कविता श्रम संस्कृति में रचा पगा जीवन का काव्यसुशील मानवDecember 24, 2020December 24, 2020 by सुशील मानवDecember 24, 2020December 24, 202002220 श्रम मनुष्य जीवन के उद्विकास की मूलाधार प्रक्रिया है। श्रम प्रक्रिया के तहत ही मनुष्य सामूहिक और समाजिक बना। श्रम की प्रक्रिया के तहत ही...
जनमतपुस्तक सत्य का अनवरत अन्वेषण हैं राकेश रेणु के ‘इसी से बचा जीवन’ की कविताएँसुशील मानवJune 14, 2020June 15, 2020 by सुशील मानवJune 14, 2020June 15, 20204 3626 कविता क्या है और इसका काम क्या है- इस पर अनेक बातें हैं, अनेक परिभाषाएं हैं। लेकिन मौजूदा समय सत्य पर संकट का समय...
कविता पंकज की कविताएँ जाति-संरचना के कठोर सच की तीखी बानगी हैंसमकालीन जनमतMay 17, 2020May 18, 2020 by समकालीन जनमतMay 17, 2020May 18, 202003364 सुशील मानव पंकज चौधरी की कविताएँ दरअसल विशुद्ध जाति विमर्श (कास्ट डिस्कोर्स) की कविताएँ हैं। जो अपने समय की राजनीति, संस्कृति ,समाज, अर्थशास्त्र न्याय व्यवस्था...
ख़बर उत्सव के बहाने आदिवासी भाषा, समाज, संस्कृति और पर्यावरण पर आत्मचिंतन सुशील मानवAugust 12, 2019August 17, 2019 by सुशील मानवAugust 12, 2019August 17, 20194 3198 अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस के रजत जयंती वर्ष में नई दिल्ली के इंदिरा गांधी कला केंद्र में दो दिवसीय (10 व 11 अगस्त) कार्यक्रमकी शुरुआत...
जनमतशख्सियतस्मृति दलित साहित्य को शिल्प और सौंदर्यबोध देने वाले भाषा के मनोवैज्ञानिक थे मलखान सिंहसुशील मानवAugust 9, 2019August 9, 2019 by सुशील मानवAugust 9, 2019August 9, 20196 2749 परसों शाम को फोन पर बात हुई, मैंने पूछा था, सर नया क्या लिख रहे हैं इन दिनों। उन्होंने जवाब में कहा था- “ये मेरे...