कविता माटी पानी : सत्ता और समय की पहचानसमकालीन जनमतJanuary 10, 2019June 3, 2019 by समकालीन जनमतJanuary 10, 2019June 3, 201903169 रवि श्रीवास्तव सदानंद शाही के कविता संकलन ‘माटी-पानी’ को पढ़ते हुए मिर्ज़ा ग़ालिब का एक शेर याद आया- ‘ जो उलझी थी कभी आदम के...
कविता कई आँखोंवाली कविताओं के कवि शशांक मुकुट शेखरसमकालीन जनमतDecember 30, 2018January 5, 2019 by समकालीन जनमतDecember 30, 2018January 5, 201903591 कृष्ण समिद्ध नये और बनते हुए कवि पर लिखना बीज में बंद पेड़ के फल के स्वाद पर लिखने जैसा है । फिर भी यह...
कविता ‘ आज की कविताएं आत्मचेतस व्यक्ति की प्रतिक्रिया है ’समकालीन जनमतAugust 29, 2018 by समकालीन जनमतAugust 29, 201802809 अनिमेष फाउंडेशन लखनऊ की ओर से फ्लाइंग ऑफिसर अनिमेष श्रीवास्तव की स्मृति में ‘आज की कविता के स्वर’ एवम कविता पाठ का आयोजन किया गया....