समकालीन जनमत
The Indian Air Force aircraft Su-30 fly past in Vic Formation over National Capital Region, as part of the “Armed Forces Salute Corona Warriors”, in New Delhi on May 03, 2020.
ज़ेर-ए-बहस

रोटी, दवा, सुरक्षा जरूरी है या पुष्प वर्षा ?

रीता शर्मा


ऐसे समय जबकि हम “कोरोना महामारी” से जूझ रहे हैं और 21 मार्च से लगातार देश बंदी के चलते श्रमिक वर्ग, प्राइवेट नौकरी पेशा, ट्रांसपोर्ट से संबंधित और अन्य विभागों में सभी लोगों का काम पूरी तरह से बंद हो चुका है. और इनमें भी सबसे ज्यादा मार देश बंदी की दिहाड़ी पर काम करने वाले पर पड़ी है. उनके रहने और खाने दोनों की ही समस्या हो गयी है, सेना द्वारा सम्मान पुष्प वर्षा करने पर सवाल उठना लाजमी है. .. अच्छा लगना और अच्छा महसूस करने से ज्यादा जरूरी पेट भरना और इलाज़ है.

सैकड़ों किलोमीटर पैदल, साइकिल से चलते हुए मजदूर घर पहुंच रहे हैं. घर पहुँचने की आस लिए कई मजदूरों की रस्ते में ही मौत हो गयी. घर पहुंचने के बाद भी मजदूर अपने घर नहीं रह पाए और उन्हें एक पखवारे के लिए क्वारनटीन रहना पड़ रहा है. अपने गांव-घर पहुँच कर भी वे उपेक्षित हैं. बिहार में एक स्थान पर तो उन्हें एक भवन में ठूंसने के बाद ताला बंद कर दिया गया. मजदूर मिन्नत कर रहे थे कि उन्हें घर जाने दिया जाए.

कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए डब्ल्यूएचओ का साफ साफ निर्देश था कि एक मीटर की दूरी ( सोशल डिस्टेंसिंग) बनाकर रखे लेकिन थाली बजने के आह्वान में इसकी अनदेखी कर दी गयी. थाली बजते हुए लोग खूब एकत्र हुए. एक जिले में डीएम-एसपी सड़क पर जुलूस की शक्ल में चलते दिखे.

ताली, थाली के बाद आज ये “पुष्प वर्षा” बहुत अजीब फैसला है. आज जब हम महामारी के शिकंजे में है और महामारी को रोकने के लिए किये गये लाकडाउन के कारण भुखमरी एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ गयी है, ऐसे में पुष्प वर्षा पर खर्च करना कितना उचित है ? जहां तक सम्मान करने की बात है तो हम संकट से उबरने के बाद भी ये सब कुछ कर सकते हैं लेकिन बीमारी और भुखमरी तो इंतजार नहीं करती है. समय के साथ समस्या गंभीर रूप लेगी. वैसे भी आए दिन खुद चिकित्सक सुरक्षा उपकरण न होने की शिकायत करते रहते हैं और ये बड़ी दुखद स्थिति है कि सुरक्षा उपकरणों के अभाव में हमारे कोरोना वारियर्स पुलिस, सैनिक, डाक्टर संक्रमित हो रहे हैं और सरकार इस विषय की गंभीरता पर न सोचते हुए उनके सम्मान का एक इवेंट कर मीडिया में सुर्खियां बटोरना चाहती हैं.

इस पुष्प वर्षा और सेना द्वारा बैंड बजाने का आइडिया जहाँ से भी आया हो, क्या यह पता नहीं है कि अस्पताल के आसपास तेज आवाज प्रतिबंधित होती है. आइडिया के बाद इसे धरातल पर लाने के लिए तैयारी के बीच क्या किसी को ये ख्याल नहीं आया ? या लोगों को केवल आदेश पालन के लिए ही प्रतिबंधित कर दिया गया है ?

नोटबंदी, जीएसटी के बाद महामारी रोकने के लिए जल्दीबाजी और बिना किसी योजना के देशबंदी की गयी. लाकडाउन के बाद भी कोविड-19 के केस बढ़ते जा रहे हैं.  महामारी पर हम अंततः विजय पा ही लेंगे लेकिन उस बीच की पीड़ा क्या हम भुला पाएंगे ? ये हमारे लिए याद रखने वाली बात है कि बिहार सरकार लोगों को वापस बुलाने से मना कर देती है और बस या ट्रेन से लाये गए मजदूरों से टिकट का पैसा लिया जा रहा है.

(रीता शर्मा फ्रीलांस पत्रकार और महिला मुद्दों पर सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता हैं)

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