समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

कविता

मोहन मुक्त की कविताएँ भाषा में वर्णाश्रमी प्रंपचों को तोड़ने वाली राजनीतिक चेतना की बानगी हैं

समकालीन जनमत
केतन यादव एक पूर्वकथन यह कि मेरी भूमिका मात्र इस कवि से परिचय कराने की होगी बाकि बात कवि की कविताएँ खुद कहेंगी। यह एक...
पुस्तक

‘निराला का कथा साहित्य’ पर आयोजित हुई परिचर्चा

समकालीन जनमत
पूजा   इलाहाबाद, जसम की जिला इकाई की श्रृंखला ‘ किताब पर बातचीत ‘ के अंतर्गत दुर्गा सिंह की किताब ‘ निराला का कथा साहित्य’ ...
स्मृति

भोजपुरी भाषा-साहित्य आंदोलन की जनपक्षीय आवाज थे डॉ. तैयब हुसैन ‘ पीड़ित ’

समकालीन जनमत
डॉ. तैयब हुसैन ‘पीड़ित’ को जन संस्कृति मंच की श्रद्धांजलि  प्रसिद्ध प्रगतिशील-जनवादी कवि, आलोचक, कहानीकार, नाटककार, निबंधकार और संपादक डॉ. तैयब हुसैन पीड़ित आज हमारे...
कविता

रानी कुमारी की कविताएँ मनुष्य की गरिमा के पक्ष में उठाये गए सवाल हैं

समकालीन जनमत
अरविंद पासवान रानी की कविताओं से होकर गुजरना, मानो आईना में अपना ही अक्स देखना है। कवयित्री कल्पना के उड़ान पर सवार नहीं होती, बल्कि...
पुस्तक

सविता भार्गव के कविता संग्रह ‘थमी हुई बारिश में दोपहर’ की पुस्तक समीक्षा

समकालीन जनमत
पवन करण मैं चुप रहकर समय को चीख़ में बदल देती हूँ.. कवि सविता भार्गव अपने एकांत में निवास करती हैं। एकांत ही उनका प्रकाश...
स्मृति

1857 : साझी शहादत साझी विरासत की जीवित दास्तान

समकालीन जनमत
शम्सुल इस्लाम    1857 की जंग-ए-आज़ादी में हिन्दू-मुस्लमान-सिख साझी क़ुर्बानियों की हैरत-अंगेज़ अनकही दास्तानें : साझी विरासत जिसका हिन्दुत्वादी टोली मालियामेट करने में लगी है...
कविता

मनोज मल्हार की कविताएँ अपने समय और परिवेश की गहन पड़ताल हैं।

देवेन्द्र कुमार चौधरी कोई कवि कितना महत्वपूर्ण होता है इस बात से पता चलता है कि वह अपने समय, अपने आसपास के जीवन और परिवेश...
पुस्तक

श्रुति कुशवाहा के कविता संग्रह ‘सुख को भी दुःख होता है’ की पुस्तक समीक्षा

पवन करण इन दिनों मर्जियों का शासन है….. मेरा भोजन, मेरे कपड़े मेरी आस्था पर भारी है ….उनकी मर्जी कवि श्रुति कुशवाहा के कविता संग्रह...
साहित्य-संस्कृति

डॉ. मद्री काकोटी और नेहा सिंह राठौर के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई का विरोध करें-जन संस्कृति मंच 

समकालीन जनमत
लखनऊ। जन संस्कृति मंच (जसम) ने लखनऊ विश्वविद्यालय की सहायक आचार्य डॉ. मद्री काकोटी के खिलाफ जारी किए गए कारण बताओ नोटिस और दर्ज की...
स्मृति

कमलिनी दत्त का निधन भारतीय कला और सांस्कृतिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति है

