समकालीन जनमत

Tag : Contemporary Poetry

कविता

जटिल यथार्थ का सरल कवि जसबीर त्यागी

समकालीन जनमत
संजीव कौशल जसबीर त्यागी आम जीवन में जितने सहज और सरल हैं वही सहजता और सरलता उनकी कविताओं में भी देखी जा सकती है लेकिन...
कविता

समय की विद्रूपताओं की शिनाख़्त करतीं अनिल की कविताएँ

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय युवा और चर्चित कवि अनिल करमेले की कविताओं से गुजरना अपने समकालीन समय-समाज की विद्रूपताओं की शिनाख्त करना है। यह दुष्कर कवि-कर्म वे...
कविता

कई आँखोंवाली कविताओं के कवि शशांक मुकुट शेखर

समकालीन जनमत
कृष्ण समिद्ध नये और बनते हुए कवि पर लिखना बीज में बंद पेड़ के फल के स्वाद पर लिखने जैसा है । फिर भी यह...
कविता

‘ अजीब समय के नए राजपत्र ’ के विरुद्ध तनकर खड़ी कविता

दीपक सिंह
पंकज चतुर्वेदी बहुत ही संवेदनशील और समय-सजग रचनाकार हैं | उनकी कविताओं से गुजरते हुए जन कवि गोरख पाण्डेय की कविता पंक्तियां बार-बार मन में...
कविता

प्रतिरोध को बयां करती है कवि कौशल किशोर की “नयी शुरुआत”

समकालीन जनमत
आशीष मिश्र जब हम जवानी के दौर में परवाज़ भर रहे होते हैं तो उस वक्त देश और समाज को लेकर उसके भीतर मौजूद तमाम हलचलों...
कविता

कोमल ज़िद से एक बेहतर दुनिया के लिए बहस करती पराग पावन की कविताएँ

समकालीन जनमत
विवेक निराला पराग पावन हिन्दी-कविता की युवतर पीढ़ी के पहचाने जाने वाले कवि हैं। उनकी कविता एक ओर हमारे समकालीन यथार्थ को उघाड़ कर रखती...
कविताजनमत

स्त्री की खुली दुनिया का वृत्त हमारे समक्ष प्रस्तुत करतीं कविताएँ

उमा राग
अच्युतानंद मिश्र निर्मला गर्ग की कविताओं में मौजूद सहजता ध्यान आकृष्ट करती है. सहजता से यहाँ तात्पर्य सरलीकरण नहीं है, बल्कि सहजता का अर्थ है...
कविताजनमत

प्रेम के बहाने एक अलग तरह का सामाजिक विमर्श रचती पल्लवी त्रिवेदी की कविताएँ

उमा राग
निरंजन श्रोत्रिय युवा कवयित्री पल्लवी त्रिवेदी की कविताओं को महज़ ‘प्रेम कविताएँ’ या रागात्मकता की कविताएँ कहने में मुझे ऐतराज़ है। पल्लवी की विलक्षण काव्य-प्रतिभा...
कविताजनमत

नित्यानंद गायेन की कविताओं में प्रेम अपनी सच्ची ज़िद के साथ अभिव्यक्त होता है

उमा राग
कुमार मुकुल   नित्यानंद जब मिलते हैं तो लगातार बोलते हैं, तब मुझे अपने पुराने दिन याद आते हैं। कवियों की बातें , ‘कांट का...
कविताजनमत

युवा कविता की एक सजग, सक्रिय और संवेदनशील बानगी है निशांत की कविताएँ

उमा राग
जब भी कोई नई पीढ़ी कविता में आती है तो उसके समक्ष सबसे बड़ा प्रश्न होता है कि वह अपने से ठीक पहले की पीढ़ी...
कविताजनमतस्मृति

चार आयामों का एक कवि विष्णु खरे

उमा राग
मंगलेश डबराल   यह बात आम तौर पर मुहावरे में कही जाती है कि अमुक व्यक्ति के न रहने से जो अभाव पैदा हुआ है...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति

समय के जटिल मुहावरे को बाँचती घनश्याम कुमार देवांश की कविताएँ

उमा राग
आज के युवा बेहद जटिल समय में साँस ले रहा है. पूर्ववर्ती पीढ़ी में मौजूद कई नायाब और सौंधे सुख उसकी पीढ़ी तक पहुँचने से...
जनमत

पूनम वासम की कविताएँ सजग ऐंद्रिय बोध और वस्तु-पर्यवेक्षण की कविताएँ हैं

उमा राग
हिन्दी कविता में आदिवासी जमीन से आने वाली पहली कवयित्री सुशीला सामद हैं। उनका संग्रह “प्रलाप” नाम से 1935 में, सुभद्रा कुमारी चौहान और महादेवी...
जनमत

सभ्यता का परदा हटातीं हैं आर. चेतन क्रांति की कवितायेँ

उमा राग
2004 में आए अपने पहले कविता  संग्रह ‘शोकनाच’ के साथ आर चेतन क्रांति ने इक्कीसवीं सदी की दुनिया के पेच शायद सबसे करीने से पकड़े।...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति

प्रेम के निजी उचाट से लौटती स्त्री की कविता : विपिन चौधरी की कवितायेँ

उमा राग
  विपिन की कवितायेँ लगातार बाहर-भीतर यात्रा करती हुईं एक ऐसी आंतरिकता को खोज निकालती हैं जो स्त्री का अपना निजी उचाट भी है और दरख्तों,...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति

संजीव कौशल की कविताएँ : प्रतिगामी विचारों का विश्वसनीय प्रतिपक्ष

उमा राग
जागृत राजनीतिक चेतना, समय और समाज की विडम्बनाओं की गहरी समझ और भाषा की कलात्मक पारदर्शिता के कारण संजीव कौशल की कवितायेँ नयी सदी की युवा...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति

विहाग वैभव की कविताएँ : लोक जीवन के मार्मिक संवेदनात्मक ज्ञान की कविताएँ हैं- मंगलेश डबराल

समकालीन जनमत
  युवा कवि विहाग वैभव की कविताओं में क्रांति, विद्रोह, विरोध, निषेध के तीखे स्वर हैं और वह प्रेम भी है जिसे संभव करने के...
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