समकालीन जनमत

Month : January 2025

ग्राउन्ड रिपोर्ट

महाकुंभ कथा : कहाँ तो तय था चराग़ाँ…

के के पांडेय
कल मौनी अमावस्या का महाकुंभ में सबसे प्रमुख स्नान है। पूरा शहर और 3700 हेक्टेयर में फैला मेला क्षेत्र चमचमाती लाइटों और वीआईपी, वीवीआईपी, आला...
स्मृति

दोस्ती के तारामंडल का एक और तारा टूट गया

संजय जोशी
(फ़िल्मकार, कवि, छायाकार, संपादक और सामाजिक कार्यकर्ता तरुण भारतीय की याद ) यह संभवत 1993 का मार्च या अप्रैल का महीना रहा होगा। जामिया के...
ज़ेर-ए-बहस

आज का कुलीनतंत्र

समकालीन जनमत
अतानु बिस्वास (वैसे तो यह लेख ट्रम्प के चुनाव को लेकर है पर थोड़ा गौर से देखा जाय तो इसके  निहितार्थ की परिधि में भारत...
पुस्तक

बाल साहित्य पर संजीदा बातें

समकालीन जनमत
लाल्टू अच्छी बात यह है कि टाटा ट्रस्ट के पराग इनीशिएटिव द्वारा प्रकाशित इस किताब का नाम ‘…ऐन इंडियन स्टोरी ‘ रखा गया है, और...
कवितास्मृति

तरुण भारतीय की कविताएँ हिंदी कविता का उत्तरपूर्वी अंग हैं

समकालीन जनमत
असद ज़ैदी प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता तरुण भारतीय का 25 जनवरी की सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। ‘समकालीन...
ज़ेर-ए-बहस

जाति, जनगणना और सामाजिक न्याय : अंतरसंबंधों पर कुछ सवाल

राहुल यादुका
राहुल यादुका ये कहना गलत होगा कि हालिया जाति सर्वेक्षण के कारण बिहार या देश की राजनीति में जाति का सवाल फिर से मुख्यधारा में...
ग्राउन्ड रिपोर्ट

महाकुंभ 2025 : भक्ति और संस्कृति का बाजार

के के पांडेय
जिस देश में सदियों से भक्ति की स्थापित परंपरा के समानांतर वैकल्पिक धाराएं पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक चाहे वह सामाजिक, राजनीतिक अथवा...
ग्राउन्ड रिपोर्ट

महाकुंभ : कॉरपोरेट व सांप्रदायिकता

के के पांडेय
इलाहाबाद के प्रसिद्ध कवि दिवंगत कैलाश गौतम की कविता ‘ अमवसा क मेला’ की पंक्तियां याद करें- अमवसा नहाए चलल गांव देखा। एहू हाथे झोरा...
स्मृति

नाज़िम हिक़मत : प्रेम और जिजीविषा के महान कवि

समकालीन जनमत
सुशील सुमन पिछले सप्ताह 15 जनवरी को तुर्की के महाकवि नाज़िम हिक़मत का जन्मदिवस बीता है। प्रेम और क्रान्ति के इस अनूठे कवि की आधुनिक...
साहित्य-संस्कृति

शमशेर जयंती: कवि के पास जाने के लिए उड़ान चाहिए

के के पांडेय
शामली जिले में 12 जनवरी को कवि शमशेर बहादुर सिंह की जयंती (जन्मदिन 13 जनवरी 1911) पर उनके पैतृक गांव एलम में सालाना जलसा आयोजित...
कविता

लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता की कविताएँ देशकाल की पड़ताल और प्रतिगामी शक्तियों की शिनाख़्त करती हैं।

समकालीन जनमत
अरुण आदित्य लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता की कविता देशकाल की पड़ताल और प्रतिगामी शक्तियों के प्रतिरोध की कविता है। यहाँ हाशिए के लोग हैं, उनका श्रम...
ज़ेर-ए-बहस

बस्तर पर गहराता अँधेरा

समकालीन जनमत
शुभोमय सिकदार बीजापुर के 33 वर्षीय पत्रकार मुकेश चन्द्राकर की एक दशक की, घटनाओं से भरपूर शानदार पत्रकारिता को सलाम, पर यह भी सच है...
ख़बर

संगठित व संस्थाबद्ध घोर भ्रष्टाचार है बिहार की शिक्षा और परीक्षा प्रणाली में

समकालीन जनमत
पटना। जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष और आइसा के राष्ट्रीय नेता कामरेड  धनंजय ने आज पटना में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में बीपीएससी पीटी परीक्षा...
कविता

मनीषा मिश्रा की कविताएँ समाज के प्रति अपनी जागरूक भूमिका को निभाने का प्रयास हैं

समकालीन जनमत
सोनी पाण्डेय बाँस की कोपलों सी बढ़ती है लड़कियाँ…. विमर्श और स्त्री मुक्ति के नारों के बीच आज की कस्बाई औरतों के संघर्षों का यदि...
जनमत

प्रयागराज से संभल तक: निशाने पर मुस्लिम नेतृत्व 

समकालीन जनमत
जयप्रकाश नारायण उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार के गठन के बाद से जितने नीतिगत फैसले लिए गए हैं, उनका...
जनमत

भारत में ट्रान्सजेंडर के अधिकार : कागजी कानून और वास्तविक संघर्ष

समकालीन जनमत
दीक्षा पाण्डेय पिछले काफी अरसे से, खासतौर से तब, जब से डोनाल्ड ट्रम्प ने दो से अधिक जेंडर्स को दी गई आधिकारिक मान्यता को वापस...
कविता

डॉ हेमन्त कुमार और पूनम श्रीवास्तव के कविता संग्रह का विमोचन 

समकालीन जनमत
लखनऊ। जन संस्कृति मंच (जसम) की ओर से छह जनवरी को डॉ हेमन्त कुमार के कविता संग्रह ‘ कटघरे के भीतर ‘ तथा पूनम श्रीवास्तव...
स्मृति

‘ बुनती रहे हमारी अंगुलियां/इकतारे की धुन पर/सुनते हुए अनहद का नाद/झीनी-झीनी चादर यह ’

कौशल किशोर
क्रांतिकारी वाम व जनवादी धारा के कवि ध्रुवदेव मिश्र पाषाण का जाना आहत कर देने वाला है। 7 जनवरी सुबह 9:00 बजे अपने देवरिया स्थित...
स्मृति

रवि किरन जैन : संविधान विशेषज्ञ, राज्य दमन के खिलाफ नागरिक अधिकारों के निडर योद्धा और यारों के यार  

के के पांडेय
इलाहाबाद राजनैतिक और अदबी हलचलों का लंबे दौर से एक मजबूत केंद्र रहा है। दोनों की एक दूसरे में आवाजाही जितनी सहजता से यहां दिखती...
कविता

रणेन्द्र की कविताएँ युगबोध और प्रतिबद्धता की बानगी हैं।

समकालीन जनमत
प्रज्ञा गुप्ता “रणेन्द्र युगबोध के कवि हैं। रणेन्द्र का कवि मन अपनी विविध प्रतिबद्धताओं,सरोकारों के बीच रागारुण संवेदना के साथ उपस्थित है।” ‘ग्लोबल गाँव के...
Fearlessly expressing peoples opinion