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भारत को धमकाने के बजाय क्यूबा से दवाई क्यूँ नहीं ले रहा है अमेरिका

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कोरोना वाइरस के इलाज में प्रयोग की जाने वाली दवाई हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के लिए भारत को धमकाए जाने का मामला सुर्खियों में है. सोमवार को व्हाइट हाउस में एक प्रैस वार्ता में ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि ये दवाई भारत अमेरिका को निर्यात करे. ट्रम्प इतने पर ही नहीं रुके,बल्कि तमाम कूटनीतिक और राजनायिक सीमाओं को लांघते हुए बोले- “ अगर वो उसे आने की अनुमति नहीं देते हैं तो ठीक है पर निश्चित ही तब प्रतिवाद होगा,आखिर क्यूँ नहीं होगा !”

यह एक राष्ट्र प्रमुख की दूसरे संप्रभु राष्ट्र के प्रति इस्तेमाल की जाने वाली शालीन भाषा तो कम से कम नहीं है. यह तो ऐसा लगता है कि कोई दादा किस्म का व्यक्ति अपनी मनचाही चीज को पाने के लिए धमकी दे रहा हो ! लेकिन कोढ़ में खाज यह कि इस तरह की आपत्तिजनक भाषा के विरुद्ध बिना प्रतिवाद का एक शब्द बोले ही भारत सरकार ने इस बयान के कुछ ही घंटों बाद महामारी से अत्याधिक प्रभावित देशों को इस दवाई की सप्लाइ की घोषणा कर दी.

अँग्रेजी अखबार टेलीग्राफ के अनुसार शनिवार को ही इस दवाई के निर्यात पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगाया था और ट्रम्प के धमकाने वाले अंदाज में दिये गए बयान के बाद पाबंदी हटाने को भारत सरकार ने मानवीय मदद का मुलम्मा पहनाने की कोशिश की.

विडम्बना देखिये कि भारत में राहुल कंवल जैसे पत्रकार अमेरिका की धमकी को निवेदन बता रहे हैं. अँग्रेज़ीदाँ राहुल कंवल इतने भोले तो नहीं हो सकते कि वे  retaliation और request का अंतर न जानते हों. राहुल कंवल की नहीं लगभग मुख्यधारा के सारे भारतीय मीडिया की हालत ऐसी ही हो चुकी है. इसके बरक्स अमेरिकी मीडिया को देखिये. 06 अप्रैल के न्यू यॉर्क टाइम्स में कोरोना के इलाज के लिए ट्रम्प द्वारा हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की पैरवी पर सवाल खड़े किए गए हैं और उन पर तंज़ कसते हुए कहा गया है कि “सेल्समैन से राष्ट्रपति बना व्यक्ति, रियल इस्टेट डेवलपर वाले उत्साह से कोरोना के मरीजों के लिए  हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की पैरवी कर रहा है.”

रिपोर्ट कहती है कि अगर हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का प्रयोग एक स्वीकृत इलाज बन जाता है तो ट्रम्प से जुड़े कई वरिष्ठ कार्यकारियों की फार्मा कंपनियों को मुनाफा होगा और स्वयं ट्रम्प भी मुनाफा कमाने वालों में होंगे. न्यूयॉर्क टाइम्स की यह रिपोर्ट ट्रम्प के मंसूबों,अमेरिकी मीडिया की स्वतंत्रता और प्रतिवाद को निवेदन बताने वाले भारतीय मीडिया को भी आईना दिखाने वाली है.

 ट्रंप के इस आक्रामक व्यवहार से एक प्रश्न यह भी उठता है कि आम तौर पर मलेरिया के उपचार में प्रयोग होने वाली हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की गोली क्या अमेरिका के अगल-बगल किसी देश में नहीं है,जो उसे सात समंदर पार भारत को धमकाना पड़ रहा है. इस सवाल का जवाब, जर्मन रेडियो डाईचे वेले की अँग्रेजी वैबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट से मिलता है. 04 अप्रैल को प्रकाशित आन्द्रेया नोबोल्च की यह रिपोर्ट बताती है कि मेडिकल उत्पादों का एक जर्मन व्यापारी गेओर्ग शेफ्फर कोरोना के उपचार के लिए हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन आयात करना चाहता है. किस देश से तो रिपोर्ट बताती है कि क्यूबा से. रिपोर्ट में हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का जिक्र क्यूबन ड्रग के तौर पर किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को क्यूबा से जर्मनी  आयात करने की अनुमति जर्मनी के नौकरशाही की उदासीनता के चलते अटकी हुई है.

बहरहाल जर्मनी की इस रिपोर्ट से यह तो सिद्ध होता ही कि हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन तो अमेरिका से हाथ भर की दूरी पर मौजूद देश क्यूबा में उपलब्ध है. अमेरिका की ही एक पत्रिका “न्यूज़वीक” में 24 मार्च को छपी रिपोर्ट बताती है कि क्यूबा ने चीन की मदद से कोरोना के उपचार के लिए  Interferon Alpha-2B Recombinant (IFNrec) नामक दवा विकसित कर ली है,जिसका उपयोग क्यूबा के डॉक्टर दुनिया के विभिन्न देशों में कर रहे हैं. सवाल यह है कि अमेरिका क्यूँ नहीं कर रहा है ? भारत को धमकाने के बजाय क्यूबा से दवाई क्यूँ नहीं ले रहा है ? क्यूबा पर अमेरिका ने कई सारे प्रतिबंध लगाए हुए हैं.

उत्तर कोरिया, ईरान जैसे देश, जिन पर अमेरिका ने पाबन्दियाँ लगाई हुई हैं, उन्हें कोरोना से निपटने में मदद देने की घोषणा अमेरिका ने की पर क्यूबा का नाम उस सूची में नहीं था. इस भयानक महामारी के दौर में अपने नागरिकों का जीवन दांव पर लगा कर भी क्यूबा से दवाइयाँ लेने को अमेरिका तैयार नहीं है. उल्टा मेडिकल उपकरणों को लेकर क्यूबा जा रहे समुद्री जहाजों का मार्ग भी अमेरिका ने बाधित कर दिया. महामारी के इस कठिन दौर में जब सब देशों का ध्यान कोरोना से निपटने पर है, ट्रम्प और उनके प्रशासन का ज़ोर क्यूबा से दुश्मनी निबाहने पर है. नतीजा यह कि बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा की तर्ज पर बगल में दवाई और सात समंदर पार धमकी का कारनामा अंजाम दे रहे हैं, अंकल सैम के मुखिया चचा ट्रंप !

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