समकालीन जनमत
ग्राउन्ड रिपोर्ट

न्याय यात्रा में युवा भागीदारी ने बेरोजगारी के सवाल को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया

प्रयागराज। आनंद भवन से लक्ष्मी टॉकीज, पुराना कटरा की सड़क। ऊपर हवा में लहराती भगवा झंडो की लड़ियां और नीचे सड़कों पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में उमड़ा युवा सैलाब। जो सड़क पर नहीं आ पाये वो छत के ऊपर बालकनी और खिड़कियों से लटककर कैमरा सम्हाले हुए हैं। व्यापारी वर्ग जिसे भाजपा का कोर वोटर माना जाता है उस इलाके में विपक्षी नेता के यात्रा में युवा सैलाब का उमड़ना इस बात की तस्दीक करता है कि हवा बहुत तेजी से बदल रही है।

कभी इधर कभी उधर राहुल गांधी जिस ओर मुस्कुराते हुए एक नज़र देख लेते उधर से हर्षोल्लास की लहर दौड़ जाती। राहुल गांधी को नज़दीक से देखने के लिए धक्कम-धक्का का आलम यह रहा कि एएनआई का कैमरामैन और रिपोर्टर गिरते पड़ते हांफते एक बार तो भीड़ से बाहर निकलकर किनारे खड़े हो गये हैं। पत्रकार और आम जन का भेद मिट सा गया। एक साथ हजारों मोबाइल कैमरे इस लम्हें को वीडियो और फोटो के रूप में क़ैद करने मे लगे हुए थे। जगह जगह फूलों की बारिश हो रही है। राहुल…. राहुल….. की आवाज़ के बीच हाथों में लहराते स्लोगन, मांगें, नारे, राष्ट्रीय झंडे, पार्टी झंडे और मोबाइल। इस यात्रा में दूर दराज के गांवों की स्त्रियां कांग्रेस नेता के पीछे पीछे चलती नज़र आयी। लेकिन सबसे ज्यादा युवा नज़र आये। वो युवा जो मौजूदा सरकार के निजीकरण और शॉर्ट टर्म रोज़गार के तहत हायर एंड फायर नीति के सताये हुए हैं। वो युवा जो बेरोज़गारी के मारे हुए हैं जो पेपर लीक के मारे हुए हैं। छात्र आरओ एआरओ परीक्षा के पेपर लीक, सिपाही भर्ती पेपर लीक, शिक्षक भर्ती में धांधली और भर्ती आयोग की तानाशाही आदि की तख्ती लिए खड़े थे।

राहुल गाँधी ने कहा कि यहाँ पेपर लीक्स से पीड़ित कोई है। सैकड़ों आवाजें गूंज उठीं। पास खड़े एक युवा को अपने वाहन पर बुलाया, पूछने पर उसने बताया कि उसका नाम अंकित और पिछड़ी जाति का बताया। राहुल गांधी ने उससे पेपर लीक पर विस्तृत चर्चा की। फिर युवाओं को संबोधित करके कांग्रेस नेता ने कहा कि –“पेपर लीक करना आपको आगे बढ़ने से रोकने का तरीका है।” इस दौरान इस युवा द्वारा विश्वविद्यालय में अपनी मांगों पर विरोध दर्ज कराने पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा प्रताड़ित करने का मुद्दा उठाने पर राहुल गाँधी ने कहा कि यहाँ छात्रसंघ चुनाव न करवाने का मतलब है आपके अधिकार को रोकना। उन्होंने संसद में छात्रों के सवालों को उठाने का आश्वासन भी दिया। प्रतियोगी छात्रों ने कांग्रेस नेता को ज्ञापन सौंपा और बताया कि वो कई साल से तैयारी कर रहे हैं। कोचिंग में उन्होंने लाखों रुपये ख़र्च किये हजारों रुपये हर साल फॉर्म भरने में लेकिन परीक्षा से पहले पेपर लीक हो जाता है और भर्ती नहीं होती।

यात्रा के वाहन पर खड़े होकर युवाओं को संबोधित करके कांग्रेस नेता ने कहा कि देश में 50 प्रतिशत ओबीसी आबादी है, 15 प्रतिशत दलित और आठ प्रतिशत आदिवासी आबादी है। आपकी इतनी बड़ी ताक़त के बावजूद हिंदुस्तान में शीर्ष 200 कंपनियों में से एक कंपनी का मालिक ओबीसी दलित, नहीं हैं। देश के सबसे बड़े 90 आईएएस अधिकारियों की सूची में महज तीन लोग आपके वर्ग के है। मीडिया और कचहरी में आपके लोग नहीं हैं।

