कविताजनमत अपने समय की आहट को कविता में व्यक्त करता कवि विवेक निरालाउमा रागOctober 14, 2018October 14, 2018 by उमा रागOctober 14, 2018October 14, 201812346 युवा कवि विवेक निराला की इन कविताओं को पढ़ कर लगता है मानो कविता उनके लिए एक संस्कार की तरह है-एकदम नैसर्गिक और स्वस्फूर्त! इन...
कविताजनमत रेतीले टिब्बों पर खड़े होकर काले बादलों की उम्मीद ओढ़ता कवि : अमित ओहलाणउमा रागOctober 7, 2018October 7, 2018 by उमा रागOctober 7, 2018October 7, 201803462 कविता जब खुद आगे बढ़कर कवि का परिचय देने में सक्षम हो तो फिर उस कवि के लिए किसी परिचय की प्रस्तावना गढ़ने की ज़रुरत...
कविताजनमत युवा कविता की एक सजग, सक्रिय और संवेदनशील बानगी है निशांत की कविताएँउमा रागSeptember 30, 2018September 30, 2018 by उमा रागSeptember 30, 2018September 30, 201803773 जब भी कोई नई पीढ़ी कविता में आती है तो उसके समक्ष सबसे बड़ा प्रश्न होता है कि वह अपने से ठीक पहले की पीढ़ी...
कविताजनमतस्मृति चार आयामों का एक कवि विष्णु खरेउमा रागSeptember 23, 2018September 23, 2018 by उमा रागSeptember 23, 2018September 23, 201804498 मंगलेश डबराल यह बात आम तौर पर मुहावरे में कही जाती है कि अमुक व्यक्ति के न रहने से जो अभाव पैदा हुआ है...
कवितासाहित्य-संस्कृति मैंने स्थापित किया अपना अलौकिक स्मारक (अलेक्सान्द्र सेर्गेयेविच पुश्किन की कविताएँ)उमा रागSeptember 16, 2018September 16, 2018 by उमा रागSeptember 16, 2018September 16, 201802641 मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह; टिप्पणी : पंकज बोस पुश्किन के बारे में सोचते ही एक ऐसा तिकोना चेहरा जेहन में कौंधता है...
कविता ‘ वह आग मार्क्स के सीने में जो हुई रौशन, वह आग सीन-ए-इन्साँ में आफ़ताब है आज ’उमा रागSeptember 9, 2018September 9, 2018 by उमा रागSeptember 9, 2018September 9, 201803634 जटिल दार्शनिक-आर्थिक तर्क-वितर्क के संसार में रहने के बावजूद मार्क्स ने कई कविताएँ लिखीं और उन पर भी बहुत सी कविताएँ लिखी गयीं, जिनमें से...
ख़बर समलैंगिकता अपराध की श्रेणी से बाहर , भाकपा माले ने किया फ़ैसले का स्वागतउमा रागSeptember 6, 2018September 6, 2018 by उमा रागSeptember 6, 2018September 6, 201801818 भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने एक बयान में कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले का श्रेय एलजीबीटीक्यूआईए कार्यकर्ताओं, व्यक्तियों, संगठनों और वकीलों की समर्पित...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति समय के जटिल मुहावरे को बाँचती घनश्याम कुमार देवांश की कविताएँउमा रागSeptember 2, 2018September 2, 2018 by उमा रागSeptember 2, 2018September 2, 201813454 आज के युवा बेहद जटिल समय में साँस ले रहा है. पूर्ववर्ती पीढ़ी में मौजूद कई नायाब और सौंधे सुख उसकी पीढ़ी तक पहुँचने से...
जनमत पूनम वासम की कविताएँ सजग ऐंद्रिय बोध और वस्तु-पर्यवेक्षण की कविताएँ हैंउमा रागAugust 26, 2018August 26, 2018 by उमा रागAugust 26, 2018August 26, 20187 2419 हिन्दी कविता में आदिवासी जमीन से आने वाली पहली कवयित्री सुशीला सामद हैं। उनका संग्रह “प्रलाप” नाम से 1935 में, सुभद्रा कुमारी चौहान और महादेवी...
कविताजनमत विश्व कविता : तादयूश रुज़ेविच की कविताएँउमा रागAugust 19, 2018August 19, 2018 by उमा रागAugust 19, 2018August 19, 201812573 〈 तादयूश रुज़ेविच (9 अक्टूबर 1921-24 अप्रैल 2014) पोलैंड के कवि, नाटककार और अनुवादक थे। उनकी कविताओं के बहुत सी भाषाओं में अनुवाद हुए...
