साहित्य-संस्कृति किताब ‘ रामेश्वर प्रशांत सुर्ख़ सवेरे की लालिमा का कवि ‘ का लोकार्पण हुआसमकालीन जनमतApril 4, 2024April 9, 2024 by समकालीन जनमतApril 4, 2024April 9, 2024041 बरौनी/ गढ़हरा, 3 अप्रैल। जनवादी लेखक संघ, जिला इकाई, बेगूसराय द्वारा संगठन के राज्य सचिव कुमार विनीताभ और लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार कौशल किशोर के सम्पादन में...
साहित्य-संस्कृति ‘ जन संस्कृति के नायक राजबली यादव ‘ पुस्तक का लोकार्पणसमकालीन जनमतAugust 12, 2022 by समकालीन जनमतAugust 12, 20220127 लखनऊ/फैजाबाद। अंबेडकर नगर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, जन संस्कृति के नायक राजबली यादव के स्मृति दिवस के अवसर पर उनके पैतृक गांव अरई में 9...
पुस्तक विभाजन की विभीषिका और उत्तराखंड के इतिहास की गुमशुदगी की परत में लिपटा एक बयानके के पांडेयSeptember 22, 2021September 22, 2021 by के के पांडेयSeptember 22, 2021September 22, 20210604 यह कथा सानीउडियार क्षेत्र, जिला बागेश्वर (पहले अल्मोड़ा) उत्तराखंड के एक व्यक्ति हाजी अब्दुल शकूर की है। उनका खानदान उन्नीस सौ ईस्वी से कुछ पहले...
पुस्तक विनाशक पूंजीवादगोपाल प्रधानApril 7, 2020April 8, 2020 by गोपाल प्रधानApril 7, 2020April 8, 202001937 2007 में मेट्रोपोलिटन बुक्स से नाओमी क्लीन की किताब ‘द शाक डाक्ट्रिन: द राइज आफ़ डिसास्टर कैपिटलिज्म ’ का प्रकाशन हुआ । नाओमी क्लीन ने...
पुस्तक ‘ अनसुनी आवाज ’: एक जरूरी किताबसमकालीन जनमतApril 6, 2020April 7, 2020 by समकालीन जनमतApril 6, 2020April 7, 202003215 नगीना खान एक अच्छा लेखक वही होता है जो अपने वर्तमान समय से आगे की समस्यायों, घटनाओं को न केवल भांप लेता है बल्कि उसे...
पुस्तकसाहित्य-संस्कृति ‘ जनता का अर्थशास्त्र ’ : एक जरूरी किताबकौशल किशोरOctober 31, 2019October 31, 2019 by कौशल किशोरOctober 31, 2019October 31, 201902420 भगवान स्वरूप कटियार की नयी किताब ‘जनता का अर्थशास्त्र’ ऐसे समय में आयी है जब देश आर्थिक मंदी की चपेट में है। विकास का...
साहित्य-संस्कृति ‘जनता का अर्थशास्त्र ’ एक जरूरी किताब – प्रो रमेश दीक्षितसमकालीन जनमतSeptember 26, 2019 by समकालीन जनमतSeptember 26, 20198 2797 लखनऊ। आवारा पूंजी साम्राज्यवादी पूंजी का नया चेहरा है। वह राजनीति पर कब्जा जमाती है, उसे अपना गुलाम बनाती है। वह जिस अर्थशास्त्र को निर्मित...
पुस्तक फ़ासीवाद की ओर यात्रा: चौराहे पर अमेरिकागोपाल प्रधानAugust 25, 2018August 25, 2018 by गोपाल प्रधानAugust 25, 2018August 25, 20189 2389 बड़े व्यवसायी, तानाशाह सरकार और फौजी ढांचे का यही संयुक्त मोर्चा सभी देशों में फ़ासीवादी शासन के उभार के वक्त नजर आया है. इसके अलावे...