समिद्ध नये और बनते हुए कवि पर लिखना बीज में बंद पेड़ के फल के स्वाद पर लिखने जैसा है । फिर भी यह...
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‘ आज की कविताएं आत्मचेतस व्यक्ति की प्रतिक्रिया है ’

अनिमेष फाउंडेशन लखनऊ की ओर से फ्लाइंग ऑफिसर अनिमेष श्रीवास्तव की स्मृति में ‘आज की कविता के स्वर’ एवम कविता पाठ का आयोजन किया गया....
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