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उर्दू की क्लास : मुलज़िम और मुजरिम का फ़र्क़

( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम की शृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की बारहवीं          क़िस्त में मुलज़िम और मुजरिम के फ़र्क़ के बहाने उर्दू भाषा के पेच-ओ-ख़म को जानने की कोशिश. यह शृंखला हर रविवार प्रकाशित हो रही है . सं.) 

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ख़ुदा न ख़्वास्ता अगर आपको कभी पुलिस-थाने या कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाना पड़ा हो तो मुलज़िम और मुजरिम जैसे शब्दों से ज़रूर वास्ता पड़ा होगा. क़ानूनी शब्दावली और क्राइम रिपोर्टिंग में इस्तेमाल होने इन दोनों शब्द को लेकर लोग अक्सर कंफ्यूज़ हो जाते हैं, जिससे अर्थ का अनर्थ हो जाता है.

जैसे किसी को “मुलज़िम” की जगह “मुजरिम” बोल देना अपने आप में किसी जुर्म से कम नहीं है. क्यूंकि “मुल्ज़िम” का मतलब होता है “आरोपी” यानी जिस पर इल्ज़ाम (आरोप) लगा हो. अंग्रेजी में कहें तो accused.

वहीं “मुजरिम” का अर्थ है “दोषी” यानी convict . दूसरे शब्दों में कहें तो जिस पर/के ख़िलाफ़ आरोप सिद्ध हो गया हो या जिसके ख़िलाफ़ लगाया गया आरोप सही साबित हो गया हो वो मुजरिम है।

और हाँ, अगर आप कहीं ये सोच रहे हों कि ख़ुदा न ख़्वास्ता क्या बला है तो आपको बताता चलूँ की ख़ुदा न ख़्वास्ता का मतलब होता है : God forbid मतलब ख़ुदा , ईश्वर, अल्लाह, भगवान न करे…

ख़ुदा-न-ख़ास्ता से याद आया कि मशहूर उर्दू राइटर शौकत थानवी की एक नॉवेल है जिसका नाम है : ख़ुदा-न-ख़ास्ता।

मुलज़िम और मुजरिम की ही तरह एक और शब्द है उर्दू में, मुलाज़िम।

मुलाज़िम का मतलब होता है Servent यानी ग़ुलाम, दास, सेवक, नौकर.

जैसे आपने लोगों बोलते सुना होगा : मैं आपका मुलाज़िम नहीं हूँ या फ़िर आप मेरे साथ मुलाज़िम जैसा बर्ताव नहीं कर सकते। वैसे, लोग ऐसे भी कहते हैं : आप मेरे साथ मुजरिम जैसा बर्ताव न करें।

मुलाज़िम पर यासिर ख़ान का ये शेर देखिये :

“दफ़्तर-ए-इश्क़ का सरकारी मुलाज़िम हूँ मैं

लौट जाऊँगा तिरी दीद की रिश्वत ले कर”

यहाँ दफ़्तर का मतलब ऑफिस, दीद का मतलब दर्शन या दीदार. और रिश्वत के मतलब से तो आप बख़ूबी वाक़िफ़ हैं।

 

(महताब आलम एक बहुभाषी पत्रकार और लेखक हैं। हाल तक वो ‘द वायर’ (उर्दू) के संपादक थे और इन दिनों ‘द वायर’ (अंग्रेज़ी, उर्दू और हिंदी) के अलावा ‘बीबीसी उर्दू’, ‘डाउन टू अर्थ’, ‘इंकलाब उर्दू’ दैनिक के लिए राजनीति, साहित्य, मानवाधिकार, पर्यावरण, मीडिया और क़ानून से जुड़े मुद्दों पर स्वतंत्र लेखन करते हैं। ट्विटर पर इनसे @MahtabNama पर जुड़ा जा सकता है ।)

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इस शृंखला की पिछली कड़ियों के लिंक यहाँ देखे जा सकते हैं :

उर्दू की क्लास : नुक़्ते के हेर फेर से ख़ुदा जुदा हो जाता है

उर्दू की क्लास : क़मर और कमर में फ़र्क़

उर्दू की क्लास : जामिया यूनिवर्सिटी कहना कितना मुनासिब ?

उर्दू की क्लास : आज होगा बड़ा ख़ुलासा!

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उर्दू की क्लास : क़वायद तेज़ का मतलब

उर्दू की क्लास : ख़िलाफ़त और मुख़ालिफ़त का फ़र्क़

उर्दू की क्लास : नाज़नीन, नाज़मीन और नाज़रीन

उर्दू की क्लास : शब्बा ख़ैर या शब बख़ैर ?

उर्दू की क्लास : ज़ंग और जंग का फ़र्क़ ?

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