शख्सियत ‘क्यों कर न हो मुशब्बक शीशे सा दिल हमारा’ -शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी की यादमृत्युंजयDecember 28, 2020December 28, 2020 by मृत्युंजयDecember 28, 2020December 28, 202002253 फ़ारूक़ी साहब नहीं रहे। यह इलाहाबाद ही नहीं, समूचे हिन्दी-उर्दू दोआब के लिए बेहद अफसोसनाक खबर है। वे उर्दू के जबरदस्त नक्काद [आलोचक] थे, बेहतरीन...
साहित्य-संस्कृति पंडिता कलापिनी कोमकली के गायन पर व्योमेश शुक्ल की टीपेंमृत्युंजयJune 23, 2020June 23, 2020 by मृत्युंजयJune 23, 2020June 23, 202002004 एक थोड़ी सी दूरी बहुत से समय में तय करके हमलोग कलापिनीजी को सुनने पहुँचे तो वह ‘श्याम कल्याण’ के ख़याल के बीच में थीं....
कविता कविता के सोलह दस्तावेज़ : गोरख की भोजपुरी कविताएँमृत्युंजयJanuary 29, 2019January 29, 2019 by मृत्युंजयJanuary 29, 2019January 29, 201902726 गोरख का काव्य-संसार गहन द्वंद्वात्मक है। उसमें 70 के दशक का उद्दाम वेग और 80 के दशक का ठहराव एक साथ है। सधी हुई दिल...
ख़बरशख्सियतसाहित्य-संस्कृति विष्णु खरे: बिगाड़ के डर से ईमान का सौदा नहीं कियामृत्युंजयSeptember 19, 2018September 19, 2018 by मृत्युंजयSeptember 19, 2018September 19, 201813214 विष्णु जी नहीं रहे। हिंदी साहित्य संसार ने एक ऐसा बौद्धिक खो दिया, जिसने ‘बिगाड़ के डर से ईमान’ की बात कहने से कभी भी...
कहानी रज्जब अली: कहानी: हेमंत कुमारमृत्युंजयJuly 22, 2018July 22, 2018 by मृत्युंजयJuly 22, 2018July 22, 20182 3408 रज्जब अली तेज कदमों से गेहूँ की सीवान के बीच से मेंड़ पर सम्हलते हुए नदी के पास कब्रिस्तान की तरफ बढ़े जा रहे थे।...
कविता एक कविता: हिंग्लिश [शुभम श्री]मृत्युंजयJuly 14, 2018July 14, 2018 by मृत्युंजयJuly 14, 2018July 14, 201803269 शुभम श्री हमारे साथ की ऐसी युवा कवि हैं जिनकी कविताओं में बाँकपन की छब है। एक ख़ास तंज़ भरी नज़र और भाषा को बरतने...
साहित्य-संस्कृति ‘कुच्ची का कानून’ के मंचन के साथ ‘कोरस’ का ‘आज़ाद वतन-आज़ाद जुबाँ’ नाट्योत्सव प्रारंभमृत्युंजयJune 1, 2018June 2, 2018 by मृत्युंजयJune 1, 2018June 2, 201803059 आसिफ़ा की याद में ‘कोरस’ नाट्य समूह द्वारा ‘आज़ाद वतन-आज़ाद जुबाँ’ नाट्योत्सव की शुरुआत आज से महिलाओं का सवाल सिर्फ़ महिलाओं का नहीं, वरन पुरुषों का भी है, पूरे समाज का: प्रो. डेजी नारायण अभिव्यक्ति की...
कविता एक कविता: दोष नहीं कुछ इसमें [अद्दहमाण]मृत्युंजयMay 27, 2018June 1, 2018 by मृत्युंजयMay 27, 2018June 1, 20183 2993 विद्वानों के मुताबिक़ अद्दहमाण [अब्दुल रहमान] का काल 12वीं सदी के कुछ पहले ही ठहरता है। यहाँ कुछ छंद उनके ग्रंथ ‘संदेस–रासक‘ से चुने गए...
कविता एक कविता : मेट्रो-महिमा : वीरेन डंगवालमृत्युंजयMay 22, 2018May 24, 2018 by मृत्युंजयMay 22, 2018May 24, 20183 2455 नवारुण प्रकाशन से वीरेन डंगवाल की समग्र कविताओं का संग्रह 'कविता वीरेन' छपने वाला है जिसमें उनके सभी संग्रहों और उसके बाद की अन्य कविताएँ...
कवितासाहित्य-संस्कृति एक कविता: चोरी-चुप्पे [प्रकाश उदय]मृत्युंजयMay 12, 2018May 12, 2018 by मृत्युंजयMay 12, 2018May 12, 201813682 कविता 'चुप्पे-चोरी', जो एक लड़की की बहक है। यह लड़की गाँव की है, नटखट है। उसने उड़ने के लिए चिड़िया के पंख और गोता लगाने...