शख्सियत अग्निपुष्प कभी मुरझाते नहींसमकालीन जनमतMay 5, 2025May 5, 2025 by समकालीन जनमतMay 5, 2025May 5, 2025098 (समकालीन जनमत के संस्थापक संपादक और कर्मकर्ता कवि अग्निपुष्प अब जीवित स्मृति बन चुके हैं। उन्हें समर्पित की गई ये भावभीनी श्रद्धांजलियां हमें आग के...
समर न जीते कोय समर न जीते कोय-26मीना रायNovember 12, 2022December 23, 2023 by मीना रायNovember 12, 2022December 23, 2023067 (समकालीन जनमत की प्रबन्ध संपादक और जन संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ उपाध्यक्ष मीना राय का जीवन लम्बे समय तक विविध साहित्यिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक...
भाषा उर्दू की क्लास : मुलज़िम और मुजरिम का फ़र्क़समकालीन जनमतNovember 15, 2020 by समकालीन जनमतNovember 15, 202003131 ( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम की शृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की बारहवीं क़िस्त में मुलज़िम और मुजरिम के फ़र्क़...
भाषा उर्दू की क्लास : नाज़नीन, नाज़मीन और नाज़रीनसमकालीन जनमतSeptember 27, 2020 by समकालीन जनमतSeptember 27, 202003049 ( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम की श्रृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की आठवीं क़िस्त में नाज़नीन, नाज़मीन और नाज़रीन के फ़र्क़ के मायने के...
भाषा उर्दू की क्लास : “ख़िलाफ़त” और “मुख़ालिफ़त” का फ़र्क़समकालीन जनमतSeptember 13, 2020September 13, 2020 by समकालीन जनमतSeptember 13, 2020September 13, 202002789 ( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम की श्रृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की सातवीं क़िस्त में “ख़िलाफ़त” और “मुख़ालिफ़त” के फ़र्क़ के मायने के बहाने...
भाषा उर्दू की क्लास : “क़वायद तेज़” का मतलबसमकालीन जनमतSeptember 6, 2020September 6, 2020 by समकालीन जनमतSeptember 6, 2020September 6, 202002809 ( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम की श्रृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की छठी क़िस्त में “क़वायद तेज़” के मायने के बहाने उर्दू भाषा के...
भाषा उर्दू की क्लास : “मौज़ूं” और “मौज़ू” का फ़र्क़समकालीन जनमतAugust 30, 2020August 30, 2020 by समकालीन जनमतAugust 30, 2020August 30, 202004246 ( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम की श्रृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की पांचवीं क़िस्त में “मौज़ूं” और “मौज़ू” के फ़र्क़ के बहाने उर्दू भाषा...
भाषा उर्दू की क्लास : “आज होगा बड़ा ख़ुलासा!”समकालीन जनमतAugust 23, 2020August 23, 2020 by समकालीन जनमतAugust 23, 2020August 23, 202002602 ( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम की श्रृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की चौथी क़िस्त में “ख़ुलासा” और “बेग़म” के मायने के बहाने उर्दू भाषा...
भाषा उर्दू की क्लास : जामिया “यूनिवर्सिटी” कहना कितना मुनासिब ?समकालीन जनमतAugust 16, 2020August 16, 2020 by समकालीन जनमतAugust 16, 2020August 16, 202002315 ( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम की श्रृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की तीसरी क़िस्त में जामिया के मायने के बहाने उर्दू भाषा के पेच-ओ-ख़म...
जनमत हतभागे किसान: प्रेमचन्दसमकालीन जनमतJuly 31, 2019December 9, 2019 by समकालीन जनमतJuly 31, 2019December 9, 20194 2897 (प्रेमचन्द ने यह लेख 19 दिसम्बर 1932 में लिखा था। उनके इस लेख के साथ समकालीन जनमत प्रेमचंद पर अपनी यह शृंखला समाप्त करता है। इस...
जनमतशख्सियतस्मृति नायक विहीन समय में प्रेमचंदसमकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 2019 by समकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 201904365 प्रो. सदानन्द शाही कुछ तारीखें कागज के कैलेण्डरों पर दर्ज होती हैं और याद रखी जाती हैं या पर कुछ तारीखें ऐसी भी होती हैं...
