समकालीन जनमत

Tag : कहानी

जनमत

‘कुछ नॉस्टैल्जिया तो है’ हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’ में

दीपक सिंह
(कथाकार हेमंत कुमार की कहानी ‘ रज्जब अली ’ पत्रिका ‘ पल-प्रतिपल ’ में प्रकाशित हुई है. इस कहानी की विषयवस्तु, शिल्प और भाषा को...
कहानी

मो. आरिफ की कहानी ‘ लू ’ : दलितों की अपमानजनक स्थितियों और उनकी जिजीविषा को दर्शाने वाली कहानी

प्रियम अंकित
मो. आरिफ ने अपने लेखन के शुरूआती दौर में अंग्रेज़ी में एक उपन्यास लिखा था. बाद में उन्होंने हिन्दी में कहानियाँ लिखना शुरू किया. उनकी...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

प्रेमचंद किसान जीवन की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार धरम, महाजन और साहूकार की भूमिका की शिनाख्त करते हैं

31 जुलाई 2018 को प्रेमचंद जयंती के अवसर पर शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय , बैकुंठपुर(छत्तीसगढ़) में ‘प्रेमचंद और हमारा समय’ विषयक संगोष्ठी आयोजित की गई...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

सत्ता संपोषित मौजूदा फासीवादी उन्माद प्रेमचंद की विरासत के लिए सबसे बड़ा खतरा:डॉ. सुरेंद्र प्रसाद सुमन

समकालीन जनमत
लोकतंत्र, संविधान और साझी संस्कृति के नेस्तनाबूद करने की हो रही है गहरी साजिश-कल्याण भारती प्रेमचंद के सपनों के भारत से ही बचेगी हमारी साझी...
कहानी

‘ बलिदान ’ : किसान-जीवन त्रासदी और प्रेमचंद की कहानी कला

समकालीन जनमत
मेरी अपनी समझ से हिंदी कहानी में ‘जादुई यथार्थवाद’ कला का भ्रूण इस कहानी में देखा जा सकता हैं ,साथ ही कहानी कला की ऊँचाई...
कहानीज़ेर-ए-बहस

हेमन्त कुमार की कहानी ‘ रज्जब अली ’ में सामंती वैभव देखना प्रतिक्रियावाद को मजबूत करना है

समकालीन जनमत
कहानी में मूल समस्या साम्प्रदायिकता है. यह कहानी हमारे समय के लिहाज से एक बेहद जरूरी कहानी है. इसलिए जरूरी यह है कि इस कहानी...
कहानी

सामंती वैभव के प्रति नॉस्टेल्जिया से ग्रस्त है कहानी ‘ रज्जब अली ’

डॉ रामायन राम
‘ रज्जब अली ’ कहानी में कथाकार बड़ा आख्यान रचने की कोशिश में कई ऐसी गलतियाँ कर बैठे हैं जिसकी वजह से अपने बड़े उद्देश्य...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति

पठनीयता का संबंध वास्तविकता से होता है

समकालीन जनमत
(प्रेमचंद की परंपरा को नये संदर्भ और आयाम देने वाले हिंदी भाषा के कहानीकारों में अमरकांत अव्वल हैं। अमरकांत से शोध के सिलसिले में सन्...
कविताशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

जनकवि सुरेंद्र प्रसाद की 84वीं जयंती मनाई गई

समकालीन जनमत
बी. आर. बी. कालेज , समस्तीपुर के सभागार में 17 मई, 2018 को जन संस्कृति मंच और आइसा के संयुक्त तत्वावधान में मिथिलांचल के दुर्धर्ष...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति

भारतीय समाज के बदलते वर्गीय एवं जातीय चरित्र को बारीकी से व्यक्त करने वाले कथाकार हैं मार्कण्डेय

मार्कंडेय ने भारतीय समाज के बदलते वर्गीय एवं जातीय चरित्र को बहुत ही बारीकी से अपनी कथाओं में व्यक्त किया है. सामाजिक ताने-बाने एवं राजनीतिक...
कहानी

अल्पना मिश्र की कहानी : स्याही में सुर्खाब के पंख

समकालीन जनमत
जनतंत्र में 'जन' को नकार कर या पूरी तरह नियंत्रित मान लेना सही आकलन नहीं होगा, क्योंकि 'जन ' में अभी भी असहमति का साहस...
नाटक

मेरी कोख पर मेरा हक कब बनेगा ?

मनोज कुमार सिंह
गोरखपुर. प्रेमचंद पार्क स्थित मुक्ताकाशी मंच पर आज शाम पटना से आयी सांस्कृतिक संस्था ‘ कोरस ‘ ने प्रसिद्ध कथाकार शिवमूर्ति की चर्चित कहानी ‘...
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