जनमतशख्सियतस्मृति कटरी की रुक्मिनी: कविता का अलग रास्ताडॉ रामायन रामAugust 5, 2019August 5, 2019 by डॉ रामायन रामAugust 5, 2019August 5, 201902891 वीरेन डंगवाल 70 के दशक की चेतना के कवि हैं। कविता के क्षेत्र मे उनका प्रवेश 70 के दशक में हुआ । यह वह समय...
जनमतशख्सियतस्मृति नायक विहीन समय में प्रेमचंदसमकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 2019 by समकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 201904366 प्रो. सदानन्द शाही कुछ तारीखें कागज के कैलेण्डरों पर दर्ज होती हैं और याद रखी जाती हैं या पर कुछ तारीखें ऐसी भी होती हैं...
जनमतशख्सियतस्मृति प्रेमचंद की दलित स्त्रियाँ: वैभव सिंहसमकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 2019 by समकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 201904684 वैभव सिंह प्रेमचंद जितना पुरुष-जीवन का अंकन करने वाले कथाकार हैं, उतना ही स्त्रियों के जीवन के भी विविध पक्षों को कथा में व्यक्त करते...
जनमतशख्सियतस्मृति प्रेमचंद के स्त्री पात्र: प्रो.गोपाल प्रधानगोपाल प्रधानJuly 31, 2019July 31, 2019 by गोपाल प्रधानJuly 31, 2019July 31, 201904338 प्रेमचंद का साहित्य प्रासंगिक होने के साथ साथ ज़ेरे बहस भी रहा है । दलित साहित्य के लेखकों ने उनके साहित्य को सहानुभूति का साहित्य...
जनमतशख्सियतस्मृति किसान आत्म-हत्याओं के दौर में प्रेमचंद – प्रो. सदानन्द शाहीसमकालीन जनमतJuly 30, 2019July 30, 2019 by समकालीन जनमतJuly 30, 2019July 30, 201902088 प्रो.सदानन्द शाही किसानों की आत्म हत्यायें हमारे समाज की भयावह सचाई है। भारत जैसे देश में किसान आत्महत्यायें कर रहे हैं यह शर्मशार कर देने...
जनमतशख्सियतस्मृति सदगति : ‘ग़म क्या सिर के कटने का’*समकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 2019 by समकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 201905892 प्रो. सदानन्द शाही सदगति दलित पात्र दुखी की कहानी है। दुखी ने बेटी की शादी तय की है। साइत विचरवाने के लिए पं0. घासीराम को बुलाने...
जनमतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति बच्चों की निगाह में प्रेमचंदसमकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 2019 by समकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 201901377 [2016 में 31 जुलाई को जसम के कार्यक्रम ‘मशाल-ए-प्रेमचंद’ में बच्चों द्वारा बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी से कुछ तस्वीरें ]...
जनमतशख्सियतस्मृति मेरी माँ ने मुझे प्रेमचन्द का भक्त बनाया : गजानन माधव मुक्तिबोधसमकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 2019 by समकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 201903559 एक छाया-चित्र है । प्रेमचन्द और प्रसाद दोनों खड़े हैं । प्रसाद गम्भीर सस्मित । प्रेमचन्द के होंठों पर अस्फुट हास्य । विभिन्न विचित्र प्रकृति...
जनमतशख्सियतस्मृति प्रेमचंद ने ‘अछूत की शिकायत’ को कथा-कहानी में ढालाडॉ रामायन रामJuly 28, 2019July 29, 2019 by डॉ रामायन रामJuly 28, 2019July 29, 20193 3815 1914 में हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका सरस्वती में हीरा डोम की कविता अछूत की शिकायत प्रकाशित हुई थी,जिसमे कवि ने अछूतों के साथ होने...
जनमतशख्सियतस्मृति नई पीढ़ी को भी उम्दा साहित्य के संस्कार देने वाले प्रेमचंदअभिषेक मिश्रJuly 28, 2019July 28, 2019 by अभिषेक मिश्रJuly 28, 2019July 28, 201902483 कहा जाता है ‘साहित्य समाज का दर्पण है’। साहित्यकारों से भी यही अपेक्षा रखी जाती है। पर धीरे-धीरे आजादी मिलने से पूर्व और इसके बाद...
