समकालीन जनमत

Category : शख्सियत

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याद ए मकबूल जायसी का आयोजन : चर्चा और ग़ज़ल संध्या 

समकालीन जनमत
  ‘मकबूल जायसी की शायरी हिंदुस्तानियत और इंसानियत से सराबोर’  ‘अब ये गजलें मिजाज बदलेंगी‘ लखनऊ। जन संस्कृति मंच (जसम) की ओर से ‘याद ए...
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निराला का वैचारिक लेखन: राष्ट्र निर्माण का सवाल और सामाजिक लोकतंत्र

निराला के निबंधों और टिप्पणियों में राजनीति और समाज को लेकर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श मिलता है। इसमें वे राष्ट्रीय मुक्ति के लिए चलने वाली राजनीति और...
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कहानीकार और संपादक विजयकांत को श्रद्धांजलि

समकालीन जनमत
नक्सलबाड़ी की क्रांतिकारी धारा के चर्चित कहानीकार और संपादक विजयकांत का 31 अक्टूबर 2024 को निधन हो गया। पिछले कई सालों से अस्वस्थता के कारण...
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निराला का वैचारिक लेखन: राष्ट्र निर्माण का सवाल और भाषा

दुर्गा सिंह
राष्ट्र निर्माण में भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। निराला भावी राष्ट्र निर्माण को लेकर अपने लेखों और टिप्पणियों में  विचार करते हैं। आजादी की...
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निराला का वैचारिक लेखन: राष्ट्र निर्माण का सवाल और गांधी

दुर्गा सिंह
निराला राष्ट्रीय आंदोलन से गहरे सम्बद्ध थे। वे ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की नीतियों पर टिप्पणी, आलोचना तो करते ही थे, साथ ही राष्ट्रीय आंदोलन के...
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जमींदारी उन्मूलन, भूमि-सुधार और मार्कण्डेय की कहानियाँ

दुर्गा सिंह
 (हिन्दी कहानी के प्रमुख हस्ताक्षर मार्कण्डेय के जन्मदिन पर समकालीन जनमत के पाठकों के लिए प्रस्तुत है दुर्गा सिंह का लेख) मार्कण्डेय की कहानी ‘भूदान’...
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निराला का वैचारिक लेखन: राष्ट्र निर्माण का सवाल और नेहरू

दुर्गा सिंह
निराला कवि और लेखक होने के साथ चिंतक भी हैं। निराला का वैचारिक लेखन भी उसी मात्रा में है, जितना कविता और गद्य लेखन। निराला...
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स्वप्न और उम्मीद के गीत

सियाराम शर्मा
नचिकेता की रचनात्मक दृष्टि का विकास सातवें-आठवें दशक के किसान संघर्षों की पृष्ठभूमि में हुआ। उस समय वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर शासक वर्ग संकटग्रस्त...
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शेखर जोशी स्मृति आयोजन से शहर ने किया अपने प्रिय साहित्यकार को याद

समकालीन जनमत
हिंदी साहित्य के सशक्त रचनाकार और इलाहाबाद शहर के गौरव शेखर जोशी के जन्मदिन के अवसर पर बीते 9-10 सितम्बर को  द्वि- दिवसीय शेखर जोशी...
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हम लड़ेंगे कि लड़ने के बगैर कुछ भी नहीं मिलता

समकालीन जनमत
सुशील सुमन पाश से हमारा पहला परिचय ‘हम लड़ेंगे साथी’ कविता से हुआ। एक कविता-पोस्टर पर पहली बार इस कविता की कुछ काव्य-पंक्तियाँ पढ़ने को...
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104 की अमृता: आशिक और अदीब मरते कहाँ हैं

समकालीन जनमत
पीयूष कुमार 2023 में अमृता एक सौ चार की हुईं। इस फानी दुनिया को तो उनके जिस्म ने 2005 में विदा कहा था पर आशिक...
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अन्याय को खत्म करने के सपनों का कवि

गोपाल प्रधान
गोरख पांडे की कविता किसी जादू के जोर से प्रत्येक समय में प्रासंगिक हो उठती है । उनकी इस ताकत का रहस्य समय के यथार्थ...
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भारतीय नवजागरण और जोतिबा फुले

जनार्दन
जनार्दन   इंग्लैंड के लिए सोलहवी शताब्दी परिवर्तन की शताब्दी है। यूरोप में आधुनिकता की शुरूआत इसी समय से शुरू होती है। माल के उत्पादन...
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स्वामी सहजानंद सरस्वती: एक सतत विप्लवी की जीवन यात्रा

जयप्रकाश नारायण  स्वामी जी की जयंती के अवसर पर दस वर्ष पहले मैंने छोटी सी पुस्तिका लिखी थी ‘स्वामी सहजानंद एक जनविप्लवी’। यह पुस्तक स्वामी...
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आम किसान की पक्षधरता के कहानीकार हैं मार्कण्डेय

दुर्गा सिंह
(हिन्दी के प्रसिद्ध कहानीकार मार्कण्डेय के जन्मदिन, 2 मई पर विशेष) आज जबकि गांव और किसान दोनों पूंजी और बाजारवादी प्रसार के बीच बेतरह पीछे...
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वरवर राव : कवि जीता है अपने गीतों में

कौशल किशोर
वरवर राव एक ऐसी शख्सियत का नाम है जो सत्ता के आगे न झुकता है, न दमन से टूटता है। वह आज फासीवाद के विरुद्ध...
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रामनिहाल गुंजन: शब्द संस्कृति के साधक

कौशल किशोर
जन्मदिवस (9 नवंबर) पर (रामनिहाल गुंजन : जन्म – 9 नवम्बर 1936 , मृत्यु – 19 अप्रैल 2022) वरिष्ठ आलोचक रामनिहाल गुंजन का आज 86...
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हिन्दी भाषी उत्तर भारत में पेरियार की धमक के मायने

जयप्रकाश नारायण 
जयप्रकाश नारायण  जिस समय 19वीं सदी के आखिरी चौथाई के नायक कारपोरेट हिंदुत्व गठजोड़ के हमलों के दायरे में हैं। ऐसे समय में 1879 में...
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प्रकृति की स्वाधीनता से मनुष्य की स्वाधीनता की तलाश

राम नरेश राम
राम नरेश राम  त्रिलोचन की कविताओं पर लिखना है , समझ में नहीं आ रहा है कहाँ से और कैसे शुरू करूँ. उचित तो शायद...
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दिलखरोंच आवाज वाला लफ्जों का जुलाहा

समकालीन जनमत
पीयूष कुमार आज गुलज़ार साहब की  88वीं सालगिरह है। गुलज़ार वे शायर, गीतकार, साहित्यकार हैं जिन्होंने अपने कहन के तरीके से अदब की रवायतों, रूढ़ियों...
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