समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

साहित्य-संस्कृति

जसम की घरेलू गोष्ठी का आयोजन, ग़जा में युद्ध विराम के लिए अभियान का संकल्प

समकालीन जनमत
जन संस्कृति मंच की ओर से 17 मार्च, 2024 को तूलिका व मृत्युंजय के घर पर एक घरेलू गोष्ठी हुई। इस गोष्ठी में फैसला किया...
कहानीसाहित्य-संस्कृति

परिवर्तन के कहानीकार हैं मार्कण्डेय

दुर्गा सिंह
आज़मगढ़ विगत 18 मार्च 2024 को आज़मगढ़ के शिब्ली मंजिल सभागार में मार्कंडेय स्मृति  संवाद का आयोजन किया गया।  इस संवाद गोष्ठी का विषय ‘मार्कंडेय...
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कौशल किशोर की किताब भगत सिंह और पाश: अंधियारे का उजाला का हुआ विमोचन

समकालीन जनमत
भगत सिंह व पाश की वैचारिक रोशनी में हमें आगे बढ़ाना है – वन्दना मिश्र लखनऊ। जन संस्कृति मंच और भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा)...
कविता

स्मिता वाजपेयी की कविताएँ स्त्री की स्वतंत्र इयत्ता की आकांक्षा हैं

समकालीन जनमत
रमेश ऋतंभर यह ध्यातव्य हो कि अपने विशिष्ट संघर्ष व अनुभव और उसकी अभिव्यक्ति को लेकर कवयित्रियों ने गंभीरता से समकालीन हिन्दी कविता में अपना...
कविता

अजीत कुमार की कविताएँ जनवाद की स्प्ष्ट अनुगूंज हैं

कमलानंद झा तुम भले ऊँची करो दीवार जितनी हम परिंदे हैं, उसे भी लाँघ जाएँगे। अजीत कुमार वर्मा उन कवियों में हैं जो सिर्फ कविता...
साहित्य-संस्कृति

हिंदी के लोकप्रिय साहित्य का इतिहास

राम नरेश राम
लोकप्रियता को केवल आधार बनाया जाय और विधा में कथा साहित्य के अलावा काव्य को भी शामिल किया जाय तो हिंदी के लोकप्रिय साहित्य का...
साहित्य-संस्कृति

मासिक गोष्ठी में जसम ने उर्दू कथाकार रामलाल को याद किया, असग़र मेहदी और विमल किशोर का कहानी पाठ

लखनऊ। जन संस्कृति मंच, लखनऊ के कार्यक्रम ‘ लेखक के घर चलो’ के तहत रविवार को कवयित्री विमल किशोर और कौशल किशोर के निवास राजाजीपुरम...
कविता

विजय विशाल की कविताएँ शासक वर्ग के चेहरे को कठोरता से बेनक़ाब करती हैं

समकालीन जनमत
गणेश गनी स्मृतियों के सहारे चलते हुए जीवन कभी-कभी खूबसूरत और कभी-कभी यातनामय भी लगने लगता है। यह निर्भर करता है कि बीते समय की...
पुस्तक

नीला कॉर्नफ्लावर: मानवविज्ञान एवं साहित्य के मध्य सेतु

समकालीन जनमत
शरद जायसवाल   वीरेन्द्र प्रताप यादव का पहला उपन्यास ‘नीला कॉर्नफ्लावर’ प्रकाशित होते ही चर्चा में आ गया है। उपन्यास की पहली खूबसूरती उसका शीर्षक...
साहित्य-संस्कृति

यह भारतीय कला का आत्मसम्मान विहीन दौर है – अशोक भौमिक

समकालीन जनमत
लखनऊ। जन संस्कृति मंच की ओर से लेखक और पत्रकार अनिल सिन्हा के स्मृति दिवस की पूर्व संध्या पर 24 फरवरी को सालाना जलसा का आयोजन...
कविता

जितेन्द्र कुमार की कविताएँ विकास की विडंबना को दर्शाती हैं

समकालीन जनमत
कुमार मुकुल आज कस्‍बों और उपनगरों की युवा कविता से जो संघर्ष की धार और तार्किकता गायब होती जा रही है वह जितेन्‍द्र कुमार की...
साहित्य-संस्कृति

सुधीर सुमन की कविताओं में यथार्थ को बदलने की छटपटाहट है : सुरेश कांटक

समकालीन जनमत
आरा। आज बाल हिन्दी पुस्तकालय आरा में जन संस्कृति मंच की ओर से सुधीर सुमन के कविता-संग्रह ‘ सपना और सच ‘ का लोकार्पण और...
कविता

मृगतृष्णा की कविताएँ मुक्ति की आकांक्षा हैं

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय   युवा कवि मृगतृष्णा की ये कविताएँ मुक्ति की आकांक्षा की कविताएँ हैं। यह मुक्ति परम्परा से विद्रोह के रूप में भी है...
साहित्य-संस्कृति

हिंदुत्व प्रतिक्रांति की विचार धारा है – कंवल भारती

समकालीन जनमत
मऊ। प्रो. तुलसीराम स्मृति व्याख्यानमाला के तहत इस शृंखला का आठवाँ व्याख्यान राहुल सांकृत्यायन सृजनपीठ व जन संस्कृति मंच के संयुक्त तत्वावधान में 11 फरवरी...
साहित्य-संस्कृति

निराला का वैचारिक लेखनः राष्ट्र निर्माण का सवाल और जाति-वर्ण

दुर्गा सिंह
निराला के जन्मदिन(बसंत पंचमी)  के अवसर पर प्रस्तुत लेख निराला के लेखन में राष्ट्र निर्माण, स्वाधीनता, धर्म, भाषा व जाति-वर्ण आदि को  रचनात्मक ढंग से...
पुस्तक

कोमिंटर्न और दक्षिणी गोलार्ध

गोपाल प्रधान
2023 में रटलेज से आन्ने गारलैंड माहलेर और पाओलो कापुज़्ज़ो के संपादन में ‘द कोमिंटर्न ऐंड द ग्लोबल साउथ: ग्लोबल डिजाइन/ लोकल एनकाउंटर्स’ का प्रकाशन...
कविता

नताशा की कविताएँ स्त्रीत्व का अन्वेषण और उनका विस्तार करती हैं

समकालीन जनमत
विपिन चौधरी कविता उस मानवीय संस्कृति का नाम है जिसका सीधा संबंध संवेदनाओं से है, इस लिहाज़ से वर्तमान समय में कविता जैसी विधा सबसे...
साहित्य-संस्कृति

लोकप्रिय साहित्य

राम नरेश राम
Any written work that is read, or is intended to be read, by a mass audience is Popular literature. लोकप्रिय साहित्य में इस्तेमाल लोकप्रिय शब्द...
पुस्तक

विकास माॅडल पर सवाल उठाता है ‘ शालडुंगरी का घायल सपना ’

समकालीन जनमत
पटना । “आज जो देश का मुख्य अंतर्विरोध है, ‘शालडुंगरी का घायल सपना’ उस पर उंगली रखता है। एक ओर कारपोरेट पूंजी का तंत्र है, जिसमें...
साहित्य-संस्कृति

लेखक को अपने समय की पड़ताल करनी चाहिए- ज्ञानरंजन

समकालीन जनमत
(प्रख्यात कथाकार व हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में से एक ‘पहल’ के सम्पादक ज्ञानरंजन द्वारा बाँदा में प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान के मौके पर...
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