समकालीन जनमत

Category : जनमत

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कुंभ में अखाड़ों की सांप्रदायिक राजनीति

सुशील मानव
 महाशिवरात्रि पर स्नान के साथ कुंभ मेला सम्पन्न हो रहा है। कुंभ मेला के एक महीने के दौरान तमाम अखाड़ों के साधु संत मीडिया और...
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 गंगा-प्रदूषण से लिज़लिज़ा इंकार क्यों

( आथिरा पेरिंचेरी की यह रिपोर्ट ‘द वायर ’ में 19 फरवरी को प्रकाशित हुई है। समकालीन जनमत के पाठकों के लिए इसका हिन्दी अनुवाद...
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संघी डीएनए और संयुक्त राज्य अमरीका से भारतीय नवजवानों की वापसी

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जयप्रकाश नारायण  डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के पद की शपथ  लेने के तुरंत बाद लिए जा रहे फैसलों से वैश्विक संकट खड़ा होने जा...
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‘आप’ के रास्ते भाजपा की दिल्ली में वापसी

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जयप्रकाश नारायण  भाजपा भारी बहुमत से दिल्ली की विधानसभा मे वापस आ गई है। इसके लिए उसे 27 वर्षों तक इंतजार करना पड़ा। भाजपा की...
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ठन्डे उत्तरों के पीछे खौलते सवालों की कविता

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मनीष आज़ाद मौमिता आलम की ही समकालीन कवि और दलित एक्टिविस्ट मीना कंडासामी कविता के बारे में कहती हैं कि यह वह जगह है, जहाँ...
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कथा पुस्तक ‘कोई है जो’ को कलिंग पुरस्कार दौड़ से बाहर रखने की लेखकीय अपील

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वरिष्ठ कवि देवी प्रसाद मिश्र ने अपनी कथा पुस्तक ‘कोई है जो’ को कलिंग पुरस्कार के लिए शार्ट लिस्ट किए जाने से मना कर दिया...
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कुम्भ मेला : संगम आस्था और त्रासदी का

दिनेश अस्थाना
29 जनवरी लगने ही वाली थी। प्रयागराज के महाकुम्भ मेले में संगम नोज़ पर अचानक भीड़ उमड़ पड़ी, भगदड़ मच गयी। घटना के लगभग 10...
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कोलम्बिया के राष्ट्रपति गुस्तावों पेट्रो का ट्रम्प को जबड़ा-तोड़ जवाब

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  कोलम्बिया एक छोटा सा देश है, आबादी महज़ 5 करोड़। पर उसके राष्ट्रपति गुस्तावों पेट्रो के पास रीढ़ की हड्डी भी है। एक तरफ...
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राजनीतिक दलों के लिए कितनी जरुरी है दिल्ली की साफ हवा ?

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शिवानी पाण्डेय दिल्ली विधानसभा के चुनाव के ठीक एक सप्ताह पहले दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर अलग अलग क्षेत्रों में 350 से 450 के...
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प्रयागराज से संभल तक: निशाने पर मुस्लिम नेतृत्व 

समकालीन जनमत
जयप्रकाश नारायण उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार के गठन के बाद से जितने नीतिगत फैसले लिए गए हैं, उनका...
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भारत में ट्रान्सजेंडर के अधिकार : कागजी कानून और वास्तविक संघर्ष

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दीक्षा पाण्डेय पिछले काफी अरसे से, खासतौर से तब, जब से डोनाल्ड ट्रम्प ने दो से अधिक जेंडर्स को दी गई आधिकारिक मान्यता को वापस...
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निराला का वैचारिक लेखन: राष्ट्र निर्माण का सवाल और सामाजिक लोकतंत्र

निराला के निबंधों और टिप्पणियों में राजनीति और समाज को लेकर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श मिलता है। इसमें वे राष्ट्रीय मुक्ति के लिए चलने वाली राजनीति और...
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गज़ा की यह लड़ाई जिंदा रहने की जद्दोजहद है

फरहत मंटू  ( मेडिसिन्स सैन्स फ़्रंटियर्स (डॉक्टर्स विदाउट बोर्डेर्स) की कार्यकारी निदेशक फरहत मंटू का यह लेख ‘ द हिन्दू ’ में पाँच अक्टूबर को...
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बिहार बाढ़ 2024 : संयोग नहीं, नियति

राहुल यादुका
सितम्बर के अंतिम सप्ताह में बिहार की अधिकातर नदियां उफान पर थी। गंगा में पहले ही बाढ़ आई हुई थी जिसकी वजह से पटना में...
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श्रीलंका का चुनाव परिणाम और भारतीय उपमहाद्वीप में कम्युनिस्ट आन्दोलन

समकालीन जनमत
जयप्रकाश नारायण  दो दिन पहले एक दैनिक समाचार पत्र के कार्यालय में बैठा था। वहां कुछ मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि के मित्र भी थे। मेरे पहुंचते ही...
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ज़ीरो माइल अयोध्या

अयोध्या, पिछले दिनों हुए लोकसभा के आम चुनाव के परिणाम आने के बाद, फिर से चर्चा में आ गया। पिछले सात दशकों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक...
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शोधार्थियों के अधिकारों के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय में उभरता आंदोलन

shantam Nidhi
शांतम निधि    लखनऊ। हाल ही में लखनऊ विश्वविद्यालय में एक महत्वपूर्ण आंदोलन की शुरुआत हुई, जो कुछ विभागों में ( नेट -जेआरएफ) स्कॉलर्स के लिए...
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कोलकाता रेप-कांड के बहाने कुछ जरूरी बातें

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भारतीय समाज में दुर्व्यवहार एवं उत्पीड़न आम हो चुका है। लोग इसे गंभीरता से तभी लेते हैं जब हमला वीभत्स हो जाय। लेकिन यह ठीक...
कहानीजनमतसाहित्य-संस्कृति

पंकज मित्र की कहानियाँ: पूंजी और सत्ता की थम्हायी उम्मीद के बियाबान में भटकते लोगों की दास्तान 

दुर्गा सिंह
1991 में आर्थिक उदारीकरण की नीतियों के लागू होने के बाद भारतीय समाज और संस्कृति में ऐसे परिवर्तन शुरू हुए, जो सतत विकास से अलग...
जनमतपुस्तकसाहित्य-संस्कृति

स्त्री-पुरुष संबंध पर विमर्श का एक और आयाम

समकालीन जनमत
आलोक कुमार श्रीवास्तव   उपन्यास, साहित्य की एक प्रमुख विधा है। इसमें समय-समय पर नये-नये प्रयोग होते रहते हैं और इन प्रयोगों की विशेषताओं के...
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