समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

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राज्यसत्ता के दमन-उत्पीड़न-अन्याय के बीच प्रेम की पीर का आख्यान

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आलोक  बच्चों के लिए सबसे आरामदेह जगह होती है – माँ की गोद। कभी किसी बच्चे को उसकी माँ की गोद से जबरन अलग करने...
साहित्य-संस्कृति

भारतीय समाज को समझने के लिए ‘ गोदान ’ और ‘ मैला आंचल ’ की अगली कड़ी है ‘अगम बहै दरियाव ’- प्रो रविभूषण

लखनऊ। शिवमूर्ति में कुछ प्रेमचंद भी हैं और कुछ रेणु भी। उनका उपन्यास ‘अगम बहै दरियाव’ कृषक जीवन, ग्रामीण समाज और इसके जरिये पूरे भारतीय...
कविता

ज्ञान प्रकाश की कविताएँ बड़े मार्मिक ढंग से हमारी सुप्त अनुभूतियों को झकझोरती हैं।

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शालिनी सिंह एक कवि होना इतना भर तो नहीं कि उसकी रचनाएँ हर महत्वपूर्ण जगह प्रकाशित होने की लालसा से भरी हों.. न ही मानवीय...
साहित्य-संस्कृति

दलित साहित्य का भविष्य और भविष्य का दलित साहित्य

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रामनरेश राम    बहुत भीषण है यहाँ से आगे कलाओं की दुनिया बहुत दुर्गम हैं यहाँ से आगे संवेदनाओं के रास्ते यहाँ से बदलते हैं...
कविता

पवन करण की कविताएँ साहस एवं सजगता का प्रतीक हैं

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अंकिता रासुरी पवन करण की कविताओं में मौजूदा समाज एवं उसकी विडंबनाएँ मौजूद हैं। कैसे समाज बिखर रहा है बल्कि ऐसा जानबूझकर किया जा रहा...
साहित्य-संस्कृति

पटना में फुटपाथ दुकानदारों के बीच मनाया गया महेश्वर का स्मृति दिवस

समकालीन जनमत
पटना।  जन सांस्कृतिक आन्दोलन के अगुआ एवं जन संस्कृति मंच के पूर्व राष्ट्रिय महासचिव महेश्वर का तीसवां स्मृति दिवस पटना के फुटपाथ दुकानदारों के बीच...
साहित्य-संस्कृति

स्मृति दिवस पर याद किए गए कवि महेश्वर 

दरभंगा। जन संस्कृति मंच के संस्थापक सदस्य व सुप्रसिद्ध कवि महेश्वर के स्मृति दिवस पर जन संस्कृति मंच, दरभंगा के तत्वावधान में जनकवि सुरेंद्र प्रसाद स्मृति...
साहित्य-संस्कृति

कौशल किशोर की कविता में प्रतिबद्धता, संकल्पसिद्धता और निर्भीकता – प्रो सुधा उपाध्याय

‘आखर’ ई जर्नल तथा फटकन यूट्यूब चैनल की ओर से कौशल किशोर के कविता संग्रह ‘समकाल की आवाज चयनित कविताएं’ पर परिचर्चा का आयोजन रविवार...
कविता

अजय ‘दुर्ज्ञेय’ की कविताएँ जातिवाद के ख़िलाफ़ प्रतिरोध की मुखर आवाज़ बनकर उभरती हैं

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जावेद आलम ख़ान युवा कवियों में अजय ‘दुर्ज्ञेय’ प्रतिरोध की मुखर आवाज बनकर उभरे हैं। इनकी कविताओं में धर्म, सत्ता और पूंजी के गठजोड़ पर...
पुस्तक

विनय सौरभ का कविता संग्रह ‘बख़्तियारपुर’ स्मृतियों के माध्यम से वर्तमान को परखने की एक सफल कोशिश है

समकालीन जनमत
प्रज्ञा गुप्ता   आज के समय में जब संबंधों की उष्मा के मायने कम हो रहे हैं; हमारी संवेदना के लिए घटनाएं मात्र एक खबर...
साहित्य-संस्कृति

