समकालीन जनमत

Tag : ANUPAM SINGH

जनमत

खोई चीज़ों का शोक: जीवन की स्मृतियों से झकझोर खायी कविताएँ

समकालीन जनमत
अनुपम सिंह समकालीन हिंदी कविता में सविता सिंह प्रकृति के क़रीब रहने वाली कवियों में से हैं। सविता सिंह प्रकृति के प्रत्येक क्रियाकलाप को अनिवार्य...
कविता

ज्योति की कविताएँ चुप्पी का सौंदर्य बयां करती हैं

अनुपम सिंह
ज्योति तिवारी को मैं पिछले लगभग पाँच वर्षों से जानती हूँ। ज्योति भी मुझे जानती हों ज़रूरी नहीं। वैसे तो वह ज़्यादातर निष्क्रिय ही  दिखाई...
कविताजनमत

जीने की जगह तलाशतीं सविता भार्गव की कविताएँ

समकालीन जनमत
अनुपम सिंह आजकल जब भी समय मिलता है ,कविताएँ लिखने से अधिक कविताओं के विषय में सोचती हूँ. कोई कविता क्यों अच्छी लगती हैं और...
कविता

अनुराधा सिंह की कविताओं में ‘प्रेम एक विस्तृत संकल्पना’

समकालीन जनमत
अनुपम सिंह अपने समकालीनों पर लिखते समय, उन पर कोई निर्णयात्मक वाक्य लिखना खतरा उठाने जैसा होता है. या कहें भविष्य में उसके ख़ारिज और...
कविताजनमत

‘गगन गिल ‘मातृमूलक’ दुःखों और उदासियों को रचने वाली कवयित्री हैं’

अनुपम सिंह गगन गिल ने कविता में अपने ज़िम्मे जो काम लिया है, वह है स्त्री की पारम्परिक नियति को उद्घाटित करना. प्रकृति में इतने...
कविताग्राउन्ड रिपोर्टजनमतसाहित्य-संस्कृति

अनुपम सिंह की कविताओं पर जसम की घरेलू गोष्ठी की रपट

राम नरेश राम
अनुपम की कविताएँ अपने वक्त, अपने समाज और अपनी काया के अनुभव से उपजी हुई कविताएँ हैं- योगेंद्र आहूजा पिछली 23 जून 2018 को जसम...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति

पराजय को उत्सव में बदलती अनुपम सिंह की कविताएँ

समकालीन जनमत
(अनुपम सिंह की कविताओं को पढ़ते हुए ऐसा लगता है जैसे वे अपने साथ हमें पितृसत्ता की एक बृहद प्रयोगशाला में लिए जा रहीं हैं...
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