जनमतशख्सियतस्मृति रेलवे स्टेशन पर प्रेमचन्दसमकालीन जनमतJuly 28, 2019July 28, 2019 by समकालीन जनमतJuly 28, 2019July 28, 201902237 डॉ. रेखा सेठी अभी हाल ही में नयी दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर मुझे प्रेमचन्द की लोकप्रियता का नया अनुभव हुआ। स्टेशन के लगभग हर...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति महाजनी सभ्यता : प्रेमचंदसमकालीन जनमतJuly 27, 2019July 27, 2019 by समकालीन जनमतJuly 27, 2019July 27, 2019012634 महाजनी सभ्यता मुज़द: ए दिल कि मसीहा नफ़से मी आयद; कि जे़ अनफ़ास खुशश बूए कसे मी आयद। ( हृदय तू प्रसन्न हो कि पीयूषपाणि...
साहित्य-संस्कृतिस्मृति ‘जीवन और साहित्य में घृणा का स्थान’ से कुछ अंश: प्रेमचंदसमकालीन जनमतJuly 27, 2019July 30, 2019 by समकालीन जनमतJuly 27, 2019July 30, 201903534 निंदा, क्रोध और घृणा ये सभी दुर्गुण हैं, लेकिन मानव जीवन में से अगर इन दुर्गुणों को निकल दीजिए, तो संसार नरक हो जायेगा। यह...
जनमतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति साहित्य का उद्देश्य: प्रेमचंदसमकालीन जनमतJuly 26, 2019July 26, 2019 by समकालीन जनमतJuly 26, 2019July 26, 201909805 [1936 में प्रगतिशील लेखक संघ के प्रथम अधिवेशन लखनऊ में प्रेमचंद द्वारा दिया गया अध्यक्षीय भाषण] यह सम्मेलन हमारे साहित्य के इतिहास में स्मरणीय घटना है।...
जनमतस्मृति प्रेमचंद के फटे जूते: हरिशंकर परसाईसमकालीन जनमतJuly 25, 2019July 26, 2019 by समकालीन जनमतJuly 25, 2019July 26, 201905289 प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने...
जनमतज़ेर-ए-बहसस्मृति प्रेमचंद साहित्य में दलित विमर्श: प्रो. चमनलालसमकालीन जनमतJuly 25, 2019July 27, 2019 by समकालीन जनमतJuly 25, 2019July 27, 201909441 प्रो. चमनलाल प्रेमचंद के दलित विमर्श को लेकर हिन्दी लेखकों में काफी विवाद है। प्रेमचंद के जीवनकाल के दौरान भी उनके साहित्य को लेकर विवाद...
जनमतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति प्रेमचंद जी: महादेवी वर्मासमकालीन जनमतJuly 25, 2019July 26, 2019 by समकालीन जनमतJuly 25, 2019July 26, 201905395 प्रेमचंदजी से मेरा प्रथम परिचय पत्र के द्वारा हुआ. तब मैं आठवीं कक्षा की विद्यार्थिनी थी. मेरी “दीपक” शीर्षक एक कविता शायद “चाँद” में प्रकाशित...
जनमतशख्सियतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति ‘सांप्रदायिकता और संस्कृति’ : प्रेमचंद (प्रेमचंद पर शृंखला की शुरुआत)समकालीन जनमतJuly 25, 2019July 25, 2019 by समकालीन जनमतJuly 25, 2019July 25, 201903152 31 जुलाई को कथाकार प्रेमचंद का जन्मदिन है। समकालीन जनमत अपने पाठकों के लिए आज से 31 जुलाई तक प्रेमचंद पर एक विशेष शृंखला की शुरुआत...
जनमतस्मृति खैनी खिलाओ न यार! उर्फ़ मौत से चुहल (सखा, सहचर, सहकर्मी, कॉमरेड महेश्वर की एक याद)रामजी रायJune 25, 2019June 25, 2020 by रामजी रायJune 25, 2019June 25, 20205 3752 अपने प्रियतर लोगों- कृष्णप्रताप (के.पी.), गोरख, कामरेड विनोद मिश्र, महेश्वर पर चाहते हुए भी आज तक कुछ नहीं लिख सका। पता नहीं क्यों? इसकी वज़ह...
कवितास्मृति क्रांति के कवि, कहानीकार एवं एक्टिविस्ट नवारुणसमकालीन जनमतJune 23, 2019June 26, 2019 by समकालीन जनमतJune 23, 2019June 26, 201913646 मीता दास नवारुण दा क्रांति के कवि, कहानीकार एवं एक्टिविस्ट थे, विशेषकर नवारुण दा उस घराने के कवि हैं जो लोग मनुष्य के बीच या उनके...