समकालीन जनमत

Tag : जीवन और साहित्य में घृणा का स्थान

साहित्य-संस्कृतिस्मृति

‘जीवन और साहित्य में घृणा का स्थान’ से कुछ अंश: प्रेमचंद

समकालीन जनमत
निंदा, क्रोध और घृणा ये सभी दुर्गुण हैं, लेकिन मानव जीवन में से अगर इन दुर्गुणों को निकल दीजिए, तो संसार नरक हो जायेगा। यह...
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