कविता रूपम की कविताएँ पितृसत्ता की चालाकियों की बारीक़ शिनाख़्त हैंसमकालीन जनमतJune 28, 2020June 28, 2020 by समकालीन जनमतJune 28, 2020June 28, 20208 4756 दुर्गा सिंह हिंदी समाज एक ऐसी कालावधि से गुजर रहा है, जिसमें एक तरफ निरंतरता की ताकतें, सामाजिक वर्ग- समूह आजादी के बाद के सबसे...
इतिहास औपनिवेशिक शोषण, किसान और 1857दुर्गा सिंहMay 11, 2020May 12, 2022 by दुर्गा सिंहMay 11, 2020May 12, 202203438 अंग्रेजों के उपनिवेशवादी शोषण का कहर भारतीय किसानों पर ही सबसे ज्यादा बरपा। औपनिवेशिक आर्थिक नीतियाँ, भू-राजस्व की नयी प्रणाली और उपनिवेशवादी प्रशासनिक एवं न्यायिक...
स्मृति मार्कण्डेय की कहानियों में भूख और अकाल के चित्रदुर्गा सिंहMay 2, 2020May 2, 2020 by दुर्गा सिंहMay 2, 2020May 2, 202002192 मार्कण्डेय के जन्मदिन 2 मई पर यूँ तो भारत में उदारीकरण की नीतियों को स्वीकार करने के बाद से ही कृषि सर्वाधिक तबाही झेलने वाला...
पुस्तक अवधेश त्रिपाठी की आलोचना पद्धति में लोकतंत्र के मूल्य प्राण की तरह हैदुर्गा सिंहApril 29, 2020April 30, 2020 by दुर्गा सिंहApril 29, 2020April 30, 20205 2042 किसी भी आलोचक के लिए जरूरी होता है, कि वह बाह्य जगत के सत्य और रचना के सत्य से बराबर-बराबर गुजरे। आलोचना के लिए...
पुस्तक लोकतंत्र का मर्सिया हैं ‘सुगम’ की ग़ज़लेंदुर्गा सिंहApril 27, 2020April 30, 2020 by दुर्गा सिंहApril 27, 2020April 30, 202002934 हिंदी ग़ज़ल में महेश कटारे ‘सुगम’ जाना-माना नाम है। ‘सुगम’ हिंदी ग़ज़ल की उसी परंपरा से आते हैं, जिसे दुष्यंत, अदम गोंडवी, शलभ श्रीराम...
कहानी एक कहानी : पाठ और प्रक्रियादुर्गा सिंहApril 17, 2020April 25, 2020 by दुर्गा सिंहApril 17, 2020April 25, 202003098 अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में एक मामला आया, जिसमें भारत के उत्तर-पूर्व की एक छात्रा ने कहा; कि उसे ‘कोरोना’ कहा गया। यह मानवीय...
जनमतशख्सियत मार्कण्डेय की कहानियों में बनते हुए राष्ट्र की तस्वीरदुर्गा सिंहMay 2, 2019May 2, 2019 by दुर्गा सिंहMay 2, 2019May 2, 201904485 मार्कण्डेय (2 मई 1930 – 18 मार्च 2010) हिंदी के जाने-माने कहानीकार थे। आज उनके जन्मदिवस पर अपने एक लेख के माध्यम से उन्हें याद कर रहे हैं...
जनमतसाहित्य-संस्कृति निराला की कहानियाँ- आधुनिक बोध, प्रगतिशीलता व स्वाधीन चेतना की प्रबल अभिव्यक्तिसमकालीन जनमतFebruary 10, 2019February 10, 2019 by समकालीन जनमतFebruary 10, 2019February 10, 201913268 दुर्गा सिंह निराला के कहानी लेखन का समय 1920 ई के बाद का है। लेकिन पहली ही कहानी में आधुनिक बोध, प्रगतिशीलता व स्वाधीन चेतना...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति काशीनाथ सिंह सामाजिक संस्थानिक परिवर्तनों को पकड़ने वाले कथाकार हैंसमकालीन जनमतJanuary 1, 2019 by समकालीन जनमतJanuary 1, 20194 3547 (साठोत्तरी कहानी के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर काशी नाथ सिंह का आज जन्मदिन है ।इस मौके पर प्रस्तुत है ‘कथा’ के संपादक, युवा आलोचक दुर्गा सिंह का...
कहानीसाहित्य-संस्कृति गांव की साझी सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन गति और उसके संकट को केन्द्र में रखती है हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’समकालीन जनमतAugust 23, 2018 by समकालीन जनमतAugust 23, 20182 2630 (हाल ही में ‘पल-प्रतिपल’ में प्रकाशित हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’ को हमने समकालीन जनमत पोर्टल पर प्रकाशित किया , जिस पर पिछले दिनों...