समकालीन जनमत

Author : समकालीन जनमत

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शिक्षा

बच्चों की रचनात्मकता को ऑनलाइन विकसित करता “जश्न ए बचपन”

समकालीन जनमत
उत्तराखण्ड के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के फोरम “रचनात्मक शिक्षक मण्डल” ने लॉक डाउन के दिनों में बच्चों की रचनात्मकता को बनाये रखने के...
व्यंग्य

आख़िर क्यों? दी नेशन वॉन्ट्स टू नो!

समकालीन जनमत
( एक तरफ़ महामारी और दूसरी तरफ़ सरकारी तंत्र की नाकामी के कारण मानव जीवन की हाड़ कंपा देने वाली ऐसी भयानक बेक़दरी को उसके...
ज़ेर-ए-बहस

“ सभी मॉडल व्यर्थ साबित हुए हैं, अलबत्ता उनमें कुछ उपयोगी हैं ”

समकालीन जनमत
‘केरल मॉडल’ अगर कामयाब हुआ तो ज़रूरी नहीं कि सारे मॉडल पास होंगे। आख़िर जॉर्ज बॉक्स ने कहा भी तो है “सभी मॉडल व्यर्थ साबित...
शख्सियत

सभ्यता का संकट-रवींद्रनाथ टैगोर

समकालीन जनमत
(रवीन्द्रनाथ टैगोर के आखिरी व्याख्यान ‘क्राइसिस ऑफ सिविलाइजेशन’ का यह अनुवाद हम समकालीन जनमत के पाठकों के लिए दे रहे हैं । अनुवाद किया है ...
कविता

पंकज की कविताएँ जाति-संरचना के कठोर सच की तीखी बानगी हैं

समकालीन जनमत
सुशील मानव पंकज चौधरी की कविताएँ दरअसल विशुद्ध जाति विमर्श (कास्ट डिस्कोर्स) की कविताएँ हैं। जो अपने समय की राजनीति, संस्कृति ,समाज, अर्थशास्त्र न्याय व्यवस्था...
कहानीसाहित्य-संस्कृति

लाल्टू की चार कहानियों का पाठ

समकालीन जनमत
(समकालीन जनमत  द्वारा चलाई जा रही फ़ेसबुक लाइव श्रंखला के तहत 12 मई 2020 की शाम हिंदी रचनाकार लाल्टू ने अपनी चार कहानियों  ‘काश कि...
ख़बर

ऐक्टू ने औरंगाबाद और विशाखापट्टनम में हुए हादसों के ख़िलाफ़ किया देशव्यापी प्रदर्शन

समकालीन जनमत
आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) ने औरंगाबाद और विशाखापट्टनम में मजदूरों की मौत के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किया....
दुनिया

जाति और छुआछूत की बीमारी 

समकालीन जनमत
(यह लेख भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार ‘मुकुल केसवन’ का है जो मूल रूप से अंग्रेजी अख़बार  ‘द टेलीग्राफ’ में 26 अप्रैल, 2020 को छपा था....
कविता

उर्दू-हिंदी की साझा संस्कृति के शायर संजय कुमार कुंदन

समकालीन जनमत
ख़ुर्शीद अक़बर संजय कुमार कुन्दन उर्दू-हिन्दी के ऐसे एकमात्र कवि-शायर हैं , जो साझा- संस्कृति के सशक्त प्रतिनिधि ( नुमाइनदा) की हैसियत रखते हैं और...
कविता

‘ फ्री कालिंग है पर बातचीत के हालात नहीं हैं ‘

समकालीन जनमत
आठ मई की शाम समकालीन जनमत द्वारा आयोजित फ़ेसबुक लाइव में जब कवि पंकज चतुर्वेदी अपने कविता पाठ के लिए प्रस्तुत हुए तो काफ़ी देर...
जनमत

लॉकडाउन और बच्चों की मौत

देश में हर साल कुपोषण और भुखमरी से लाखों बच्चें मर जाते हैं, जबकि यहां अनाज से गोडाउन भरे पड़े हैं. ऐसे में भूख से...
पुस्तक

क्या हमें भी कोई शाहूजी महाराज जैसा शासक मिलेगा

समकालीन जनमत’ फेसबुक लाइव के जरिए आज सुधीर सुमन ने चर्चित कथाकार संजीव के उपन्यास ‘प्रत्यंचा’ के कुछ महत्वपूर्ण अंशों का पाठ किया। विशाखापट्टनम के...
जनमत

लॉकडाउन और किसानों की स्थिति

शशिकान्त त्रिपाठी रबी की फसल का अंतिम महीना और ऊपर से लॉकडाउन ज़रा सोचिए कि किसानों की क्या स्थिति होगी, सबसे पहले हम सम्पूर्णता में...
सिनेमास्मृति

रवीन्द्रनाथ और हिंदुस्तानी सिनेमा

गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के जन्मदिवस पर प्रदीप दाश रवीन्द्रनाथ टैगोर ने साहित्य की सभी विधाओं में लिखा लेकिन सबसे पहले वह एक कवि ही थे....
शख्सियत

वह आग मार्क्स के सीने में जो हुई रौशन

आज 5 मई को कार्ल मार्क्स के जन्मदिन पर दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी की प्राध्यापिका उमा राग की आवाज़ में प्रस्तुत हैं दो कविताएँ ।...
कवितापुस्तक

जीवन, मानवीय संबंध और संघर्षों की निरंतरता की कविताएँ

डॉ. अली इमाम खाँ बलभद्र का कविता-संग्रह ” समय की ठनक ” को पढ़ने, समझने और महसूस करने का मौक़ा मिला। इन कविताओं से गुज़रते...
ज़ेर-ए-बहस

रोटी, दवा, सुरक्षा जरूरी है या पुष्प वर्षा ?

रीता शर्मा ऐसे समय जबकि हम “कोरोना महामारी” से जूझ रहे हैं और 21 मार्च से लगातार देश बंदी के चलते श्रमिक वर्ग, प्राइवेट नौकरी...
कविता

कथाओं में जीवन को बुनता कवि वसंत सकरगाए

संजीव कौशल कविता कुछ ना कुछ बचाने की कोशिश है कोई आँसू कोई मुस्कान कुछ उम्मीद कुछ निराशा कुछ दर्द ताकि मुश्किल वक्त में कुछ...
ज़ेर-ए-बहस

वन्यजीवों के व्यापार का चौंकाने वाला इतिहास और कोविड-19

ब्रायन बार्थ विगत 40 वर्षों में, चीन की सरकार ग्रामीण आर्थिक विकास के तौर पर वन्यजीव व्यापार को बढ़ावा देती आई है। लेकिन इस सर्दी...
जनमतस्मृति

सफ़र अभी मुक़म्मल नहीं हुआ !

समकालीन जनमत
आशीष कुमार क्या उन सब्ज आंखों को भुलाया जा सकता है ? क्या उस बेतकल्लुफ़ और बेपरवाह हंसी को समेटा जा सकता है ?क्या कला...
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