समकालीन जनमत

Author : समकालीन जनमत

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जनमत

युवाओं की जेब और संघियों का औरंगज़ेब

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आजकल आरएसएस ने अपने आनुसांगिक संगठनों और कार्यकर्ताओं द्वारा  औरंगजेब की कब्र के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है। जिसकी कमान  बजरंग दल और विश्व हिंदू...
कहानी

बंद दरवाज़ा: विनीता बाडमेरा की कहानी

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बंद दरवाज़ा विनीता बाडमेरा की कहानी सामान्य मनुष्यों के पास भी हजारों कहानियाँ होती हैं पर वह कहानी कह नहीं पाता,लिख नहीं पाता। कहानीकार उन्हीं...
कविता

वसुंधरा यादव की कविताएँ मनुष्य-जीवन के संगीत के प्रति सघन आस्था से लबरेज़ हैं

तनुज कुमार कविता की दुनिया में रचनात्मक कदम-ताल की इतिश्री के कई रास्ते हैं. यहाँ अभिजात्य और कुरूप के बीच द्वंद्व भी है और साम्य...
कहानी

अरहर की दाल ( कहानी)

समकालीन जनमत
आलोक कुमार श्रीवास्तव  एंड्रॉएड फोन पास न होने का दर्द इन दिनों अक्सर ही सतह पर आ जाता है। मन में एक कचोट-सी उठती है।...
जनमत

बिहार चुनाव भारत के लिए बेहद अहम- दीपांकर भट्टाचार्य

समकालीन जनमत
भाकपा (माले) महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य बताते हैं कि बिहार का चुनाव भारत के भविष्य के लिए बेहद अहम है.यह चुनाव देश के संविधान, आज़ादी और...
कहानी

आला-बाला-मकड़ी का जाला

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अमित श्रीवास्तव  (इस कहानी को एआई -चैट जीपीटी- 04 O- के सहयोग से लिखा गया है।) साहिबान-ए-करम, मेहरबान, और कद्रदान! मैं हूँ दास्ताँ तराश—एक अदना...
कविता

सुप्रिया मिश्रा की कविताएँ प्रेम में सहारे की नहीं साथीपन की तलाश हैं

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नाज़िश अंसारी अनुभव सिन्हा निर्देशित “तुम बिन” फिल्म की ग़ज़ल “कोई फ़रियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे” में बहुत पहले ही हीरो ने हीरोइन...
ज़ेर-ए-बहस

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला स्तब्धकारी

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दिनांक 17 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश राम मनोहर नारायण मिश्र के द्वारा नाबालिग बच्ची के खिलाफ यौन शोषण के मामले में अपने...
ज़ेर-ए-बहस

‘प्रोजेक्ट चीता’ मनुष्यों और पशुओं दोनों के लिये अनैतिक एवं अनुचित हैः अध्ययन  

आथिरा पेरिंचेरी स्थानीय लोगों से इस प्रोजेक्ट के बारे में न तो कोई सलाह-मशविरा किया और न ही उन्हें इसकी कोई जानकारी ही दी गयी...
कविता

शिवांगी गोयल की कविताएँ और स्त्री अस्तित्व का आधुनिक स्वर

समकालीन जनमत
माया मिश्र आज जब हम इक्कीसवीं सदी का एक चौथाई हिस्सा जी चुके हैं तब यह प्रश्न अपने समूचेपन में हमारे सामने बार बार खड़ा...
कविता

हेमन्त कुमार की कविताएँ सभ्यता-विकास को प्रश्नांकित करती हैं

कौशल किशोर डॉ. हेमन्त कुमार की कविता में ‘कटघरे के भीतर’  जीवन की पड़ताल हेमंत कुमार की कविताओं में प्रकृति, पर्यावरण, चिड़िया, गौरैया, जंगल, पहाड़,...
जनमत

भारतीय महिला वैज्ञानिकों की चुनौतियाँ

समकालीन जनमत
भारत की आजादी से पहले, विज्ञान में महिलाओं की स्थिति चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि उन्हें गहरे जड़ जमा चुके सामाजिक और सांस्कृतिक मानकों से उत्पन्न महत्वपूर्ण...
कविताजनमत

निदा रहमान की कविताएँ स्त्री जीवन के जद्दोजहद की निर्भीक अभिव्यक्ति हैं

समकालीन जनमत
विपिन चौधरी स्त्री-चेतना को तर्कसंगत दृष्टिकोण देने के साथ-साथ निर्भीक अभिव्यक्ति को अपनाए जाने की समझ प्रदान करने वाली विधा कविता में स्त्री रचनाकार एक...
कविता

अमरेन्‍द्र कुमार की कविताओं में काव्‍य परंपरा का बोध अभिव्यक्त होता है

समकालीन जनमत
कुमार मुकुल   अमरेन्‍द्र कुमार की कविताएँ पढ़ते लगता है कि अरसा बाद कोई सचमुच का कवि मिला है, अपनी सच्‍ची जिद, उमंग, उल्‍लास और...
जनमत

संघी डीएनए और संयुक्त राज्य अमरीका से भारतीय नवजवानों की वापसी

समकालीन जनमत
जयप्रकाश नारायण  डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के पद की शपथ  लेने के तुरंत बाद लिए जा रहे फैसलों से वैश्विक संकट खड़ा होने जा...
ज़ेर-ए-बहस

जंजीरों में जकड़े आजादी की धरती पर

समकालीन जनमत
( इसी बीच निर्वासितों के दो जत्थे, 119 और 157 लोगों के, और भी आ चुके हैं, वैसे ही हालात में और उसी हवाई अड्डे...
कविता

अपराजिता अनामिका की कविताएँ पुरुष प्रधान समाज से प्रतिवाद करती स्त्री अस्मिता की पक्षधर हैं

समकालीन जनमत
गुंजन विधान किसी कवि के शुरुआती दौर में जो आवेग और मौजूदा सामाजिक ढांचे के साथ ऐतिहासिक समझ होनी चाहिए वह अपराजिता अनामिका में मौजूद...
जनमत

‘आप’ के रास्ते भाजपा की दिल्ली में वापसी

समकालीन जनमत
जयप्रकाश नारायण  भाजपा भारी बहुमत से दिल्ली की विधानसभा मे वापस आ गई है। इसके लिए उसे 27 वर्षों तक इंतजार करना पड़ा। भाजपा की...
कविता

सत्यम तिवारी की कविताएँ व्यवस्था के दंभ से व्यक्ति के भीतर पनप रहे अन्तर्द्वंद को व्यक्त करती हैं

समकालीन जनमत
अनुराग यादव सफलता की नयी-नयी मिसालें स्थापित करने के वर्तमान समय में एक व्यक्ति के भीतर बढ़‌ती बेचैनी को दर्शाने का सफ‌ल प्रयास सत्यम तिवारी...
जनमत

ठन्डे उत्तरों के पीछे खौलते सवालों की कविता

समकालीन जनमत
मनीष आज़ाद मौमिता आलम की ही समकालीन कवि और दलित एक्टिविस्ट मीना कंडासामी कविता के बारे में कहती हैं कि यह वह जगह है, जहाँ...
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