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ईश्वरचन्द्र विद्यासागर की प्रतिमा विखण्डन का लखनऊ के बुद्धिजीवी समाज ने किया विरोध

लखनऊ. कोलकाता में आरएसएस, बीजेपी पोषित गुंडों द्वारा नवजागरण के अग्रदूत ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने के विरोध मे हजरतगंज स्थित रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रतिमा पर शहर के बुध्दिजीवियों, साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों व सामाजिक कार्याकर्ताओं ने प्रदर्शन किया।

इस अवसर पर सभा भी हुई जिसे जलेस के नलिन रंजन, जसम के कौशल किशोर, इप्टा के राकेश, राही मासूम रज़ा एकेडमी के राम किशोर, वर्कर्स कौंसिल के ओ पी सिन्हा, एपवा की मीनासिंह, वरिष्ठ एडवोकेट अवतार सिंह बहार और ट्रेड यूनियन नेता रमाशंकर बाजपेई आदि ने संबोधित किया। संचालन किया वीरेन्द्र त्रिपाठी ने। वक्ताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की व मांग की कि दोषियों को गिरफ्तार कर कड़ी सजा दी जाय।

वक्ताओं ने कहा कि कोलकाता में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान चुनावी हिंसा, आगजनी और ईश्वरचंद्र विद्यासागर कॉलेज की बिल्डिंग व प्रतिमा को ध्वस्त किया जाना बेहद चिंतनीय है। यह देश में पैदा हो रही खतरनाक प्रवृति का सूचक है।

वक्ताओं ने कहा कि भारतीय नवजागरण के अग्रदूत व महान धर्मनिरपेक्ष – मानवतावादी समाजसुधारक ईश्वरचंद्र विद्यासागर देश के विभिन्न हिस्सों में समाज सुधार और शिक्षा खास तौर से नारी शिक्षा के लिए याद किये जाते है। आजादी आंदोलन के तमाम महापुरुषों ने उनके पद चिन्हों को स्वीकार कर आजादी की लड़ाई लड़ी थी। ईश्वरचन्द्र विद्यासागर दया व करुणा के सागर होने के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा की नींव रखने वाले थे। वे जनवादी, वैज्ञानिक व धर्मनिरपेक्ष शिक्षा की बुनियाद थे।
वक्ताओं का कहना था कि रुढ़िवादी दलदल में आकंठ डूबे हुए हिंदू समाज के खिलाफ थे विद्यासागर। नारी शिक्षा, सती प्रथा का अंत, विधवा विवाह जैसे सामाजिक कार्य उनकी महानता को दर्शाते हैं। आज देश में कट्टर हिंदूवाद के नाम पर देश को पीछे ले जाने वाले लोगों ने पहले त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति तोड़ी, फिर अंबेडकर, पेरियार और गांधी की मूर्ति को तोड़कर अपना कट्टर चरित्र उजागर किया और अब विद्यासागर की प्रतिमा को तोड़कर मानवीय और अग्रगामी विचारधारा की हत्या कर रहे हैं। दरअसल यह समस्त मानव जाति व सभ्यता का अपमान हैं।

वक्तओं ने ईश्वरचन्द्र विद्यासागर को उऋृत करते हुए उनके इस कथन को दोहराया जिसमें उन्होंने कहा था – ‘नए इंसान की खेती करनी होगी य अंधापन व कट्टरता की जंजीर से लोगों के चिंतन, विचार को मुक्त कर विज्ञान के प्रकाश से उसे प्रकाशमान करो… सत्य की खोज मिल सकती है सिर्फ विज्ञान में, तर्क में। आधुनिक शिक्षा से ही नए इंसान की खेती करना अर्थात नया इंसान बनाना संभव है।’

विरोध सभा में लोगों ने इस संकल्प को भी दोहराया कि आज लोकतांत्रिक, वैज्ञानिक व धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा की रक्षा के लिए सभी आजादी पसंद लोगों को एकजुट होकर इन तमाम कट्टर हिंदूवादी दकियानूसी विचारधारा को परास्त करने के लिए आगे आना होगा और जोरदार जन आंदोलन संगठित करना होगा।

इस अवसर पर अपना विरोध दर्ज कराने वालों में डा रमेश दीक्षित, के के शुक्ल,ओ पी सिन्हा, सुभाष राय, हिरण्मय धर, लक्ष्मी नारायण एडवोकेट, उदयवीर, डा सतीश श्रीवास्तव, विमल किशोर ,रवि उपाध्याय, कल्पना पांडे, प्रो जाफरी ,फतेह बहादुर ,अनमोल ,पूनम सिंह, कांन्ति मिश्रा, मधुसूदन मगन, ऋषि श्रीवास्तव आदि प्रमुख थे।

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