समकालीन जनमत

Category : ज़ेर-ए-बहस

ज़ेर-ए-बहस

खतरे में है लोकतंत्र, संविधान और संघवाद

रवि भूषण
हमारा देश जिस खतरनाक दौर से गुजर रहा है, उससे उसे निकालने का एक मात्र मार्ग चुनाव नहीं है। चुनावी राजनीति ने सत्तालोलुपों को किसी...
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स्वच्छ कुंभ की गंदी कथा

के के पांडेय
आज गांधी के पुतले पर गोली चलाई जा रही है लेकिन चार साल पहले ही उनकी नज़र का चश्मा इज्जत घर की खूंटी पर टांग...
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बुद्धिजीवी, राज्य, पुलिस और अदालत

रवि भूषण
नवउदारवदी अर्थ व्यवस्था के विकसित दौर में कोई भी क्षेत्र पूर्ववत नहीं रहा है। उसने राज्य की भूमिका बदली और राज्य जनोन्मुख न रहकर काॅरपोरेटोन्मुख...
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कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हर एक घर के लिए……..

इन्द्रेश मैखुरी
कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हर एक घर के लिए कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर भर के लिए सत्ता में आने से पहले जो कई...
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दिव्य कुम्भ: एक शहर की हत्या

समकालीन जनमत
के के पांडेय जब शहर के तमाम चौराहों पर लगी बड़ी बड़ी एल सी डी की स्क्रीन पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास का एक प्रोफेसर...
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‘ठाकरे’ नवाजुद्दीन की विस्फोटक प्रतिभा की विफलता का स्मारक क्यों है?

आशुतोष कुमार
आशुतोष कुमार  अगर आप बाल ठाकरे और उनकी राजनैतिक शैली के प्रति पहले से ही भक्तिभाव से भरे हुए नहीं हैं, तो फिल्म’ठाकरे’ आपको हास्यास्पद...
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जुटान या महागठबन्धन ?

रवि भूषण
कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउण्ड में 19 जनवरी को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी द्वारा आयोजित महारैली में विपक्ष...
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राजद्रोह : ब्रिटिश भारत का कानून

रवि भूषण
दिल्ली पुलिस ने लगभग तीन वर्ष बाद ‘भारत विरोधी नारे’ लगाने के आरोप में जे एन यू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार तथा...
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124 वां संविधान संशोधन विधेयक

रवि भूषण
17 वें लोकसभा चुनाव के कुछ महीने पहले सोमवार 7 जनवरी को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़ों को...
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राजग के स्वर्णिम दिन बीत चुके हैं ?

रवि भूषण
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। मई 1998 में 12 वीं लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए भाजपा ने अन्य दलों के...
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क्या प्रधानमंत्री वकील मुक्त अदालतें चाहते हैं ?

आशुतोष कुमार
एएनआई को दिए अपने इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने राममंदिर पर जो कुछ कहा है, वह न्यायिक प्रक्रिया में सत्ता की ताक़त के बल पर किया...
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न्यायपालिका से जुड़े कुछ अहम सवाल

रवि भूषण
कार्यपालिका और व्यवस्थापिका के अतिरिक्त न्यायपालिका लोकतंत्र का एक प्रमुख अंग है। न्यायपालिका का मुख्य कार्य सबको समान रूप से न्याय प्रदान करना है जो...
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मनुष्यता पर संकट है पलायन

समकालीन जनमत
शशांक मुकुट शेखर ‘पलायन’ हमेशा दुखद होता है. किसी मनुष्य द्वारा सबसे मुलभूत आवश्यकता भोजन की तलाश को ही जीवन मान लेने को बाध्य हो...
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क्या भारत के लोगों के लिए ‘ न्याय की रोटी ‘ उतनी ही ज़रूरी नहीं जितनी रोज़ी रोटी, शिक्षा, अस्पताल

कविता कृष्णन
संघी फासीवादियों के लिए उनके द्वारा ध्वस्त किए गए मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर फासीवाद के लिए एक विजय घोष जैसा होगा. लेकिन इस...
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नाम बदलने का राजनीतिक-सांस्कृतिक अर्थ

रवि भूषण
विलियम शेक्सपीयर (26.04.1564-23.04.1616) के नाटक ‘रोमियो एण्ड जूलियट’ का प्रकाशन सोलहवीं सदी के अन्त में हुआ था – दो अलग पाठान्तर में। पहला प्रकाशन 1597...
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संगीत की स्वर लहरियों को चुप करने की राजनीति

राम पुनियानी
राम पुनियानी किताबों पर प्रतिबन्ध की मांग और पाकिस्तानी क्रिकेट टीम और वहां के गायकों का विरोध भारत में आम हैं. सैटेनिक वर्सेज को प्रतिबंधित...
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‘रा’ से राम, ‘रा’ से राफेल

रवि भूषण
आर एस एस न राम को छोड़ रहा है और न कांग्रेस राफेल को। दोनों ‘राम’ और ‘राफेल’ को कस कर पकड़े हुए है। अगले...
ज़ेर-ए-बहस

भारतीय संवैधानिक अदालतें और धर्मनिरपेक्षता (भाग-1)

समकालीन जनमत
 इरफान इंजीनियऱ   पिछले कुछ वर्षों से, परंपराओं और रीति-रिवाजों के नाम पर, भारत में धर्मनिरपेक्षता को पुनर्परिभाषित करने और उसकी सीमाओं का पुनः निर्धारण...
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राफेल डील : कुछ तो है, जिसकी पर्दादारी है

समकालीन जनमत
जाहिद खान राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर मोदी सरकार की लाख पर्देदारी और एक के बाद एक लगातार बोले जा रहे झूठ के बीच, इस...
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नोटबंदी से काले धन पर प्रहार भी एक जुमला ही था

इन्द्रेश मैखुरी
  दो वर्ष पूर्व आज ही के दिन यानि 8 नवंबर को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा की गयी थी....
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