समकालीन जनमत
कमलिनी दत्त को जन संस्कृति मंच की श्रद्धांजलि भारत की प्रसिद्ध टीवी प्रोड्यूसर, केंद्रीय दूरदर्शन आर्काइव की निदेशक, चर्चित नृत्य निर्देशक, भरत नाट्यम की कुशल...
पुस्तक

ज्योति रीता के कविता संग्रह ‘अतिरिक्त दरवाज़ा’ की पुस्तक समीक्षा

समकालीन जनमत
पवन करण   स्त्रियों को तो बिगड़ना ही था, स्त्रियों ने बिगड़ने में बहुत वक्त़ लगा दिया.. स्त्री कितनी दूर तक होती है? खुद को...
कविता

सपना चमड़िया की कविताएँ : कविता में सहज प्रतिरोध की अभिव्यक्ति

समकालीन जनमत
रामायन राम अस्मिता विमर्श और उसके साहित्य के विषय में यह आम धारणा है कि यह एक स्व – केंद्रित विमर्श है यानि अस्मिताएँ अपने...
संस्मरण

नागफ़नी का दोस्त (3)

दिनेश अस्थाना
( भानु कुमार दुबे ‘मुंतज़िर मिर्ज़ापुरी’ एक तरक्कीपसंद शायर रहे हैं। उनका जन्म 26 सितंबर 1953 को हुआ था। आज से दो साल पहले 28...
पुस्तक

पिंजरे में बंद चीनी पूंजीवाद

गोपाल प्रधान
चीन के किसी भी सावधान पर्यवेक्षक से यह तथ्य छूट नहीं सकता कि वह इस समय आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है । साथ...
साहित्य-संस्कृति

जसम की रायपुर ईकाई का पुनर्गठन, आनंद बहादुर अध्यक्ष और इंद्र कुमार राठौर सचिव बने 

रायपुर। छत्तीसगढ़ में जन संस्कृति मंच की रायपुर ईकाई का पुनर्गठन किया गया है. रविवार को यहां अपना मोर्चा के शंकर नगर स्थित कार्यालय में...
पुस्तक

संजीव कौशल के कविता संग्रह ‘फूल तारों के डाकिए हैं’ की पुस्तक समीक्षा

समकालीन जनमत
पवन करण आदमी के अपराध औरत की भेंट चाहते हैं यह सबक वह पिट-पिटकर सीख रही है- संजीव कौशल की कविता की स्त्रियों से (...
कविता

बाबासाहेब भीमराव आम्‍बेडकर की जयंती पर जसम ने किया काव्‍य-गोष्‍ठी का आयोजन

समकालीन जनमत
नई दिल्ली। बाबासाहेब भीमराव आम्‍बेडकर की जयंती पर जन संस्कृति मंच (जसम) के द्वारा  काव्‍य-गोष्‍ठी का आयोजन भाकपा माले के सांसद सुदामा प्रसाद के दिल्ली आवास...
पुस्तक

नस्ली पूंजीवाद का विरोध

गोपाल प्रधान
2023 में प्लूटो प्रेस से सलीम वाली और अनवर मोताला के संपादन में नेविल अलेक्जेंडर की किताब ‘ अगेंस्ट रेशियल कैपिटलिज्म : सेलेक्टेड राइटिंग्स ’...
संस्मरण

नागफ़नी का दोस्त (2)

दिनेश अस्थाना
( भानु कुमार दुबे ‘मुंतज़िर मिर्ज़ापुरी’ एक तरक्कीपसंद शायर रहे हैं। उनका जन्म 26 सितंबर 1953 को हुआ था। आज से दो साल पहले 28...
पुस्तक

रूपम मिश्र के काव्य संग्रह ‘एक जीवन अलग से’ की समीक्षा

समकालीन जनमत
पवन करण एक अभुआता समाज कायनात की सारी बुलबुलों की गर्दन मरोड़ रहा है….! रुपम मिश्र की कविताएँ हिंदी कविता की समृद्धि की सूचक हैं।...
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