जनमतशख्सियतस्मृति प्रेमचंद की दलित स्त्रियाँ: वैभव सिंहसमकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 2019 by समकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 201904684 वैभव सिंह प्रेमचंद जितना पुरुष-जीवन का अंकन करने वाले कथाकार हैं, उतना ही स्त्रियों के जीवन के भी विविध पक्षों को कथा में व्यक्त करते...
जनमतशख्सियतस्मृति प्रेमचंद के स्त्री पात्र: प्रो.गोपाल प्रधानगोपाल प्रधानJuly 31, 2019July 31, 2019 by गोपाल प्रधानJuly 31, 2019July 31, 201904338 प्रेमचंद का साहित्य प्रासंगिक होने के साथ साथ ज़ेरे बहस भी रहा है । दलित साहित्य के लेखकों ने उनके साहित्य को सहानुभूति का साहित्य...
जनमतशख्सियतस्मृति किसान आत्म-हत्याओं के दौर में प्रेमचंद – प्रो. सदानन्द शाहीसमकालीन जनमतJuly 30, 2019July 30, 2019 by समकालीन जनमतJuly 30, 2019July 30, 201902088 प्रो.सदानन्द शाही किसानों की आत्म हत्यायें हमारे समाज की भयावह सचाई है। भारत जैसे देश में किसान आत्महत्यायें कर रहे हैं यह शर्मशार कर देने...
जनमतशख्सियतस्मृति सदगति : ‘ग़म क्या सिर के कटने का’*समकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 2019 by समकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 201905892 प्रो. सदानन्द शाही सदगति दलित पात्र दुखी की कहानी है। दुखी ने बेटी की शादी तय की है। साइत विचरवाने के लिए पं0. घासीराम को बुलाने...
जनमतशख्सियतस्मृति मेरी माँ ने मुझे प्रेमचन्द का भक्त बनाया : गजानन माधव मुक्तिबोधसमकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 2019 by समकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 201903559 एक छाया-चित्र है । प्रेमचन्द और प्रसाद दोनों खड़े हैं । प्रसाद गम्भीर सस्मित । प्रेमचन्द के होंठों पर अस्फुट हास्य । विभिन्न विचित्र प्रकृति...
जनमतशख्सियतस्मृति प्रेमचंद ने ‘अछूत की शिकायत’ को कथा-कहानी में ढालाडॉ रामायन रामJuly 28, 2019July 29, 2019 by डॉ रामायन रामJuly 28, 2019July 29, 20193 3815 1914 में हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका सरस्वती में हीरा डोम की कविता अछूत की शिकायत प्रकाशित हुई थी,जिसमे कवि ने अछूतों के साथ होने...
जनमतशख्सियतस्मृति नई पीढ़ी को भी उम्दा साहित्य के संस्कार देने वाले प्रेमचंदअभिषेक मिश्रJuly 28, 2019July 28, 2019 by अभिषेक मिश्रJuly 28, 2019July 28, 201902483 कहा जाता है ‘साहित्य समाज का दर्पण है’। साहित्यकारों से भी यही अपेक्षा रखी जाती है। पर धीरे-धीरे आजादी मिलने से पूर्व और इसके बाद...
जनमतशख्सियतस्मृति रेलवे स्टेशन पर प्रेमचन्दसमकालीन जनमतJuly 28, 2019July 28, 2019 by समकालीन जनमतJuly 28, 2019July 28, 201902237 डॉ. रेखा सेठी अभी हाल ही में नयी दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर मुझे प्रेमचन्द की लोकप्रियता का नया अनुभव हुआ। स्टेशन के लगभग हर...
साहित्य-संस्कृतिस्मृति ‘जीवन और साहित्य में घृणा का स्थान’ से कुछ अंश: प्रेमचंदसमकालीन जनमतJuly 27, 2019July 30, 2019 by समकालीन जनमतJuly 27, 2019July 30, 201903534 निंदा, क्रोध और घृणा ये सभी दुर्गुण हैं, लेकिन मानव जीवन में से अगर इन दुर्गुणों को निकल दीजिए, तो संसार नरक हो जायेगा। यह...