समकालीन जनमत

Month : July 2019

जनमत

हतभागे किसान: प्रेमचन्द

समकालीन जनमत
(प्रेमचन्द ने यह लेख 19 दिसम्बर 1932 में लिखा था। उनके इस लेख के साथ समकालीन जनमत प्रेमचंद पर अपनी यह शृंखला समाप्त करता है। इस...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

प्रेमचंद का स्त्रीधर्म

समकालीन जनमत
आशीष मिश्र भारतीय नवजागरण और राष्ट्रीय आन्दोलन को स्त्री-अस्मिता की जमीन से देखते हुए पार्थ चटर्जी प्रभृत चिंतकों ने राष्ट्रीय आन्दोलन और स्त्रीवादी संघर्ष में...
जनमतशख्सियतस्मृति

नायक विहीन समय में प्रेमचंद

समकालीन जनमत
प्रो. सदानन्द शाही कुछ तारीखें कागज के कैलेण्डरों पर दर्ज होती हैं और याद रखी जाती हैं या पर कुछ तारीखें ऐसी भी होती हैं...
जनमतशख्सियतस्मृति

प्रेमचंद की दलित स्त्रियाँ: वैभव सिंह

समकालीन जनमत
वैभव सिंह प्रेमचंद जितना पुरुष-जीवन का अंकन करने वाले कथाकार हैं, उतना ही स्त्रियों के जीवन के भी विविध पक्षों को कथा में व्यक्त करते...
जनमतशख्सियतस्मृति

प्रेमचंद के स्त्री पात्र: प्रो.गोपाल प्रधान

गोपाल प्रधान
प्रेमचंद का साहित्य प्रासंगिक होने के साथ साथ ज़ेरे बहस भी रहा है । दलित साहित्य के लेखकों ने उनके साहित्य को सहानुभूति का साहित्य...
ख़बर

श्रम कानूनों का ख़ात्मा मंज़ूर नहीं: बिल्डिंग वर्कर्स यूनियन

समकालीन जनमत
अभिषेक कुमार दिल्ली, 30 जुलाई 2019 : ऐक्टू से सम्बद्ध बिल्डिंग वर्कर्स यूनियन ने आज पूर्वी दिल्ली स्थित झिलमिल श्रम कार्यालय पर मोदी सरकार द्वारा...
जनमतशख्सियतस्मृति

किसान आत्म-हत्याओं के दौर में प्रेमचंद – प्रो. सदानन्द शाही

समकालीन जनमत
 प्रो.सदानन्द शाही किसानों की आत्म हत्यायें हमारे समाज की भयावह सचाई है। भारत जैसे देश में किसान आत्महत्यायें कर रहे हैं यह शर्मशार कर देने...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

‘प्रेमचंद : घर में’ से एक प्रसंग-शिवरानी देवी प्रेमचंद

समकालीन जनमत
(‘प्रेमचंद : घर में’ प्रेमचंद के निधन के बाद उनकी पत्नी शिवरानी देवी द्वारा संस्मरणों की एक शृंखला के रूप में लिखी गई पुस्तक है।...
ज़ेर-ए-बहस

मानने वाले समाज में जानने वालों का हस्तक्षेप और सरकार का डर

हम अपने देश भारत की महानता की गाथा सुनकर बड़े हुए हैं. हमें बताया गया कि भारत आदि-अनादि काल से ही एक महान देश रहा...
जनमत

‘ बुद्धिजीवी और कलाकार की खाल ओढ़े हत्या-सत्ता-समर्थकों की हम भर्त्सना करते हैं ’

चार लेखक संगठनों का साझा बयान लेखक-कलाकार हमेशा से सत्ता के विरोध में रहे हैं, लेकिन मोदीराज में सत्ता के विरोध का विरोध एक स्थायी...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

कफ़न: एक बहुस्तरीय कहानी

समकालीन जनमत
प्रो. सदानंद शाही कफ़न प्रेमचन्द की ही नहीं हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ कहानियों में एक है। कफ़न एक बहुस्तरीय कहानी है, जिसमें घीसू और माधव की बेबसी, अमानवीयता और निकम्मेपन...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

प्रेमचंद की याद: संजय जोशी

संजय जोशी
हिंदी भाषा के सबसे बड़े रचनाकार के रूप में आज भी प्रेमचंद की ही मान्यता है. हिंदी गद्य को आधुनिक रूप देकर उसे आम जन...
साहित्य-संस्कृति

देखें प्रेमचंद की कहानियों पर बनी दो प्रस्तुतियाँ

समकालीन जनमत
‘बूढ़ी काकी’ https://www.youtube.com/watch?v=H4D_eIQZGoE ‘पूस की रात’ https://www.youtube.com/watch?v=qv6loTEoMvg...
जनमतशख्सियतस्मृति

सदगति : ‘ग़म क्या सिर के कटने का’*

समकालीन जनमत
प्रो. सदानन्द शाही सदगति दलित पात्र दुखी की कहानी है। दुखी ने बेटी की शादी तय की है। साइत विचरवाने के लिए पं0. घासीराम को बुलाने...
ख़बरग्राउन्ड रिपोर्ट

‘ जलियांवाला बाग कांड की तरह सोनभद्र में आदिवासियों की हत्या की गई ’

समकालीन जनमत
सोनभद्र. उम्भा सोनभद्र नरसंहार के 10 दिन बाद बनारस से गए नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम से 45 साल के रामपति सिंह गोंड कहा...
जनमतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति

बच्चों की निगाह में प्रेमचंद

समकालीन जनमत
[2016 में 31 जुलाई को जसम के कार्यक्रम  ‘मशाल-ए-प्रेमचंद’ में बच्चों द्वारा बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी से  कुछ तस्वीरें ]...
जनमतशख्सियतस्मृति

मेरी माँ ने मुझे प्रेमचन्द का भक्त बनाया : गजानन माधव मुक्तिबोध

समकालीन जनमत
एक छाया-चित्र है । प्रेमचन्द और प्रसाद दोनों खड़े हैं । प्रसाद गम्भीर सस्मित । प्रेमचन्द के होंठों पर अस्फुट हास्य । विभिन्न विचित्र प्रकृति...
जनमतशख्सियतस्मृति

प्रेमचंद ने ‘अछूत की शिकायत’ को कथा-कहानी में ढाला

डॉ रामायन राम
  1914 में हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका सरस्वती में हीरा डोम की कविता अछूत की शिकायत प्रकाशित हुई थी,जिसमे कवि ने अछूतों के साथ होने...
जनमतशख्सियतस्मृति

नई पीढ़ी को भी उम्दा साहित्य के संस्कार देने वाले प्रेमचंद

अभिषेक मिश्र
कहा जाता है ‘साहित्य समाज का दर्पण है’। साहित्यकारों से भी यही अपेक्षा रखी जाती है। पर धीरे-धीरे आजादी मिलने से पूर्व और इसके बाद...
जनमतज़ेर-ए-बहस

मिया काव्यः चक्रव्यूह में फंसे समुदाय की आवाज़

राम पुनियानी
  गत 10 जुलाई 2019 को दस असमिया कवियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इनमें से अधिकांश मुसलमान हैं और उस साहित्यिक धारा के...
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