जनमत हतभागे किसान: प्रेमचन्दसमकालीन जनमतJuly 31, 2019December 9, 2019 by समकालीन जनमतJuly 31, 2019December 9, 20194 2865 (प्रेमचन्द ने यह लेख 19 दिसम्बर 1932 में लिखा था। उनके इस लेख के साथ समकालीन जनमत प्रेमचंद पर अपनी यह शृंखला समाप्त करता है। इस...
जनमतशख्सियतस्मृति नायक विहीन समय में प्रेमचंदसमकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 2019 by समकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 201904357 प्रो. सदानन्द शाही कुछ तारीखें कागज के कैलेण्डरों पर दर्ज होती हैं और याद रखी जाती हैं या पर कुछ तारीखें ऐसी भी होती हैं...
जनमतशख्सियतस्मृति प्रेमचंद की दलित स्त्रियाँ: वैभव सिंहसमकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 2019 by समकालीन जनमतJuly 31, 2019July 31, 201904644 वैभव सिंह प्रेमचंद जितना पुरुष-जीवन का अंकन करने वाले कथाकार हैं, उतना ही स्त्रियों के जीवन के भी विविध पक्षों को कथा में व्यक्त करते...
जनमतशख्सियतस्मृति किसान आत्म-हत्याओं के दौर में प्रेमचंद – प्रो. सदानन्द शाहीसमकालीन जनमतJuly 30, 2019July 30, 2019 by समकालीन जनमतJuly 30, 2019July 30, 201902081 प्रो.सदानन्द शाही किसानों की आत्म हत्यायें हमारे समाज की भयावह सचाई है। भारत जैसे देश में किसान आत्महत्यायें कर रहे हैं यह शर्मशार कर देने...
जनमतशख्सियतस्मृति सदगति : ‘ग़म क्या सिर के कटने का’*समकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 2019 by समकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 201905827 प्रो. सदानन्द शाही सदगति दलित पात्र दुखी की कहानी है। दुखी ने बेटी की शादी तय की है। साइत विचरवाने के लिए पं0. घासीराम को बुलाने...
जनमतशख्सियतस्मृति मेरी माँ ने मुझे प्रेमचन्द का भक्त बनाया : गजानन माधव मुक्तिबोधसमकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 2019 by समकालीन जनमतJuly 29, 2019July 29, 201903474 एक छाया-चित्र है । प्रेमचन्द और प्रसाद दोनों खड़े हैं । प्रसाद गम्भीर सस्मित । प्रेमचन्द के होंठों पर अस्फुट हास्य । विभिन्न विचित्र प्रकृति...
जनमतशख्सियतस्मृति प्रेमचंद ने ‘अछूत की शिकायत’ को कथा-कहानी में ढालाडॉ रामायन रामJuly 28, 2019July 29, 2019 by डॉ रामायन रामJuly 28, 2019July 29, 20193 3770 1914 में हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका सरस्वती में हीरा डोम की कविता अछूत की शिकायत प्रकाशित हुई थी,जिसमे कवि ने अछूतों के साथ होने...
जनमतशख्सियतस्मृति नई पीढ़ी को भी उम्दा साहित्य के संस्कार देने वाले प्रेमचंदअभिषेक मिश्रJuly 28, 2019July 28, 2019 by अभिषेक मिश्रJuly 28, 2019July 28, 201902479 कहा जाता है ‘साहित्य समाज का दर्पण है’। साहित्यकारों से भी यही अपेक्षा रखी जाती है। पर धीरे-धीरे आजादी मिलने से पूर्व और इसके बाद...
जनमतशख्सियतस्मृति रेलवे स्टेशन पर प्रेमचन्दसमकालीन जनमतJuly 28, 2019July 28, 2019 by समकालीन जनमतJuly 28, 2019July 28, 201902236 डॉ. रेखा सेठी अभी हाल ही में नयी दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर मुझे प्रेमचन्द की लोकप्रियता का नया अनुभव हुआ। स्टेशन के लगभग हर...
जनमतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति साहित्य का उद्देश्य: प्रेमचंदसमकालीन जनमतJuly 26, 2019July 26, 2019 by समकालीन जनमतJuly 26, 2019July 26, 201908133 [1936 में प्रगतिशील लेखक संघ के प्रथम अधिवेशन लखनऊ में प्रेमचंद द्वारा दिया गया अध्यक्षीय भाषण] यह सम्मेलन हमारे साहित्य के इतिहास में स्मरणीय घटना है।...
जनमतस्मृति प्रेमचंद के फटे जूते: हरिशंकर परसाईसमकालीन जनमतJuly 25, 2019July 26, 2019 by समकालीन जनमतJuly 25, 2019July 26, 201905280 प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने...