समकालीन जनमत

Author : समकालीन जनमत

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कविता

मोहन मुक्त की कविताएँ भाषा में वर्णाश्रमी प्रपंचों को तोड़ने वाली राजनीतिक चेतना की बानगी हैं

समकालीन जनमत
केतन यादव एक पूर्वकथन यह कि मेरी भूमिका मात्र इस कवि से परिचय कराने की होगी बाकि बात कवि की कविताएँ खुद कहेंगी। यह एक...
पुस्तक

‘निराला का कथा साहित्य’ पर आयोजित हुई परिचर्चा

समकालीन जनमत
पूजा   इलाहाबाद, जसम की जिला इकाई की श्रृंखला ‘किताब पर बातचीत’ के अंतर्गत दुर्गा सिंह की किताब ‘निराला का कथा साहित्य’  पर परिचर्चा 4...
जनमत

फ़ायर और सीजफायर

समकालीन जनमत
भारत को कश्मीर मामले में किसी तीसरी ताक़त को हस्तक्षेप का मौका नहीं देना चाहिए भारत और पाकिस्तान के बीच तीन दिन तक चले सघन...
कविता

रानी कुमारी की कविताएँ मनुष्य की गरिमा के पक्ष में उठाये गए सवाल हैं

समकालीन जनमत
अरविंद पासवान रानी की कविताओं से होकर गुजरना, मानो आईना में अपना ही अक्स देखना है। कवयित्री कल्पना के उड़ान पर सवार नहीं होती, बल्कि...
पुस्तक

सविता भार्गव के कविता संग्रह ‘थमी हुई बारिश में दोपहर’ की पुस्तक समीक्षा

समकालीन जनमत
पवन करण मैं चुप रहकर समय को चीख़ में बदल देती हूँ.. कवि सविता भार्गव अपने एकांत में निवास करती हैं। एकांत ही उनका प्रकाश...
ख़बर

भारत-पाक के बीच एक और युद्ध नहीं होना चाहिए : दीपंकर भट्टाचार्य

समकालीन जनमत
लखनऊ, 10 मई। भारत-पाक दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। दोनों के बीच युद्ध नहीं होना चाहिए। आतंकवाद और आपसी तनाव का हल कूटनीतिक रास्ते...
इतिहास

1857 : साझी शहादत साझी विरासत की जीवित दास्तान

समकालीन जनमत
शम्सुल इस्लाम    1857 की जंग-ए-आज़ादी में हिन्दू-मुस्लमान-सिख साझी क़ुर्बानियों की हैरत-अंगेज़ अनकही दास्तानें : साझी विरासत जिसका हिन्दुत्वादी टोली मालियामेट करने में लगी है...
इतिहास

1857 : आजाद कानपुर का प्रशासन और अजीमुल्ला खां

समकालीन जनमत
आलोक कुमार श्रीवास्तव    1857 के स्वाधीनता संग्राम में ब्रिटिश सेना को पीछे धकेलने वाले नगर कानपुर के लोगों ने जून और जुलाई 1857 में...
जनमत

पहलगाम आतंकी हमला और युद्ध उन्मादी हिन्दुत्व

जयप्रकाश नारायण  रूस यूक्रेन के बीच मे चल रहे युद्ध को लेकर भारत में गोदी मीडिया और आरएसएस प्रचार तंत्र में ऐसा वातावरण बनाया था...
शख्सियत

अग्निपुष्प कभी मुरझाते नहीं

(समकालीन जनमत के संस्थापक संपादक और कर्मकर्ता कवि अग्निपुष्प अब जीवित स्मृति बन चुके हैं। उन्हें समर्पित की गई ये भावभीनी श्रद्धांजलियां हमें आग के...
जनमत

आतंकवाद का अमानवीय चेहरा और युद्ध की चीख-पुकार

जयप्रकाश नारायण  पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकवादियों के कायराना हमले में 26 पर्यटकों की हत्या की पृष्ठभूमि में भारतीय उपमहाद्वीप में युद्ध के घने...
कविता

मनोज मल्हार की कविताएँ अपने समय और परिवेश की गहन पड़ताल हैं।

देवेन्द्र कुमार चौधरी कोई कवि कितना महत्वपूर्ण होता है इस बात से पता चलता है कि वह अपने समय, अपने आसपास के जीवन और परिवेश...
पुस्तक

श्रुति कुशवाहा के कविता संग्रह ‘सुख को भी दुःख होता है’ की पुस्तक समीक्षा

पवन करण इन दिनों मर्जियों का शासन है….. मेरा भोजन, मेरे कपड़े मेरी आस्था पर भारी है ….उनकी मर्जी कवि श्रुति कुशवाहा के कविता संग्रह...
पुस्तक

ज्योति रीता के कविता संग्रह ‘अतिरिक्त दरवाज़ा’ की पुस्तक समीक्षा

समकालीन जनमत
पवन करण   स्त्रियों को तो बिगड़ना ही था, स्त्रियों ने बिगड़ने में बहुत वक्त़ लगा दिया.. स्त्री कितनी दूर तक होती है? खुद को...
कविता

सपना चमड़िया की कविताएँ : कविता में सहज प्रतिरोध की अभिव्यक्ति

समकालीन जनमत
रामायन राम अस्मिता विमर्श और उसके साहित्य के विषय में यह आम धारणा है कि यह एक स्व – केंद्रित विमर्श है यानि अस्मिताएँ अपने...
पुस्तक

संजीव कौशल के कविता संग्रह ‘फूल तारों के डाकिए हैं’ की पुस्तक समीक्षा

समकालीन जनमत
पवन करण आदमी के अपराध औरत की भेंट चाहते हैं यह सबक वह पिट-पिटकर सीख रही है- संजीव कौशल की कविता की स्त्रियों से (...
कविता

बाबासाहेब भीमराव आम्‍बेडकर की जयंती पर जसम ने किया काव्‍य-गोष्‍ठी का आयोजन

समकालीन जनमत
नई दिल्ली। बाबासाहेब भीमराव आम्‍बेडकर की जयंती पर जन संस्कृति मंच (जसम) के द्वारा  काव्‍य-गोष्‍ठी का आयोजन भाकपा माले के सांसद सुदामा प्रसाद के दिल्ली आवास...
जनमतदुनिया

ट्रेड, टैरिफ, ट्रंप और ट्रम्फेट

समकालीन जनमत
जयप्रकाश नारायण  डोनांल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ही विश्व में एक खास तरह की हलचल देखी जा रही है...
जनमत

भारत का संविधान : जन अधिकार और लोकतान्त्रिक मूल्यों का प्रतिबिम्ब

समकालीन जनमत
रामायन राम  (संविधान निर्माता डाॅ. भीमराव अम्बेडकर की 134वीं जयन्ती पर भारतीय संविधान में जनता के अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के निर्माण  को लेकर लिखा...
पुस्तक

रूपम मिश्र के काव्य संग्रह ‘एक जीवन अलग से’ की समीक्षा

समकालीन जनमत
पवन करण एक अभुआता समाज कायनात की सारी बुलबुलों की गर्दन मरोड़ रहा है….! रुपम मिश्र की कविताएँ हिंदी कविता की समृद्धि की सूचक हैं।...
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