स्मृति प्रो. लाल बहादुर वर्मा: एक प्रोफ़ेसर जिसने विविधता का मतलब बतायासमकालीन जनमतMay 17, 2021November 20, 2021 by समकालीन जनमतMay 17, 2021November 20, 202101818 सविता पाठक ये माना जिन्दगी है चार दिन की बहुत होते हैं यारों ये चार दिन भी -फ़िराक़ प्रो लालबहादुर वर्मा नहीं रहे। ये ख़बर...
कविता सविता पाठक की कविताएँ पितृसत्तात्मक चलन और पाखंड को उजागर करती हैंसमकालीन जनमतOctober 18, 2020October 18, 2020 by समकालीन जनमतOctober 18, 2020October 18, 202002936 रुपम मिश्र सविता पाठक मूल रूप से कहानीकार हैं । कहानी की गद्यात्मकता उनकी कविताओं में भी बनी रहती है । सविता की कविताएँ एक...