समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

साहित्य-संस्कृति

‘ मुक्तिबोध ने अंधकार के खिलाफ अपनी कविताओं से ज्योतिशास्त्र लिखा  ’

समकालीन जनमत
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में 13 नवंबर को मुक्तिबोध जयंती के अवसर पर प्रणय कृष्ण की किताब ‘ मुक्तिबोध साहित्य का गति- पथ ‘...
कविता

माया प्रसाद की कविताएँ उस व्यक्ति-मन की प्रतिक्रियाएँ हैं जो अपने परिवेश के प्रति जागरुक और संवेदनशील है।

समकालीन जनमत
प्रज्ञा गुप्ता डॉ माया प्रसाद की कविताएँ उस व्यक्ति-मन की प्रतिक्रियाएँ हैं जो बहुत संवेदनशील है और अपने पूरे परिवेश के प्रति जागरुक है। उनकी...
ख़बरसिनेमा

आरएसएस के विरोध पर आरएनटी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने नौवें उदयपुर फ़िल्म फेस्टिवल को जबरन रोका 

नौवें उदयपुर फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन भोजन के बाद के सत्र में आर एस एस के कार्यकर्ताओं के विरोध और उनके दबाव में कार्यक्रम...
जनमतशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

निराला का वैचारिक लेखन: राष्ट्र निर्माण का सवाल और सामाजिक लोकतंत्र

निराला के निबंधों और टिप्पणियों में राजनीति और समाज को लेकर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श मिलता है। इसमें वे राष्ट्रीय मुक्ति के लिए चलने वाली राजनीति और...
कविता

मंजुल भारद्वाज की कविताएँ दमनात्मक व्यवस्था की त्रासदी को उजागर करती हैं

उमा राग
मेहजबीं मंजुल भारद्वाज एक मंझे हुए रंगकर्मी हैं और एक ज़िम्मेदार कवि भी। उनकी अभिव्यक्ति के केन्द्र में लोकतंत्र संविधान और देश की जनता है।...
साहित्य-संस्कृति

वंचित-दलित और मेहनतकश जनता की परिवर्तन‌कारी क्रांतिकारी ताकत में यकीन का नाम है विजेंद्र अनिल

आरा। जनमित्र कार्यालय, पकड़ी में जन संस्कृति मंच की ओर से तीन नवंबर को जनगीत‌कार और कथाकार विजेंद्र अनिल के सत्रहवें स्मृति दिवस पर उनके...
कविता

कुछ न होगा के विरुद्ध हैं चंद्रभूषण की कविताएँ

समकालीन जनमत
प्रियम अंकित चंद्रभूषण की कविताएँ निरंतर जटिल होते समय में जनता के सहज सरोकारों के पक्ष में खड़ी होने वाली कविताएँ हैं। आज जब एक...
साहित्य-संस्कृति

जसम के स्थापना दिवस पर लखनऊ में परिचर्चा और कविता पाठ

समकालीन जनमत
लखनऊ। जन संस्कृति मंच के स्थापना दिवस के मौके पर 27 अक्टूबर को  जंग और जुल्म के विरोध में परिचर्चा और कविता पाठ का आयोजन...
कविता

संजय कुंदन की कविताएँ स्थगित प्रश्नकाल में ख़तरनाक सवाल की उपस्थिति हैं।

उमा राग
अरुण आदित्य संजय कुंदन की कविताओं में गूंजती विविध आवाजों को सुनें तो लगता है कि शास्त्रीयता के बोझ से मुक्त यह कविता दरअसल कविता...
कविता

अनुराग यादव की कविताएँ अपने समय और समाज को देखने का विवेक हैं।

समकालीन जनमत
शंकरानंद कविता की दुनिया में अभी कई पीढ़ियाँ एक साथ सक्रिय हैं और इसी बीच नए लोग भी आ रहे हैं जिनकी उपस्थिति चकित करती...
कविता

आशीष तिवारी की कविताएँ सामूहिक प्रतिरोध का आह्वान करती हैं।

समकालीन जनमत
विपिन चौधरी जहाँ हिन्दी साहित्य में कई युवा रचनाकारों ने अपनी आमद से आश्वस्त किया है ऐसे ही एक युवा कवियों की फ़ेहरिस्त में एक...
साहित्य-संस्कृति

नहीं रहे जनपक्षधर, जुझारू जर्नलिस्ट और हिंदी—उर्दू—पंजाबी अदब के शैदाई अमरीक

समकालीन जनमत
स्मृतिशेष : लेखक—पत्रकार अमरीक तुम देश छोड़ने का कह रहे थे, दोस्त ! ये क्या किया, तुमने तो दुनिया ही… —ज़ाहिद ख़ान जनपक्षधर, जुझारू जर्नलिस्ट...
कविता

ध्रुवदेव मिश्र पाषाण : सार्थक को सिरजने का सर्जक

कौशल किशोर
आज हिंदी कविता के क्षेत्र में ऐसे कवियों की बड़ी और महत्वपूर्ण उपस्थिति है जो बढ़ती उम्र के बावजूद सृजनात्मक रूप से सक्रिय हैं। उनका...
साहित्य-संस्कृति

युवाओं और बेरोजगारों के सबसे आत्मीय कथाकार हैं अमरकांत : प्रणय कृष्ण

समकालीन जनमत
बलिया में ‘ शती स्मरण :अमरकांत ‘ का आयोजन बलिया। जन संस्कृति मंच ने अप्रितम कथाकार अमरकांत की जन्म शती आयोजन की श्रृंखला की शुरुआत...
साहित्य-संस्कृति

‘  हाशिए के समाज के लेखक थे प्रो.चौथीराम यादव ’

समकालीन जनमत
मऊ। राहुल सांकृत्यायन सृजन पीठ और जन संस्कृति मंच के संयुक्त तत्वावधान में संत साहित्य व दलित विमर्श के व्याख्याता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी...
कविता

श्रुति कुशवाहा की कविताओं में स्त्री विमर्श एक आक्रामक तेवर के साथ उपस्थित है।

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय स्त्री विमर्श जब ठंडा-सा हो तो वह स्त्री के पक्ष में खड़ा ज़रूर नज़र आता है लेकिन उसकी निर्णायक भूमिका संदिग्ध ही होती...
कविता

केतन की कविताएँ वैचारिकी और परिपक्व होते कवित्त का सुंदर समायोजन हैं

अणु शक्ति सिंह कविताओं से गुजरते हुए एक ख़याल जो अक्सर कौंधता है वह कवि की निर्मिति से जुड़ा होता है। वह क्या है जिससे...
जनमतपुस्तक

ज़ीरो माइल अयोध्या

अयोध्या, पिछले दिनों हुए लोकसभा के आम चुनाव के परिणाम आने के बाद, फिर से चर्चा में आ गया। पिछले सात दशकों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक...
साहित्य-संस्कृति

‘ याद ए तश्ना’ कार्यक्रम में ‘तज़किरा’ त्रैमासिक पत्रिका का विमोचन

लखनऊ। जन संस्कृति मंच की ओर से मशहूर अवामी शायर तश्ना आलमी के सातवें स्मृति दिवस के अवसर पर इप्टा दफ़्तर कैसरबाग में ‘ याद...
कविता

आदित्य रहबर की कविताएँ सामाजिक-मानवीय मुद्दों की व्याख्या हैं

समकालीन जनमत
अंशु चौधरी आधुनिक सभ्यता का जब भी आकलन किया जाता है, तब उसकी प्रगति और विकास की कहानी के साथ-साथ, उसके भीतर का विडंबनात्मक संघर्ष...
Fearlessly expressing peoples opinion