यात्रा में शामिल एक बुजुर्ग ने कहा कि राहुल गांधी की यात्रा में उमड़ा युवा सैलाब इस बात की आश्वस्ति है कि साम्प्रदायिक नफ़रत और भगवा उन्माद की मीडिया निर्मित लहर के बीच युवा पीढ़ी में ऐसे भी युवा हैं जो प्रेम शान्ति और बदलाव चाहते हैं। विपक्षी गठबंधन युवाओं की नब्ज़ उनकी समस्याओं को पहचानता है। राहुल गांधी ने लक्ष्मी टॉकीज चौराहे पर युवाओं को संबोधित किया और उनसे उनकी समस्याओं को लेकर संवाद किया। इस दौरान उन्होंने मीडिया, कोर्ट, निजी क्षेत्र, और अयोध्या मंदिर प्राणप्रतिष्ठा में 73 प्रतिशत दलित बहुजन आबादी की गैर-भागीदारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जातीय जनगणना को देश का एक्सरे और ग़रीबों का हथियार बताया। उन्होंने जातीय जनगणना की ज़रूरत पर बल देते हुए कहा जाति जनगणना आपका हथियार है। आपको पता लगाना है कि आपकी आबादी कितनी है और यह भी पता लगना है कि देश के धन पर आपकी कितनी हिस्सेदारी है। इस देश में 73 प्रतिशत आबादी के पास कितना धन है। यह जाति जनगणना के एक्सरे से पता चल जाएगा। इससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

पिछले दस सालों से देश के दो बड़े कार्पोरेट को निशाने पर लेते आये कांग्रेस नेता ने एक बार फिर गौतम अदानी और मुकेश अंबानी के प्रति मौजूदा सरकार और सरकारी बैंकों की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि ये लोग (केंद्र सरकार) कभी किसानों का कर्ज़ा माफ़ नहीं करते। लेकिन यही लोग उद्योगपतियों का 14 लाख करोड़ का कर्ज़ा माफ़ किया हैं। अंबानी अडानी लाखों करोड़ो रुपये का बैंक कर्ज़ मांगते हैं और उन्हें सेकेंडों में मिल जाता है। लेकिन आप शिक्षा के लिए कर्ज़ लेने जाएंगे तो बैंक से आपको भगा दिया जाता है।

राहुल गांधी के साथ बेरोजगारी पर बात करने वाले युवा अमित

इस दौरान ट्रेड यूनियन और कर्मचारी यूनियन के नेताओं ने पुरानी पेंशन, आठवें वेतन आयोग गठन के मुद्दे को लेकर कांग्रेस नेता को ज्ञापन सौंपा। छात्रों ने भी ज्ञापन सौंपा। कांग्रेस की मीडिया टीम ने लक्ष्मी टॉकीज पर युवाओं से तमाम मुद्दों पर संवाद करके उसकी रिकॉर्डिंग की। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के प्रयागराज पड़ाव पर अपनादल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल और सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या के शामिल होने की सुगबुगाहट थी पर वो लोग नहीं आए। अलबत्ता वामपंथी नेता हरीश्चंद्र द्विवेदी, आनंद मालवीय, सपा पार्षद अजय यादव, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष के के राय समेत कई पूर्व पदाधिकारी, ट्रेड यूनियनों के लीडर, मानवाधिकार संगठनों और इलाहाबाद के नागरिक समाज से जुड़े कई वरिष्ठ लोग आदि ज़रूर शामिल हुए। सीपीआईएमल के छात्र और अन्य संगठनों ने यात्रा में हिस्सेदारी निभाई। स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव भी यात्रा में शामिल थे।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले कांग्रेस की यह भारत जोड़ो न्याय यात्रा का दूसरा भाग 14 जनवरी 2024 से मणिपुर से शुरु हुआ है। 66 दिनों में 6700 किलोमीटर की दूरी तय करने के साथ इस यात्रा का समापन महाराष्ट्र में होगा। भारत जोड़ो न्याय यात्रा 15 राज्यों के 110 जिलों को कवर कर रही है।

भारत जोड़ो यात्रा 7 सितंबर 2022 को कन्याकुमारी से शुरु हुई थी और 145 दिन की यात्रा के बाद 30 जनवरी को श्रीनगर पहुंचकर संपन्न हुयी थी। यानि राहुल गांधी पहली भारत जोड़ो यात्रा जहां दक्षिण भारत से उत्तर भारत की यात्रा थी। वहीं दूसरी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पूर्वी भारत से पश्चिमी भारत तक की यात्रा है। पहली यात्रा जहां गांव क़स्बों को भी छूती चल रही थी वहीं दूसरी यात्रा का झुकाव शहरी आबादी की ओर ज़्यादा दिख रहा है, इसका एक कारण समय की कमी हो सकती है क्योंकि अब कभी भी निर्वाचन आयोग चुनाव तारीखों का एलान कर सकता है- ऐसा भारत जोड़ो यात्रा पर नज़र रखने वाले एक एक अधेड़ व्यक्ति ने बताया।

बेरोज़गारी और जातीय जनगणना का मुद्दा इस लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है, ऐसा असम से लेकर प्रयागराज तक राहुल गांधी द्वारा युवाओं को समबोधित करते समय बार बार और लगातार उठाये जाने स्पष्ट होता है। गौरतलब है कि हाल ही मे संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी विपक्षी गठबंधन द्वारा जातीय जनगणना को चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा बनाया था। इसके अलावा पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने, महंगाई, निजीकरण, कार्पोरेट घोटाला, यूनिवर्सल इनकम, इलेक्टरोल बांड और स्टेट द्वारा चुनाव फंडिग कराने जैसे मुद्दे चुनावी मुद्दे बनने जा रहे हैं जोकि हिंदुत्व की साम्प्रदायिक राजनीति का तोड़ साबित होंगे।

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