कबीर और नागार्जुन भारतीय क्रांति के उदगाता कवि हैं

समकालीन जनमत
जन संस्कृति मंच, मिथिलांचल जोन का ‘ कबीर–नागार्जुन जयंती समारोह सप्ताह’ अभियान  दरभंगा। कबीर एवं जनकवि नागार्जुन की जयंती के अवसर पर जन संस्कृति मंच मिथिलांचल...
साहित्य-संस्कृति

स्मृतियों और सपनों के साथ दुनिया बदलने की चाहत है कविताओं में

 प्रगतिशील लेखक संघ एवं जन संस्कृति मंच के संयुक्त तत्वाधान में 16 जून 2024 को डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान (टीआरआई), रांची के...
स्मृति

अहर्निश संघर्षों और सकारात्मक सरोकारों के लेखक अरुण प्रकाश की याद

समकालीन जनमत
कुमार विनीताभ आज हिन्दी के लोकप्रिय कहानीकार, आलोचक और पत्रकार अरुण प्रकाश का 12वां स्मृति दिवस है। यद्यपि उन्होंने अपने लेखन की शुरुआत कविता से...
कविता

आँशी अग्निहोत्री की कविताएँ एक अंतर्मुखी प्रकृति प्रेमी स्त्री की स्वतंत्रता का आख्यान हैं

समकालीन जनमत
देवेश पथ सारिया युवा कवयित्री आँशी अग्निहोत्री की कविताएँ पढ़ते हुए तीन मुख्य बिंदु रेखांकित किए जा सकते हैं— (i) यह युवा कवयित्री अंतर्मुखी है...
पुस्तक

चंचल चौहान की आलोचना पुस्तक ‘ साहित्य का दलित सौन्दर्यशास्त्र ’ पर हुई विचारगोष्ठी

समकालीन जनमत
जनवादी लेखक संघ और दलित लेखक संघ के संयुक्त तत्वावधान में 8 जून को कनॉट प्लेस दिल्ली स्थित आंबेडकर सभागार में चंचल चौहान लिखित आलोचना...
कविता

नाज़िश अंसारी की कविताएँ लैंगिक और धार्मिक मर्यादाओं से युद्धरत हैं

विपिन चौधरी   बहरहाल.. गाय-वाय-स्त्री-विस्त्री-योनि-वोनि कुछ नहीं होना मुझे मुझे मेरे होने से छुट्टी चाहिए (मुझे छुट्टी चाहिए) नाज़िश अंसारी की कविताएँ उस युवा सोच...
कविता

संदीप नाईक की कविताएँ स्मृतियों को बचाए रखने की कोशिशें हैं

समकालीन जनमत
पुरु मालव समस्त कलाएँ और विधाएँ परस्पर भिन्न होते हुए भी एक दूसरे के क्षेत्र का अतिक्रमण करती हैं क्योंकि अभिव्यक्ति का मूल तत्व इन...
पुस्तक

चुनाव के छल-प्रपंच: मतदाताओं की सोच बदलने का कारोबार!

पुस्तक- चुनाव के छल प्रपंच लेखक – हरजिंदर (प्रतिष्ठित पत्रकार, समाज के गंभीर मुद्दों को उजागर करने के लिए प्रयासरत) प्रकाशन – नवारुण क्या आने...
कविता

महादेव टोप्पो की कविताएँ आदिवासियत बचाने का संकल्प हैं

समकालीन जनमत
प्रज्ञा गुप्ता महादेव टोप्पो साहित्य में आदिवासी विमर्श के प्रमुख स्वरों में एक हैं। महादेव टोप्पो स्पष्ट सोच एवं संवेदना के साथ अपनी अनुभूतियों को...
जनमतशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

निराला का वैचारिक लेखन: राष्ट्र निर्माण का सवाल और गांधी

दुर्गा सिंह
निराला राष्ट्रीय आंदोलन से गहरे सम्बद्ध थे। वे ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की नीतियों पर टिप्पणी, आलोचना तो करते ही थे, साथ ही राष्ट्रीय आंदोलन के...
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