समकालीन जनमत

Month : August 2022

ख़बर

प्रधानमंत्री और गृहमंत्री जवाब दें कि बिल्कीस बानो के सामूहिक बलात्कारियों को आजाद करने का निर्णय क्यों लिया गया -ऐपवा 

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन ( ऐपवा) ने बिल्कीस बानो के सामूहिक बलात्कारियों को आजाद करने का निर्णय पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री और गृहमंत्री...
साहित्य-संस्कृति

नाटक, जनगीत, कविता पाठ के साथ भोजपुर से जन संस्कृति मंच की सांस्कृतिक यात्रा का आगाज़ 

समकालीन जनमत
आरा। आज आजादी के पचहत्तरवें वर्ष पर जसम, बिहार ने अपनी सांस्कृतिक यात्रा का आगाज़ क्रांतिधर्मी भूमि भोजपुर से किया। संस्कृति कर्मियों ने यात्रा का...
कविता

भरत प्रसाद की कविताएँ: यह शरीर जो कारागृह है घोंट रहा मेरा पक्षीपन

समकालीन जनमत
आशीष त्रिपाठी                                                                          भरत प्रसाद कवि हैं । कवि होने की सभी शर्तों को पूरा करते कवि । उनकी कविताओं की दुनिया घर से बाहर,...
साहित्य-संस्कृति

‘ किसान-संघर्ष का पहला साहित्यिक दस्तावेज़ है ‘ प्रेमाश्रम ’ – वीर भारत तलवार

समकालीन जनमत
‘ प्रेमचन्द ने कथानक का निर्माण किया और उसे तोड़ा भी ’- नित्यानंद तिवारी ‘हम देखेंगे: अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रतिरोध अभियान’ के तहत प्रेमचंद जयंती...
साहित्य-संस्कृति

‘ जन संस्कृति के नायक राजबली यादव ‘ पुस्तक का लोकार्पण

लखनऊ/फैजाबाद। अंबेडकर नगर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, जन संस्कृति के नायक राजबली यादव के स्मृति दिवस के अवसर पर उनके पैतृक गांव अरई में 9...
जनमतज़ेर-ए-बहस

आजादी के पचहत्तर वर्षः प्रोपोगंडा, पाखंड और यथार्थ- तीन

जयप्रकाश नारायण  संघ द्वारा संचालित और निर्देशित भाजपा की मोदी सरकार ने आजादी के हीरक जयंती को अमृत काल घोषित किया है। अमृत काल का...
जनमतज़ेर-ए-बहस

आजादी के पचहत्तर वर्षः प्रोपोगंडा, पाखंड और यथार्थ- दो

जयप्रकाश नारायण  बरसात का खूबसूरत सावन मास चल रहा है। हमारे लोक जीवन में सावन मास संगीत, साहित्य, संस्कृति कला संवेदना और उत्सवी बहारों का...
कविता

नरेश गुर्जर की कविता दृश्य की पृष्ठभूमि पर ठहरी हुई निगाह है

समकालीन जनमत
बबली गुर्जर कविताओं की सरलता उनकी ख़ूबसूरती का पैमाना होती है। कुछ कविताएँ किसी पदबंध के अधीन नहीं होती। उन्हें सुनते पढ़ते समय जिया भी...
समर न जीते कोय

समर न जीते कोय-19

मीना राय
(समकालीन जनमत की प्रबन्ध संपादक और जन संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ उपाध्यक्ष मीना राय का जीवन लम्बे समय तक विविध साहित्यिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक...
जनमतज़ेर-ए-बहस

आजादी के पचहत्तर वर्षः प्रोपोगंडा, पाखंड और यथार्थ- एक

जयप्रकाश नारायण  भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह  अजीब संयोग और विडंबना है कि स्वतंत्रता आंदोलन से विरत रहने वाले,...
पुस्तक

 गांधी की सोच : हिंद स्वराज के बहाने

गोपाल प्रधान
आजादी के पचहत्तर साल पूरे होने पर उचित होगा कि भारत की स्वाधीनता के साथ जुड़े प्रसंगों और व्यक्तियों तथा विचारों की जांच परख नये...
साहित्य-संस्कृति

आजादी के 75 वर्ष और प्रेमचंद के सपने

समकालीन जनमत
कल्पनाथ यादव  प्रेमचंद के समूचे लेखन में उनका तत्कालीन समय किस रंग में प्रतिभासित होता है,  अपने समय के सवालों से कैसे सामना करते हैं...
Fearlessly expressing peoples opinion