कविता प्रकृति प्रेमी और अन्याय के विरुद्ध संकल्पबद्ध कवि चंद्रकुँवर बर्त्वालसमकालीन जनमतJuly 10, 2022July 10, 2022 by समकालीन जनमतJuly 10, 2022July 10, 20220384 कल्पना पंत ‘प्राची से झरने वाली आशा का तो अंत नहीं’ एक पूरा दिन चंद्रकुँवर बर्त्वाल से संबंधित क्षेत्रों के भ्रमण में बीता. वह स्थान...
कविता ज्योति की कविताएँ चुप्पी का सौंदर्य बयां करती हैंअनुपम सिंहDecember 19, 2021December 19, 2021 by अनुपम सिंहDecember 19, 2021December 19, 20210204 ज्योति तिवारी को मैं पिछले लगभग पाँच वर्षों से जानती हूँ। ज्योति भी मुझे जानती हों ज़रूरी नहीं। वैसे तो वह ज़्यादातर निष्क्रिय ही दिखाई...
ज़ेर-ए-बहस हिंदी कविता में हिंदुत्व का प्रिस्क्रिप्शनराजन विरूपJune 25, 2020June 25, 2020 by राजन विरूपJune 25, 2020June 25, 20203 3071 “दुर्भाग्यवश, हिंदी-साहित्य के अध्ययन और लोक-चक्षु-गोचर करने का भार जिन विद्वानों ने अपने ऊपर लिया है, वे भी हिंदी साहित्य का संबंध हिंदू जाति के...
कविता ‘ फ्री कालिंग है पर बातचीत के हालात नहीं हैं ‘समकालीन जनमतMay 9, 2020May 10, 2020 by समकालीन जनमतMay 9, 2020May 10, 202002593 आठ मई की शाम समकालीन जनमत द्वारा आयोजित फ़ेसबुक लाइव में जब कवि पंकज चतुर्वेदी अपने कविता पाठ के लिए प्रस्तुत हुए तो काफ़ी देर...
कविता माटी पानी : सत्ता और समय की पहचानसमकालीन जनमतJanuary 10, 2019June 3, 2019 by समकालीन जनमतJanuary 10, 2019June 3, 201903169 रवि श्रीवास्तव सदानंद शाही के कविता संकलन ‘माटी-पानी’ को पढ़ते हुए मिर्ज़ा ग़ालिब का एक शेर याद आया- ‘ जो उलझी थी कभी आदम के...
कविता विमल किशोर की कविताएंसमकालीन जनमतJanuary 5, 2019January 6, 2019 by समकालीन जनमतJanuary 5, 2019January 6, 201903070 1980 के दशक में लखनऊ में गठित ‘महिला संघर्ष मोर्चा’ से विमल किशोर ने सामाजिक जीवन का आरम्भ किया। वे इस संगठन की सह संयोजक...
कविता कई आँखोंवाली कविताओं के कवि शशांक मुकुट शेखरसमकालीन जनमतDecember 30, 2018January 5, 2019 by समकालीन जनमतDecember 30, 2018January 5, 201903590 कृष्ण समिद्ध नये और बनते हुए कवि पर लिखना बीज में बंद पेड़ के फल के स्वाद पर लिखने जैसा है । फिर भी यह...
साहित्य-संस्कृति मुक्तिबोध आस्था देते हैं मुक्ति नहींसमकालीन जनमतNovember 13, 2018December 2, 2018 by समकालीन जनमतNovember 13, 2018December 2, 201802839 प्रियदर्शन मुक्तिबोध और ख़ासकर उनकी कविता ‘अंधेरे में’ पर लिखने की मुश्किलें कई हैं। कुछ का वास्ता मुक्तिबोध के अपने बेहद जटिल काव्य विन्यास से...