समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

कविता

विजय विशाल की कविताएँ शासक वर्ग के चेहरे को कठोरता से बेनक़ाब करती हैं

समकालीन जनमत
गणेश गनी स्मृतियों के सहारे चलते हुए जीवन कभी-कभी खूबसूरत और कभी-कभी यातनामय भी लगने लगता है। यह निर्भर करता है कि बीते समय की...
पुस्तक

नीला कॉर्नफ्लावर: मानवविज्ञान एवं साहित्य के मध्य सेतु

समकालीन जनमत
शरद जायसवाल   वीरेन्द्र प्रताप यादव का पहला उपन्यास ‘नीला कॉर्नफ्लावर’ प्रकाशित होते ही चर्चा में आ गया है। उपन्यास की पहली खूबसूरती उसका शीर्षक...
साहित्य-संस्कृति

यह भारतीय कला का आत्मसम्मान विहीन दौर है – अशोक भौमिक

समकालीन जनमत
लखनऊ। जन संस्कृति मंच की ओर से लेखक और पत्रकार अनिल सिन्हा के स्मृति दिवस की पूर्व संध्या पर 24 फरवरी को सालाना जलसा का आयोजन...
कविता

जितेन्द्र कुमार की कविताएँ विकास की विडंबना को दर्शाती हैं

समकालीन जनमत
कुमार मुकुल आज कस्‍बों और उपनगरों की युवा कविता से जो संघर्ष की धार और तार्किकता गायब होती जा रही है वह जितेन्‍द्र कुमार की...
साहित्य-संस्कृति

सुधीर सुमन की कविताओं में यथार्थ को बदलने की छटपटाहट है : सुरेश कांटक

समकालीन जनमत
आरा। आज बाल हिन्दी पुस्तकालय आरा में जन संस्कृति मंच की ओर से सुधीर सुमन के कविता-संग्रह ‘ सपना और सच ‘ का लोकार्पण और...
कविता

मृगतृष्णा की कविताएँ मुक्ति की आकांक्षा हैं

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय   युवा कवि मृगतृष्णा की ये कविताएँ मुक्ति की आकांक्षा की कविताएँ हैं। यह मुक्ति परम्परा से विद्रोह के रूप में भी है...
साहित्य-संस्कृति

हिंदुत्व प्रतिक्रांति की विचार धारा है – कंवल भारती

समकालीन जनमत
मऊ। प्रो. तुलसीराम स्मृति व्याख्यानमाला के तहत इस शृंखला का आठवाँ व्याख्यान राहुल सांकृत्यायन सृजनपीठ व जन संस्कृति मंच के संयुक्त तत्वावधान में 11 फरवरी...
साहित्य-संस्कृति

निराला का वैचारिक लेखनः राष्ट्र निर्माण का सवाल और जाति-वर्ण

दुर्गा सिंह
निराला के जन्मदिन(बसंत पंचमी)  के अवसर पर प्रस्तुत लेख निराला के लेखन में राष्ट्र निर्माण, स्वाधीनता, धर्म, भाषा व जाति-वर्ण आदि को  रचनात्मक ढंग से...
पुस्तक

कोमिंटर्न और दक्षिणी गोलार्ध

गोपाल प्रधान
2023 में रटलेज से आन्ने गारलैंड माहलेर और पाओलो कापुज़्ज़ो के संपादन में ‘द कोमिंटर्न ऐंड द ग्लोबल साउथ: ग्लोबल डिजाइन/ लोकल एनकाउंटर्स’ का प्रकाशन...
कविता

नताशा की कविताएँ स्त्रीत्व का अन्वेषण और उनका विस्तार करती हैं

समकालीन जनमत
विपिन चौधरी कविता उस मानवीय संस्कृति का नाम है जिसका सीधा संबंध संवेदनाओं से है, इस लिहाज़ से वर्तमान समय में कविता जैसी विधा सबसे...
साहित्य-संस्कृति

लोकप्रिय साहित्य

राम नरेश राम
Any written work that is read, or is intended to be read, by a mass audience is Popular literature. लोकप्रिय साहित्य में इस्तेमाल लोकप्रिय शब्द...
पुस्तक

विकास माॅडल पर सवाल उठाता है ‘ शालडुंगरी का घायल सपना ’

समकालीन जनमत
पटना । “आज जो देश का मुख्य अंतर्विरोध है, ‘शालडुंगरी का घायल सपना’ उस पर उंगली रखता है। एक ओर कारपोरेट पूंजी का तंत्र है, जिसमें...
साहित्य-संस्कृति

लेखक को अपने समय की पड़ताल करनी चाहिए- ज्ञानरंजन

समकालीन जनमत
(प्रख्यात कथाकार व हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में से एक ‘पहल’ के सम्पादक ज्ञानरंजन द्वारा बाँदा में प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान के मौके पर...
कविता

अंकिता रासुरी की कविताएँ विषय विविधता से पूर्ण अदम्य साहस की अभिव्यक्ति हैं

समकालीन जनमत
पुरु मालव अंकिता रासुरी की कविताओं में वो विषय-क्षेत्र भी सहजता से प्रविष्ट हो जाते हैं जिनकी ओर प्रायः कवि दृष्टिपात करने से भी बचते...
स्मृति

विजय बहादुर राय का जाना लोकबंधु राज नारायण द्वारा गढ़ी गई सोसलिस्ट पीढ़ी की आखिरी कड़ी का टूटना है

जयप्रकाश नारायण 
भाई साहब विजय बहादुर राय का जाना संसोपा कालीन सोसलिस्ट नेताओं की आखिरी पीढ़ी का चला जाना है। लोकबंधु बंधु राज नारायण की समाजवादी दृढ़ता,...
पुस्तक

फासीवादी निजाम के ख़िलाफ़ सच कहने का साहस

समकालीन जनमत
आलोक कुमार श्रीवास्तव   अमीरों के खान-पान संबंधी चोंचले बहुत हैं। काजू की रोटी उन्हीं चोंचलों में से एक है। निम्न और मध्यवर्गीय लोगों के...
साहित्य-संस्कृति

कविता युग की नब्ज धरो !

समकालीन जनमत
 उषा राय  ‘हजार साल पुराना है उनका गुस्सा हजार साल पुरानी है उनकी नफरत मैं तो सिर्फ उनके बिखरे हुए शब्दों को लय और तुक...
कविता

पम्मी राय की कविताएँ प्रतिबद्धता और दूरगामी यात्रा की संकेत हैं

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय युवा कवयित्री पम्मी राय की कविताओं में कुछ अनगढ़पन-सा पाठकों को लग सकता है। ऐसा इसलिए भी कि पम्मी ने अभी-अभी ही कविता...
साहित्य-संस्कृति

“ हमारे समय के सार्थक कवि हैं घनश्याम त्रिपाठी ”

समकालीन जनमत
भिलाई। जन संस्कृति मंच, दुर्ग-भिलाई के तत्वावधान में 21 जनवरी को भिलाई के कवि घनश्याम त्रिपाठी के द्वितीय काव्य संग्रह ‘ जो रास्ता संघर्षमय होता...
साहित्य-संस्कृति

राजीव प्रकाश साहिर की कहानी में दिखता है विकास का संवेदनहीन खौफनाक चेहरा

समकालीन जनमत
लखनऊ। जन संस्कृति मंच की ओर से ‘लेखक के घर चलो’ की श्रृंखला के तहत 18 जनवरी को उर्दू के अफसाना निगार राजीव प्रकाश साहिर...
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