नवीन जोशी ने ‘स्वतंत्र भारत’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘दैनिक जागरण’, ‘हिंदुस्तान’ और ‘दैनिक भास्कर’ अखबार में करीब चालीस साल तक पत्रकारिता की. इसके अलावा 1980 के दशक में अपने समकालीन कुमाउँनी युवाओं के साथ मिलकर बेहद सक्रियता वाली सांस्कृतिक संस्था 'आंखर' को भी चलाया . ‘हिंदुस्तान ’ के लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के सभी संस्करणों के कार्यकारी सम्पादक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद वे स्वतंत्र रूप से लेखन और पत्रकारिता कर रहे हैं. उनके दो कहानी संग्रहों और दो चर्चित उपन्यासों- ‘दावानल’ और ‘टिकटशुदा रुक्का’ समेत छह पुस्तकें प्रकाशित हैं.
( वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक नवीन जोशी के प्रकाशित-अप्रकाशित संस्मरणों की श्रृंखला ‘ये चिराग जल रहे हैं’ की ग्यारहवीं क़िस्त में प्रस्तुत है लखनऊ महानगर...