समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

कविता

अंकिता रासुरी की कविताएँ विषय विविधता से पूर्ण अदम्य साहस की अभिव्यक्ति हैं

समकालीन जनमत
पुरु मालव अंकिता रासुरी की कविताओं में वो विषय-क्षेत्र भी सहजता से प्रविष्ट हो जाते हैं जिनकी ओर प्रायः कवि दृष्टिपात करने से भी बचते...
स्मृति

विजय बहादुर राय का जाना लोकबंधु राज नारायण द्वारा गढ़ी गई सोसलिस्ट पीढ़ी की आखिरी कड़ी का टूटना है

जयप्रकाश नारायण 
भाई साहब विजय बहादुर राय का जाना संसोपा कालीन सोसलिस्ट नेताओं की आखिरी पीढ़ी का चला जाना है। लोकबंधु बंधु राज नारायण की समाजवादी दृढ़ता,...
पुस्तक

फासीवादी निजाम के ख़िलाफ़ सच कहने का साहस

समकालीन जनमत
आलोक कुमार श्रीवास्तव   अमीरों के खान-पान संबंधी चोंचले बहुत हैं। काजू की रोटी उन्हीं चोंचलों में से एक है। निम्न और मध्यवर्गीय लोगों के...
साहित्य-संस्कृति

कविता युग की नब्ज धरो !

समकालीन जनमत
 उषा राय  ‘हजार साल पुराना है उनका गुस्सा हजार साल पुरानी है उनकी नफरत मैं तो सिर्फ उनके बिखरे हुए शब्दों को लय और तुक...
कविता

पम्मी राय की कविताएँ प्रतिबद्धता और दूरगामी यात्रा की संकेत हैं

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय युवा कवयित्री पम्मी राय की कविताओं में कुछ अनगढ़पन-सा पाठकों को लग सकता है। ऐसा इसलिए भी कि पम्मी ने अभी-अभी ही कविता...
साहित्य-संस्कृति

“ हमारे समय के सार्थक कवि हैं घनश्याम त्रिपाठी ”

समकालीन जनमत
भिलाई। जन संस्कृति मंच, दुर्ग-भिलाई के तत्वावधान में 21 जनवरी को भिलाई के कवि घनश्याम त्रिपाठी के द्वितीय काव्य संग्रह ‘ जो रास्ता संघर्षमय होता...
साहित्य-संस्कृति

राजीव प्रकाश साहिर की कहानी में दिखता है विकास का संवेदनहीन खौफनाक चेहरा

समकालीन जनमत
लखनऊ। जन संस्कृति मंच की ओर से ‘लेखक के घर चलो’ की श्रृंखला के तहत 18 जनवरी को उर्दू के अफसाना निगार राजीव प्रकाश साहिर...
साहित्य-संस्कृति

कवियों के कवि शमशेर की ऐलम में याद

संजय जोशी
कवि शमशेर बहादुर सिंह के 114 वें जन्मदिन पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले में स्थित एलम में नौजवान भारत सभा, जन संस्कृति मंच...
पुस्तक

पिकेटी का हालिया चिंतन और समाजवाद का सपना

गोपाल प्रधान
2021 में येल यूनिवर्सिटी प्रेस से थामस पिकेटी की फ़्रांसिसी में 2020 में छपी किताब का अंग्रेजी अनुवाद ‘टाइम फ़ार सोशलिज्म: डिसपैचेज फ़्राम ए वर्ल्ड...
कविता

सीमा सिंह की कविताएँ समय की चमकदार जकड़बंदियों से टकराती हैं

शालिनी सिंह सीमा सिंह की कविताओं में प्रवेश के लिए आपको पूर्वाग्रह के समस्त पैरहन उतार कर आना होगा क्योंकि ये कविताएँ हमारे समय के...
स्मृति

पीढ़ियों तक याद किए जाएंगे चित्रकार राजकुमार सिंह

समकालीन जनमत
भूपेन्द्र कुमार अस्थाना   कहते हैं कि एक अच्छा कलाकार वही बन सकता है जो एक अच्छा इंसान बन कर जीता है, लोगों के दुख...
कविता

आशुतोष कुमार की कविताएँ समय के व्यर्थताबोध से आगे बढ़ने का हौसला हैं

समकालीन जनमत
चंद्रभूषण अयोध्या यह चिट्ठी पढ़े न पढ़े, आप तो पढ़ें .. आज जब अयोध्या में रामलला का मंदिर ‘वहीं’, ‘उसी जगह’, एक राष्ट्रव्यापी हंगामे से...
पुस्तक

पूंजीवाद की दुनिया और उसकी कार्यपद्धति

गोपाल प्रधान
2022 में वर्सो से विवेक छिब्बर की किताब ‘कनफ़्रंटिंग कैपिटलिज्म: हाउ द वर्ल्ड वर्क्स ऐंड हाउ टु चेंज इट’ का प्रकाशन हुआ । लेखक का...
कविता

अरविंद पासवान की कविताएँ साफगोई का सौंदर्य हैं

समकालीन जनमत
श्रीधर करुणानिधि सरलता का अपना सौंदर्य होता है। निश्छल हृदय की बातें और भोली उन्मुक्त हँसी बरबस ध्यान खींच लेती हैं। जब चारों ओर कोलाहल...
पुस्तक

कोमिंटर्न के इतिहास का खाका

1996 में मैकमिलन प्रेस से केविन मैकडर्मट और जेरेमी एग्न्यू की किताब ‘द कोमिंटर्न: ए हिस्ट्री आफ़ इंटरनेशनल कम्युनिज्म फ़्राम लेनिन टु स्तालिन’ का प्रकाशन...
साहित्य-संस्कृतिस्मृति

अलविदा कामरेड मीना राय : सहजता और कर्मठता विचार से आती है और संघर्षों में हासिल होती है

के के पांडेय
17 दिसंबर 2023 को इलाहाबाद का अंजुमन रूहे अदब जो इलाहाबाद के हिंदी उर्दू अदब के न जाने कितने जलसों का गवाह रहा है लेकिन...
कविता

कविता नए दुखों की पहचान करती है- आशुतोष कुमार

समकालीन जनमत
नई दिल्ली। सिद्धांत फाउंडेशन द्वारा 23 दिसंबर को दिल्ली में वल्लभ के काव्य-संकलन ‘पोतराज’ पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में वरिष्ठ आलोचक आशुतोष...
संस्मरण

जोश मलीहाबादी की आत्मकथा “यादों की बारात” से पंडित जवाहर लाल नेहरू

समकालीन जनमत
यह अंश उर्दू शायर जोश मलीहाबादी की आत्मकथा “यादों की बरात” से लिया गया है। जोश मलीहाबादी का जन्म 5 दिसंबर 1898 में लखनऊ के...
पुस्तक

कोमिंटर्न और स्त्री आंदोलन

गोपाल प्रधान
2023 में ब्रिल से माइक ताबेर और दारिया द्याकोनोवा के संपादन में ‘द कम्युनिस्ट वीमेन’स मूवमेंट, 1920-1922: प्रोसीडिंग्स, रेजोल्यूशंस, ऐंड रिपोर्ट्स’ का प्रकाशन हुआ ।...
कविता

ख़ुदेजा ख़ान की कविताएँ सिस्टम की मार सहते नागरिक की आवाज़ हैं

उमा राग
मेहजबीं ख़ुदेजा ख़ान की कविताएँ अपने वर्तमान समय का दस्तावेज़ हैं। उनकी कविता के केन्द्र में आम लोग हैं, मतदाता हैं, बूढ़े हैं, बच्चे हैं,...
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