समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

स्मृति

‘ आर के सिन्हा वैचारिक स्कूल थे ’

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लखनऊ, 9 सितंबर। मार्क्सवादी चिन्तक और जन संस्कृति मंच (जसम) के राज्य पार्षद तथा लखनऊ इकाई के उपाध्यक्ष आर के सिन्हा का विगत 27 अगस्त...
कविता

रहमान की कविताएँ प्रेम में बराबरी की पैरोकार हैं

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मेहजबीं “मेरे जीवन में तुम सरई का फूल हो।” युवा कवि रहमान की अभिव्यक्ति के केन्द्र में प्रेम है। काव्य कला की बात करें उनकी...
कविता

रुचि बहुगुणा उनियाल की कविताओं में मानवीय रिश्तों की मिठास और गर्माहट है

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गणेश गनी ‘बिछोह में ही लिखे जाते हैं प्रेम-पत्र’ रुचि बहुगुणा उनियाल उत्तराखंड से सम्बद्ध हिंदी कवयित्री हैं। विभिन्न विषयों पर कविताएँ लिखने वाली रचनाकार...
कविता

संजीव गुप्त की कविताएँ फैन्टेसी, इमेजरी और वैज्ञानिक प्रसंगों का सर्जनात्मक समुच्चय हैं।

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निरंजन श्रोत्रिय साहित्य में वायवीयता होती है। कल्पना रचनात्मक साहित्य की प्रकृति है लेकिन किसी भी रचना की विश्वसनीयता के लिए यह आवश्यक है कि...
पुस्तक

कला में प्रतिरोध

गोपाल प्रधान
  2023 में लेफ़्टवर्ड से ब्रह्म प्रकाश की किताब ‘ बाडी आन द बैरीकेड्स: लाइफ़, आर्ट ऐंड रेजिस्टेन्स इन कनटेम्पोरेरी इंडिया ’ का प्रकाशन हुआ।...
कविता

चित्रा पँवार की कविताएँ कातर स्त्री मन से बूंद-बूंद रिसती ध्वनियाँ हैं

समकालीन जनमत
अणु शक्ति सिंह मैं चित्रा पँवार की कविताएँ पढ़ रही थी। उन कविताओं को पढ़ते हुए कई बार खयाल आया कि इन कविताओं का एक...
साहित्य-संस्कृति

 जुमई खां ‘आजाद’ की कविताओं में है वर्ग चेतना की विश्वसनीय और धारदार अभिव्यक्ति 

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गिरिडीह। जन संस्कृति मंच, गिरिडीह और ‘ परिवर्तन ‘ पत्रिका के साझे प्रयत्न से गिरिडीह कॉलेज, गिरिडीह के न्यू बिल्डिंग में अवधी भाषा के प्रगतिशील कवि...
साहित्य-संस्कृति

‘ प्रेमचंद का लेखन विषमता, साम्प्रदायिकता, तानाशाही, अंधराष्ट्रवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की प्रेरणा देता है ’

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बलिया। जन संस्कृति मंच की बलिया इकाई ने 11 अगस्त को पीडब्ल्यूडी के कर्मचारी हॉल में ‘ प्रेमचंद और आज का समय ’ विषय पर...
कविता

उज़्मा सरवत की कविताएँ व्यवस्था द्वारा निर्मित यथार्थ का आईना हैं।

मेहजबीं उज़्मा सरवत की कविताएँ समकालीन समय की आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक परिस्थितियों और पूंजीवादी व्यवस्था द्वारा निर्मित यथार्थ का आईना हैं। बहुत नपे-तुले शब्दों में...
जनमतशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

निराला का वैचारिक लेखन: राष्ट्र निर्माण का सवाल और भाषा

दुर्गा सिंह
राष्ट्र निर्माण में भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। निराला भावी राष्ट्र निर्माण को लेकर अपने लेखों और टिप्पणियों में  विचार करते हैं। आजादी की...
कविता

मनीष यादव की कविताएँ स्त्रियों के पक्ष में एक कवि का आर्तनाद हैं

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आदित्य शुक्ल मनीष यादव की कविताएँ भारतीय समाज में स्त्रियों के पक्ष को खोलती हुई जादू रचती हैं। ये कविताएँ स्त्रियों के पक्ष में मुनादी...
सिनेमा

‘लापता लेडीज़’ स्त्री विमर्श पर बनी हुई एक सशक्त फ़िल्म है।

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प्रतिमा राज ‘लापता लेडीज़’ ये फ़िल्म देखिए और दिखाइए। यह स्त्री विमर्श पर बनी हुई एक सशक्त फ़िल्म है। ये फ़िल्म लेखक बिप्ल्व गोस्वामी की...
यात्रा वृतान्त

लखनऊ में यात्रा संस्मरण ‘अपनी धरती अपना आकाश ‘ का विमोचन

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लखनऊ। जन संस्कृति मंच की ओर से कवि व साहित्यकार भगवान स्वरूप कटियार की नई किताब ‘अपनी धरती अपना आकाश’ का इप्टा दफ्तर कैसरबाग ,...
कविता

हिमांशु जमदग्नि की कविताएँ जीवन के विस्तृत आयामों को स्पर्श करती हैं।

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देवेश पथ सारिया युवा कवि हिमांशु जमदग्नि एक गाँव से आते हैं और एक महानगर में पढ़ाई करते हैं। उनकी कविताओं का फलक कम उम्र...
कविता

मधु सक्सेना की कविताएँ प्रतिकूलता का डटकर सामना करती हैं।

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ख़ुदेजा ख़ान मधु सक्सेना की कविताओं का मूल स्वर भले ही स्त्री केंद्रित है तथापि इसमें सामाजिक संदर्भों की एक वृहत्तर शृंखला दिखलाई पड़ती है...
जनमतपुस्तकसाहित्य-संस्कृति

राज्यसत्ता के दमन-उत्पीड़न-अन्याय के बीच प्रेम की पीर का आख्यान

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आलोक  बच्चों के लिए सबसे आरामदेह जगह होती है – माँ की गोद। कभी किसी बच्चे को उसकी माँ की गोद से जबरन अलग करने...
साहित्य-संस्कृति

भारतीय समाज को समझने के लिए ‘ गोदान ’ और ‘ मैला आंचल ’ की अगली कड़ी है ‘अगम बहै दरियाव ’- प्रो रविभूषण

लखनऊ। शिवमूर्ति में कुछ प्रेमचंद भी हैं और कुछ रेणु भी। उनका उपन्यास ‘अगम बहै दरियाव’ कृषक जीवन, ग्रामीण समाज और इसके जरिये पूरे भारतीय...
कविता

ज्ञान प्रकाश की कविताएँ बड़े मार्मिक ढंग से हमारी सुप्त अनुभूतियों को झकझोरती हैं।

समकालीन जनमत
शालिनी सिंह एक कवि होना इतना भर तो नहीं कि उसकी रचनाएँ हर महत्वपूर्ण जगह प्रकाशित होने की लालसा से भरी हों.. न ही मानवीय...
साहित्य-संस्कृति

दलित साहित्य का भविष्य और भविष्य का दलित साहित्य

समकालीन जनमत
रामनरेश राम    बहुत भीषण है यहाँ से आगे कलाओं की दुनिया बहुत दुर्गम हैं यहाँ से आगे संवेदनाओं के रास्ते यहाँ से बदलते हैं...
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