समकालीन जनमत

Tag : गोपाल प्रधान

पुस्तक

‘उड़ता बनारस’: स्थापत्य में फ़ासीवाद                                       

गोपाल प्रधान
सुरेश प्रताप की किताब ‘ उड़ता बनारस ’ हमसे वर्तमान शासन के कुछ कारनामों को गहरी निगाह से देखने की मांग करती है । पिछले...
पुस्तक

पुस्तक अंश : मार्क्स के आखिरी दिन

समकालीन जनमत
( अपने जीवन के आखिरी सालों में मार्क्स ने अपना शोध नये क्षेत्रों में विस्तारित किया- ताजातरीन मानव शास्त्रीय खोजों का अध्ययन किया, पूंजीवाद से...
पुस्तक

क्रांतिकारी दुनिया-‘रेवोल्यूशनरी वर्ल्ड: ग्लोबल अपहीवेल इन द माडर्न एज’

2021 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस से डेविड मोटाडेल के संपादन में ‘रेवोल्यूशनरी वर्ल्ड: ग्लोबल अपहीवेल इन द माडर्न एज’ का प्रकाशन हुआ । संपादक की...
पुस्तक

गुलामी के प्रतिरोध में स्त्री

गोपाल प्रधान
2020 में वर्सो से स्टेला दाज़्दी की किताब ‘ए किक इन द बेली: वीमेन, स्लेवरी ऐंड रेजिस्टेन्स’ का प्रकाशन हुआ । लेखिका ने नौ साल...
पुस्तक

मार्क्सवाद की समझ

गोपाल प्रधान
2019 में डेमोक्रेसी ऐट वर्क से रिचर्ड डी वोल्फ़ की किताब ‘अंडरस्टैंडिंग मार्क्सिज्म’ का प्रकाशन हुआ । पतली सी इस किताब में लेखक का कहना...
पुस्तक

विश्व पूंजीवाद और लोकतंत्र का अधिग्रहण

गोपाल प्रधान
(सदी की शुरुआत में प्रकाशित इस किताब को पढ़ते हुए लग रहा था कि वर्तमान भारत की कथा पढ़ रहा हूं।) 2001 में द फ़्री...
पुस्तक

समाजवाद के बारे में कुछ बुनियादी बातें

गोपाल प्रधान
2005 में स्टर्लिंग से माइकेल न्यूमैन की किताब ‘सोशलिज्म: ए ब्रीफ़ इनसाइट’ का प्रकाशन हुआ । चित्रों के साथ उसका नया संस्करण 2010 में वहीं...
स्मृति

‘ गोरा ’ में खचित जटिल समय

उन्नीसवीं सदी की आखिरी चौथाई की समूची हलचल का साक्ष्य इस उपन्यास से हासिल होता है. समय को रवींद्रनाथ ने केवल तारीख के रूप में...
ज़ेर-ए-बहससाहित्य-संस्कृति

हिंदी का दलित साहित्य: वर्तमान चुनौती और भविष्यगत सम्भावना

गोपाल प्रधान
अन्य भाषाओं के बारे में नहीं मालूम लेकिन हिंदी में दलित साहित्य को अपनी जगह बनाने के लिए शायद किसी भी साहित्यिक प्रवृत्ति से अधिक...
पुस्तकसाहित्य-संस्कृति

अवधेश त्रिपाठी की पुस्तक ‘कविता का लोकतंत्र’ पर परिचर्चा

समकालीन जनमत
अनुपम सिंह जन संस्कृति मंच की घरेलू गोष्ठी में अवधेश त्रिपाठी की पुस्तक “कविता का लोकतंत्र” पर परिचर्चा संपन्न हुई . यह परिचर्चा दिनांक 21...
जनमतशिक्षा

विश्वविद्यालयों की बात: गोपाल प्रधान

गोपाल प्रधान
2017 में वर्सो से स्टेफान कोलिनी की किताब ‘स्पीकिंग आफ़ यूनिवर्सिटीज’ का प्रकाशन हुआ । आजकल विश्वविद्यालयों और उनके विद्यार्थियों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी...
जनमत

मजदूर वर्ग के राष्ट्रवाद में साम्राज्यवाद विरोध और लोकतांत्रिक रंग अधिक गहरा होता है : गोपाल प्रधान

समकालीन जनमत
( अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली में प्राध्यापक एवं मार्क्स साहित्य के अध्येता गोपाल प्रधान से संदीप मील का यह साक्षात्कार भारतीय समाजशास्त्र समीक्षा पत्रिका में प्रकाशित...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

गोरख स्मृति दिवस पर व्याख्यान और काव्य पाठ का आयोजन

विष्णु प्रभाकर
इलाहाबाद. 29 जनवरी को परिवेश और जन संस्कृति मंच की तरफ से गोरख स्मृति व्याख्यान और काव्यपाठ का आयोजन किया गया. प्रो. अवधेश प्रधान ने...
पुस्तक

एनादर मार्क्स: अर्ली मैनुस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल : अर्थशास्त्र की आलोचना

गोपाल प्रधान
मार्क्स ने पाया कि सभी युगों के चिंतक अपने समय की विशेषता को शाश्वत ही कहते आए हैं. अपने समय के राजनीतिक अर्थशास्त्रियों के बनाए...
जनमत

जलवायु परिवर्तन और अमिताभ घोष

समकालीन जनमत
गोपाल प्रधान 2016 में पेंग्विन से अमिताभ घोष की किताब ‘ द ग्रेट डीरेंजमेन्ट: क्लाइमेट चेन्ज ऐंड द अनथिंकेबल ’ का प्रकाशन हुआ । मुख्य...
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