समकालीन जनमत

Tag : समकालीन हिंदी कविता

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श्रीधर करुणानिधि की कविताएँ जटिल और क्रूर समय को व्यंजित करती हैं

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योगेश प्रताप शेखर श्रीधर करुणानिधि के दो कविता–संग्रह प्रकाशित हुए हैं | ‘खिलखिलाता हुआ कुछ’ और ‘पत्थर से निकलती कराह’ | उन का पहला कविता...
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वंदना मिश्रा की कविताएँ स्त्री जीवन की जटिलताओं को उकेरती हैं

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अमरजीत कौंके हिंदी की समकालीन स्त्री कविता में वंदना मिश्रा एक महत्वपूर्ण नाम है .उनकी कविताएँ समकालीन समाज के संकटों और विसंगतियों को अपने कलेवर...
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प्रतिभा चौहान की कविताएँ प्रकृति और सृष्टि की पक्षधरता का विमर्श हैं

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शिरोमणि महतो सुपरिचित कवयित्री प्रतिभा चौहान की कविताएँ हिन्दी के वैविध्यपूर्ण साहित्यिक संसार में एक अलग स्थान रखती हैं। यूँ तो अनेक विषयों पर कविताएँ...
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अमरजीत कौंके की कविताओं में आम आदमी का जीवन और संघर्ष प्रमुखता से झलकता है।

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निरंजन श्रोत्रिय अमरजीत कौंके मूलतः पंजाबी भाषा के कवि हैं। उन्होंने पंजाबी-हिन्दी के बीच अनुवाद की महत्वपूर्ण आवाजाही की है। इन सबके साथ वे हिन्दी...
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सरिता संधू की कविताएँ व्यवस्था की आँखों में झाँकती संवेदनाएँ हैं

हीरालाल राजस्थानी सरिता संधू पिछले दो सालों से दलित लेखक संघ से जुड़ी हुई हैं। उनकी विशेषता है कि संगठन के प्रति अपने कर्तव्यों का...
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आनंद बहादुर की कविताएँ जीवन की अंतर्यात्रा को उकेरती हैं

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विनय सौरभ   नहीं होने ने जो थोड़ी सी जगह खाली की है वह मैं हूँ एक दिन नहीं होना किसी जगह से आएगा और...
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पुरू मालव की कविताएँ एक आत्मीय आग्रह के साथ बड़े सवालों पर बात करती हैं

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निरंजन श्रोत्रिय   युवा कवि पुरू मालव की आसान-सी दिखने वाली ये कविताएँ हमारे भीतर एक फोर्स के साथ खुलती हैं। वह चाहे विस्थापन का...
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मोहन कुमार डहेरिया की कविताएँ व्यक्तिगत और सामूहिक अभिव्यक्ति को सशक्त और बेचैन होकर ज़ाहिर करती हैं

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पीयूष कुमार आत्मा के पेड़ पर बैठा कवि मोहन कुमार डहेरिया की कविताओं में मनुष्यविरोधी समय का अतियथार्थ अपनी विकलताओं और भावसघनाओं के साथ आता...
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पीयूष कुमार की कविताएँ प्रकृति, प्रेम और सरोकारों की बानगी हैं

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रजत कृष्ण किसी भी रचनाकार की उपस्थिति से प्रचलित साहित्य धारा में उसके जीवन सरोकार, भाव संवेदना, सौंदर्य दृष्टि और तत्कालीन जीवन संघर्ष आदि में...
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अनिल अनलहातु की कविताएँ हमारी हताशा और जिजीविषा का अन्तर्द्वन्द्व हैं

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प्रभात मिलिंद अनिल अनलहातु हमारे समय के विरल और अनिवार्य कवि हैं. कविताओं में वक्रोक्तियों का कारुणिक प्रयोग कैसे संभव हो सकता है, व्यंग्य में...
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शिरोमणि महतो की कविताओं की प्रकृति देशज है।

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निरंजन श्रोत्रिय युवा कवि शिरोमणि महतो की इन कविताओं में भाषा और अनुभवों की ताजगी साफ देखी जा सकती है। इन कविताओं मे कवि ने...
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उर्मिल मोंगा की कविताएँ स्वप्न और उम्मीद जगाती हैं

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कौशल किशोर कहा जाता है कि मानवीय दर्द का एहसास व अनुभूति तथा मुक्ति की कलात्मक अभिव्यक्ति ही आज की कविता है। भाव, विचार व...
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यूनुस ख़ान की कविताएँ जीवन और समय की जटिलताओं को दर्ज करती हैं

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निरंजन श्रोत्रिय सरलता का शिल्प सबसे जटिल होता है। जीवन और समय की जटिलताओं को कविता के जटिल शिल्प में ढाल देना एक रूपान्तरण हो...
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बोधिसत्व की कविताएँ सच सरेआम कहने के हुनर का शिल्प हैं

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भरत प्रसाद बोधिसत्व की पहचान 90 के दशक के प्रमुख कवि के तौर पर बनी, जो आजतक कायम है। हम जो नदियों का संगम हैं-2002...
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सुनीता ‘अबाबील’ की कविताएँ स्त्री पीड़ा की अंतर यात्रा हैं

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हीरालाल राजस्थानी बेशक ही दलित व हिंदी साहित्य में स्त्री विमर्श को स्थान मिलता रहा है। खासतौर पर कविता विधा में, जहाँ शुरुआती दौर में...
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रमेश ऋतंभर की कविताओं में सामूहिकता की भावना शिद्दत से अभिव्यक्त होती है

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पंकज चौधरी समकालीन हिन्दी कविता में दो तरह की कविताएँ अधिक प्रामाणिक और विश्वसनीय कही जा सकती हैं। एक तो वे कविताएँ, जिन्हें लिखने वाले...
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श्याम अविनाश की कविता: अदृश्य से जन्मता है दृश्य

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आनंद बहादुर   …दूर नीम का एक पेड़ भींग रहा है या नहीं दूर से दिखता नहीं है किसी का भींगना… मांदल की आवाज के...
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अरुण आदित्य वक्र उक्ति के सहज कवि हैं

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बोधिसत्व कवि अरुण आदित्य की कविता हिंदी में कहाँ उपस्थित है इस बात का आकलन इन पंद्रह कविताओं से नहीं किया जा सकता। वे स्थापित...
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पूनम सोनछात्रा की कविताएँ प्रेम और दर्शन के महीन सिरे हैं

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नवीन रांगियाल कई बार मैं महसूस करता हूँ कि कविताएँ किसी की नींद की तरह होनी चाहिए. उसकी धड़कन की हल्‍की आवाज़ें महसूस करने की...
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सुंदर चंद ठाकुर की कविताएँ मर्मभेदी यथार्थ को उजागर करती हैं

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कुमार मुकुल फौजी, संपादक और मैराथन दौड़ाक सुंदर चंद ठाकुर के भीतर इतना संवेदनशील कवि निवास करता है यह नहीं जान पाता अगर उनकी ‘चयनित...
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