कविता रवित यादव की कविताएँ प्रश्नाकुल और उर्वर भावभूमि से उपजती हैंउमा रागDecember 25, 2022December 26, 2022 by उमा रागDecember 25, 2022December 26, 20220108 आलोक रंजन हाल में रवित यादव की कविताओं से रु ब रु होने का मौका मिला । उनकी कविताओं में युवतर जीवन की समाज की...
जनमत बहु-परतीय जीवन दर्शन की फिल्म : कड़ाइसी विवसायीसमकालीन जनमतMarch 27, 2022March 27, 2022 by समकालीन जनमतMarch 27, 2022March 27, 2022029 आलोक रंजन एम मनीकंडन ऐसे फ़िल्मकार हैं जिनकी अभिव्यक्ति का तरीका हमेशा आम ढर्रे से अलहदा रहा है । काका मुट्टाई , किरुमी और आनंदवन...
कविता सोनू यशराज की कविताएँ किताबों से एक स्त्री का संवाद हैंसमकालीन जनमतSeptember 5, 2021September 5, 2021 by समकालीन जनमतSeptember 5, 2021September 5, 20210743 आलोक रंजन सोनू यशराज की अधिकांश कविताएँ किताबों को समर्पित हैं और शेष स्त्री प्रश्नों से जुड़ी हुई । किताबों के माध्यम से रचनाकार ने...
कहानी ‘रोटी के चार हर्फ़’ सामायिक घटनाओं और सामाजिक विभेद की सरोकारी रचना हैसमकालीन जनमतFebruary 7, 2021February 7, 2021 by समकालीन जनमतFebruary 7, 2021February 7, 202102346 गति उपाध्याय “रोटी के चार हर्फ़ ” सिर्फ एक कहानी ही नहीं बल्कि एक कथाचित्र है | कहानी पाठकों के दिलदिमाग़ में चित्र खींचती है...
जनमत ‘बंबई में का बा’ और बिहारसमकालीन जनमतOctober 9, 2020November 17, 2020 by समकालीन जनमतOctober 9, 2020November 17, 202005172 आलोक रंजन अक्सर अपने फूहड़ और अश्लील स्वरूप को लेकर चर्चा में रहने वाले भोजपुरी गानों की दुनिया में पिछले दिनों एक अलग बात सामने...
कविताजनमत सुघोष मिश्र की कविता वर्तमान की जटिलताओं से उपजे द्वंद्व की अभिव्यक्ति हैसमकालीन जनमतDecember 8, 2019December 8, 2019 by समकालीन जनमतDecember 8, 2019December 8, 20192 3255 आलोक रंजन सुघोष मिश्र की कविताओं को पढ़कर लगा कि उनकी कविताओं से परिचय कराना सरल कार्य नहीं है । इसके पीछे का एक सीधा...
कहानी उत्पीड़न के विरुद्ध उम्मीदों की ‘सुलगन’समकालीन जनमतSeptember 27, 2019April 8, 2020 by समकालीन जनमतSeptember 27, 2019April 8, 202002664 आलोक रंजन कैलाश वानखेड़े की किताब ; सुलगन ! नौ कहानियों वाले इस संग्रह में इस नाम की कोई कहानी नहीं है लेकिन ‘सुलगन’ हर...
कविता विजय राही की कविताएँ वर्तमान के साथ अंतःक्रिया करती हैंसमकालीन जनमतAugust 11, 2019August 17, 2019 by समकालीन जनमतAugust 11, 2019August 17, 201903781 अलोक रंजन एक कवि का विस्तार असीमित होता है और यदि कवि अपने उस विस्तार का सक्षम उपयोग करते हुए अपनी आंतरिक व्याकुलता को समय...
कविताजनमत ‘जीवन की सरलता का प्रतिनिधित्व करती हैं रविंदर की कविताएँ’समकालीन जनमतJuly 7, 2019July 7, 2019 by समकालीन जनमतJuly 7, 2019July 7, 201902893 आलोक रंजन रविंदर कौर सचदेवा की कविताएँ सरलता को स्थापित करने के संघर्ष की कविताएँ हैं जो पहचान , प्रेम और दुनियादारी के अलग अलग...
कविता स्मृति और वर्तमान के द्वंद्व से उपजीं उषा की कविताएँसमकालीन जनमतApril 7, 2019April 8, 2019 by समकालीन जनमतApril 7, 2019April 8, 20193 2687 आलोक रंजन इधर उषा राजश्री राठौड़ की कुछ कविताओं से रु ब रु होने का मौका मिला और पहले ही पाठ में वे कविताएँ आकर्षित...