कविताजनमत अनुज लगुन की नई कविताएँ : रोटी के रंग पर ईमान लिख कर चलेंगेउमा रागAugust 12, 2018August 12, 2018 by उमा रागAugust 12, 2018August 12, 20185 5740 अनुज लुगुन ने जब हिंदी की युवा कविता में प्रवेश किया तो वह एक शोर-होड़, करियरिस्ट भावना की आपाधापी, सस्ती यशलिप्सा से बौराई और पुरस्कारों...
कविताजनमतशख्सियतस्मृति वत्सल उम्मीद की ठुमक के साथ मैं तो सतत रहूँगा तुम्हारे भीतर नमी बनकर: वीरेन डंगवालउमा रागAugust 5, 2018August 5, 2018 by उमा रागAugust 5, 2018August 5, 201803749 करीब 16 बरस पहले वीरेन डंगवाल के संग्रह ‘दुश्चक्र में स्रष्टा’ पर लिखते हुए मैंने उल्लास, प्रेम और सौंदर्य को उनकी कविता के केंद्रीय तत्वों...
शख्सियतस्मृति मेरी तन्हाई का ये अंधा शिगाफ़, ये के सांसों की तरह मेरे साथ चलता रहाउमा रागAugust 1, 2018August 1, 2018 by उमा रागAugust 1, 2018August 1, 20184 2535 मीना कुमारी (1 अगस्त, 1933 – 31 मार्च, 1972) का असली नाम महजबीं बानो था , इनका जन्म मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. वर्ष 1939...
कविताशख्सियत अदनान को ‘क़िबला’ कविता के लिए भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कारउमा रागAugust 1, 2018August 1, 2018 by उमा रागAugust 1, 2018August 1, 20184 3712 युवा कवि अदनान कफ़ील ‘ दरवेश ‘ को वर्ष 2018 के लिए भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है. 30 जुलाई...
कविताजनभाषा अमरेंद्र की अवधी कविताएँ: लोकभाषा में संभव राजनीतिक और समसामयिक अभिव्यक्तियाँउमा रागJuly 29, 2018July 29, 2018 by उमा रागJuly 29, 2018July 29, 201803302 ( कवि-कथन : अवधी में कविता क्यों ? मुझसे मुखातिब शायद यही, किसी का भी, पहला सवाल हो। जवाब में कई बातें हैं लेकिन पहला...
जनमत सभ्यता का परदा हटातीं हैं आर. चेतन क्रांति की कवितायेँउमा रागJuly 22, 2018July 22, 2018 by उमा रागJuly 22, 2018July 22, 201803561 2004 में आए अपने पहले कविता संग्रह ‘शोकनाच’ के साथ आर चेतन क्रांति ने इक्कीसवीं सदी की दुनिया के पेच शायद सबसे करीने से पकड़े।...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति प्रेम के निजी उचाट से लौटती स्त्री की कविता : विपिन चौधरी की कवितायेँउमा रागJuly 8, 2018July 8, 2018 by उमा रागJuly 8, 2018July 8, 20182 3290 विपिन की कवितायेँ लगातार बाहर-भीतर यात्रा करती हुईं एक ऐसी आंतरिकता को खोज निकालती हैं जो स्त्री का अपना निजी उचाट भी है और दरख्तों,...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति संजीव कौशल की कविताएँ : प्रतिगामी विचारों का विश्वसनीय प्रतिपक्षउमा रागJuly 1, 2018October 13, 2019 by उमा रागJuly 1, 2018October 13, 201903541 जागृत राजनीतिक चेतना, समय और समाज की विडम्बनाओं की गहरी समझ और भाषा की कलात्मक पारदर्शिता के कारण संजीव कौशल की कवितायेँ नयी सदी की युवा...
कवितासाहित्य-संस्कृति प्रदीप कुमार सिंह की कविताएँ : विह्वल करने से ज़्यादा विचार-विकल करती हैंउमा रागMay 13, 2018May 13, 2018 by उमा रागMay 13, 2018May 13, 201812652 नदी समुद्र में जाकर गिरती है, यह तो सब जानते हैं. लेकिन यह सच्चाई तो प्रदीप की कविता को पता है कि नदी अपना दुःख...
जनमत प्रदूषण रहित दिल्ली के लिए सस्ता, सुलभ और सुरक्षित जन परिवहन ज़रूरीउमा रागMay 1, 2018December 9, 2019 by उमा रागMay 1, 2018December 9, 20193 3253 किसी भी देश, राज्य या शहर में नागरिकों को सुरक्षित, सुगम, सस्ती जन परिवहन मुहैया करवाने की पहला दो शर्त है-सड़कों में पर्याप्त मुख्य परिवहन...