समकालीन जनमत

Category : कविता

कविताजनमत

नित्यानंद गायेन की कविताओं में प्रेम अपनी सच्ची ज़िद के साथ अभिव्यक्त होता है

उमा राग
कुमार मुकुल   नित्यानंद जब मिलते हैं तो लगातार बोलते हैं, तब मुझे अपने पुराने दिन याद आते हैं। कवियों की बातें , ‘कांट का...
कविता

बादल की कविता जीवन की कविता है : रविभूषण

सुधीर सुमन
बादल की कविताएं वर्गीय दृष्टि की कविताएं हैं : रामजी राय ‘शंभु बादल का कविकर्म’ पर हजारीबाग में आयोजन हजारीबाग के डीवीसी, प्रशिक्षण सभागार में...
कविता

शंभु बादल का कवि कर्म

कौशल किशोर
हरेक कवि की अपनी जमीन होती है जिस पर वह सृजन करता है और उसी से उसकी पहचान बनती है। निराला, पंत, प्रसाद, महादेवी समकालीन...
कविताजनमत

अपने समय की आहट को कविता में व्यक्त करता कवि विवेक निराला

उमा राग
युवा कवि विवेक निराला की इन कविताओं को पढ़ कर लगता है मानो कविता उनके लिए एक संस्कार की तरह है-एकदम नैसर्गिक और स्वस्फूर्त! इन...
कविताजनमत

रेतीले टिब्बों पर खड़े होकर काले बादलों की उम्मीद ओढ़ता कवि : अमित ओहलाण

उमा राग
कविता जब खुद आगे बढ़कर कवि का परिचय देने में सक्षम हो तो फिर उस कवि के लिए किसी परिचय की प्रस्तावना गढ़ने की ज़रुरत...
कवितासाहित्य-संस्कृति

वीरेनियत-3: अंत:करण के आयतन को विस्तारित करती कविताओं की शाम

समकालीन जनमत
वीरेन डंगवाल स्मृति में आयोजित जसम का सालाना कार्यक्रम  बीते 28 सितंबर को आयोजित यह वीरेनियत नाम से तीसरा जलसा था। जन संस्कृति मंच की...
कविताजनमत

युवा कविता की एक सजग, सक्रिय और संवेदनशील बानगी है निशांत की कविताएँ

उमा राग
जब भी कोई नई पीढ़ी कविता में आती है तो उसके समक्ष सबसे बड़ा प्रश्न होता है कि वह अपने से ठीक पहले की पीढ़ी...
कविताजनमतस्मृति

चार आयामों का एक कवि विष्णु खरे

उमा राग
मंगलेश डबराल   यह बात आम तौर पर मुहावरे में कही जाती है कि अमुक व्यक्ति के न रहने से जो अभाव पैदा हुआ है...
कविताजनमतस्मृति

जीवन को एक कार्निवल के रूप में देखने वाला कवि कुँवर नारायण

समकालीन जनमत
  कमोबेश दो शताब्दियों की सीमा-रेखा को छूने वाली कुँवर नारायण की रचना-यात्रा छह दशकों से भी अधिक समय तक व्याप्त रही है। उनका पूरा...
कवितासाहित्य-संस्कृति

मैंने स्थापित किया अपना अलौकिक स्मारक (अलेक्सान्द्र सेर्गेयेविच पुश्किन की कविताएँ)

उमा राग
 मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह; टिप्पणी : पंकज बोस पुश्किन के बारे में सोचते ही एक ऐसा तिकोना चेहरा जेहन में कौंधता है...
कविता

‘पूछूंगी अम्मी से/या फिर अल्ला से/कैसे होता है बचके रहना….!’

आसिफा पर केन्द्रित दो कविता संग्रह का लोकार्पण लखनऊ. निर्भया हो या आसिफा, कठुआ हो या उन्नाव, मुजफ्फरपुर हो या देवरिया – ये स्त्रियों पर...
कविता

‘ वह आग मार्क्स के सीने में जो हुई रौशन, वह आग सीन-ए-इन्साँ में आफ़ताब है आज ’

उमा राग
जटिल दार्शनिक-आर्थिक तर्क-वितर्क के संसार में रहने के बावजूद मार्क्स ने कई कविताएँ लिखीं और उन पर भी बहुत सी कविताएँ लिखी गयीं, जिनमें से...
कविता

सुभाष राय की कविताओं की सबसे बड़ी विशेषता है वाग्मिता- राजेश जोशी

डॉ संदीप कुमार सिंह लखनऊ. कविता पर एक संजीदा बहस. सुभाष राय के कविता संग्रह ‘ सलीब पर सच ’ के बहाने. आज के समय में हिंदी कविता के दो शिखर व्यक्तित्व नरेश सक्सेना और राजेश...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति

समय के जटिल मुहावरे को बाँचती घनश्याम कुमार देवांश की कविताएँ

उमा राग
आज के युवा बेहद जटिल समय में साँस ले रहा है. पूर्ववर्ती पीढ़ी में मौजूद कई नायाब और सौंधे सुख उसकी पीढ़ी तक पहुँचने से...
कविता

‘ आज की कविताएं आत्मचेतस व्यक्ति की प्रतिक्रिया है ’

अनिमेष फाउंडेशन लखनऊ की ओर से फ्लाइंग ऑफिसर अनिमेष श्रीवास्तव की स्मृति में ‘आज की कविता के स्वर’ एवम कविता पाठ का आयोजन किया गया....
कवितापुस्तकशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

‘कुछ भी नहीं किया गया’: वीरेन डंगवाल की एक कविता का पाठ

समकालीन जनमत
नवारुण प्रकाशन ने अभी हाल में ‘कविता वीरेन’ (वीरेन डंगवाल की सम्पूर्ण कविताएँ) को प्रकाशित कर जारी किया है । वीरेन को याद करते हुए...
कविताजनमत

विश्व कविता : तादयूश रुज़ेविच की कविताएँ

उमा राग
  〈 तादयूश रुज़ेविच (9 अक्टूबर 1921-24 अप्रैल 2014) पोलैंड के कवि, नाटककार और अनुवादक थे। उनकी कविताओं के बहुत सी भाषाओं में अनुवाद हुए...
कविताजनमत

अनुज लगुन की नई कविताएँ : रोटी के रंग पर ईमान लिख कर चलेंगे

उमा राग
अनुज लुगुन ने जब हिंदी की युवा कविता में प्रवेश किया तो वह एक शोर-होड़, करियरिस्ट भावना की आपाधापी, सस्ती यशलिप्सा से बौराई और पुरस्कारों...
कविता

कौशल किशोर का कविता संग्रह ‘ नयी शुरुआत ‘ : ‘ स्वप्न अभी अधूरा है ‘ को पूरा करने के संकल्प के साथ

    शैलेन्द्र शांत  “नयी शुरुआत’ साठ पार कवि कौशल किशोर की कविता की दूसरी किताब है  । सांस्कृतिक , सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में...
कविताजनमतशख्सियतस्मृति

वत्सल उम्मीद की ठुमक के साथ मैं तो सतत रहूँगा तुम्हारे भीतर नमी बनकर: वीरेन डंगवाल

उमा राग
करीब 16 बरस पहले वीरेन डंगवाल के संग्रह ‘दुश्चक्र में स्रष्टा’ पर लिखते हुए मैंने उल्लास, प्रेम और सौंदर्य को उनकी कविता के केंद्रीय तत्वों...
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