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December 8, 2023
समकालीन जनमत

Tag : रामजी राय

संस्मरण

समर न जीते कोय-20

मीना राय
(समकालीन जनमत की प्रबन्ध संपादक और जन संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ उपाध्यक्ष मीना राय का जीवन लम्बे समय तक विविध साहित्यिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक...
ख़बर

रामजी राय की किताब ‘मुक्तिबोध: स्वदेश की खोज’ का रायपुर में हुआ विमोचन

समकालीन जनमत
रायपुर. ऐसा बहुत कम होता है जब साहित्य के किसी आयोजन में लोगों की अच्छी-खासी मौजूदगी देखने को मिलती है. सामान्य तौर पर साहित्यिक आयोजन...
ज़ेर-ए-बहस

किसानों का साथ देने सड़कों पर उतरे लेखक और बुद्धिजीवी

सुशील मानव
आज किसान आंदोलन को दो महीने (60 दिन) पूरे हो गये। इत्तेफाक से आज स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ़ सशस्त्र जंग छेड़ने वाले...
शख्सियत

कामरेड ज़िया भाई ज़िंदाबाद !

रामजी राय
( 28 सितम्बर 1920 को इलाहाबाद के जमींदार मुस्लिम परिवार में पैदा हुए ज़िया –उल-हक़ ने अपने जीवन के सौ साल पूरे कर लिए हैं....
शख्सियत

स्मृति-संदर्भ नहीं, जीवित प्रसंग हैं प्रेमचंद : रामजी राय

समकालीन जनमत
रामजी राय (31 जुलाई को प्रेमचंद की 140वीं जयंती के अवसर पर समकालीन जनमत 30-31 जुलाई ‘जश्न-ए-प्रेमचंद’ का आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर...
जनमतशख्सियतस्मृति

“यह थी भूमिका हम-तुम मिले थे जब” मुक्तिबोध स्मरण (जन्मदिन 13 नवम्बर)

रामजी राय
मुक्तिबोध और उनकी कविता के बारे में लोग कहते हैं कि वो विकल-बेचैन, छटपटाते कवि हैं. लेकिन देखिये तो दरअसल, मुक्तिबोध कविता की विकलता के...
जनमतस्मृति

खैनी खिलाओ न यार! उर्फ़ मौत से चुहल (सखा, सहचर, सहकर्मी, कॉमरेड महेश्वर की एक याद)

रामजी राय
अपने प्रियतर लोगों- कृष्णप्रताप (के.पी.), गोरख, कामरेड विनोद मिश्र, महेश्वर पर चाहते हुए भी आज तक कुछ नहीं लिख सका। पता नहीं क्यों? इसकी वज़ह...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

गोरख स्मृति दिवस पर व्याख्यान और काव्य पाठ का आयोजन

विष्णु प्रभाकर
इलाहाबाद. 29 जनवरी को परिवेश और जन संस्कृति मंच की तरफ से गोरख स्मृति व्याख्यान और काव्यपाठ का आयोजन किया गया. प्रो. अवधेश प्रधान ने...
साहित्य-संस्कृति

अंतःकरण और मुक्तिबोध के बहाने

रामजी राय
(मुक्तिबोध के जन्मदिन पर समकालीन जनमत के प्रधान संपादक रामजी राय का आलेख) 2017 में मुक्तिबोध की जन्मशताब्दी गुज़री है और 2018 मार्क्स के जन्म...
जनमत

विकास, विस्थापन और साहित्य (संदर्भ झारखंड)

रामजी राय
आज इस बात में किसी को कोई संदेह नहीं रह गया है कि ग्लोबल पूंजीवाद के लाभ-लोभ के चलते दुनिया में गरीबी और पर्यावरण का...
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