समकालीन जनमत

Category : कविता

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मृगतृष्णा की कविताएँ मुक्ति की आकांक्षा हैं

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निरंजन श्रोत्रिय   युवा कवि मृगतृष्णा की ये कविताएँ मुक्ति की आकांक्षा की कविताएँ हैं। यह मुक्ति परम्परा से विद्रोह के रूप में भी है...
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नताशा की कविताएँ स्त्रीत्व का अन्वेषण और उनका विस्तार करती हैं

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विपिन चौधरी कविता उस मानवीय संस्कृति का नाम है जिसका सीधा संबंध संवेदनाओं से है, इस लिहाज़ से वर्तमान समय में कविता जैसी विधा सबसे...
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अंकिता रासुरी की कविताएँ विषय विविधता से पूर्ण अदम्य साहस की अभिव्यक्ति हैं

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पुरु मालव अंकिता रासुरी की कविताओं में वो विषय-क्षेत्र भी सहजता से प्रविष्ट हो जाते हैं जिनकी ओर प्रायः कवि दृष्टिपात करने से भी बचते...
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पम्मी राय की कविताएँ प्रतिबद्धता और दूरगामी यात्रा की संकेत हैं

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निरंजन श्रोत्रिय युवा कवयित्री पम्मी राय की कविताओं में कुछ अनगढ़पन-सा पाठकों को लग सकता है। ऐसा इसलिए भी कि पम्मी ने अभी-अभी ही कविता...
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सीमा सिंह की कविताएँ समय की चमकदार जकड़बंदियों से टकराती हैं

शालिनी सिंह सीमा सिंह की कविताओं में प्रवेश के लिए आपको पूर्वाग्रह के समस्त पैरहन उतार कर आना होगा क्योंकि ये कविताएँ हमारे समय के...
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आशुतोष कुमार की कविताएँ समय के व्यर्थताबोध से आगे बढ़ने का हौसला हैं

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चंद्रभूषण अयोध्या यह चिट्ठी पढ़े न पढ़े, आप तो पढ़ें .. आज जब अयोध्या में रामलला का मंदिर ‘वहीं’, ‘उसी जगह’, एक राष्ट्रव्यापी हंगामे से...
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अरविंद पासवान की कविताएँ साफगोई का सौंदर्य हैं

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श्रीधर करुणानिधि सरलता का अपना सौंदर्य होता है। निश्छल हृदय की बातें और भोली उन्मुक्त हँसी बरबस ध्यान खींच लेती हैं। जब चारों ओर कोलाहल...
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कविता नए दुखों की पहचान करती है- आशुतोष कुमार

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नई दिल्ली। सिद्धांत फाउंडेशन द्वारा 23 दिसंबर को दिल्ली में वल्लभ के काव्य-संकलन ‘पोतराज’ पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में वरिष्ठ आलोचक आशुतोष...
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ख़ुदेजा ख़ान की कविताएँ सिस्टम की मार सहते नागरिक की आवाज़ हैं

उमा राग
मेहजबीं ख़ुदेजा ख़ान की कविताएँ अपने वर्तमान समय का दस्तावेज़ हैं। उनकी कविता के केन्द्र में आम लोग हैं, मतदाता हैं, बूढ़े हैं, बच्चे हैं,...
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कविता संग्रह ‘पोतराज’ : समकाल के क्रूर यथार्थ को रचने वाली कविताएं

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लखनऊ। जन संस्कृति मंच की ओर से 28 अक्टूबर को यूपी प्रेस क्लब में कवि वल्लभ के तीसरे कविता संग्रह ‘पोतराज’ पर परिचर्चा का आयोजन...
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पायल भारद्वाज की कविताएँ स्त्री-विमर्श के अनेक पक्षों को बेबाकी के साथ उजागर करती हैं

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निरंजन श्रोत्रिय पायल भारद्वाज की कविताएँ स्त्री-विमर्श, इन्सानी रिश्तों और समाज के दोहरे मानदंडों पर मुखर और जागरूक अभिव्यक्ति हैं। वे अपने कहन में जहाँ...
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मौमिता की झकझोरती कविताएँ : सीधी, गहरी और सवाल करती हैं

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अमिता शीरीं ‘इस वक्त जब दुनिया लहूलुहान है ऐसे में चाँद की खूबसूरती पर कवितायें लिखना गुनाह है….’ मौमिता आलम पूरी ज़िम्मेदारी से कविताएँ लिखती...
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नेहल शाह की कविताएँ मन के विभिन्न संस्तरों के ट्रांस्फॉर्मेशन की पड़ताल हैं

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निरंजन श्रोत्रिय नेहल शाह की इन कविताओं का मूल स्वभाव विद्रोही है जो अंततः दरअसल कवि का ही है। वे किसी भी तरतीब के ख़िलाफ़...
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‘ क्षितिज से उगेगा चंद्रमा ’ : परिवर्तन के पक्ष में मनुष्यता का गान

कौशल किशोर
जितेन्द्र कुमार कविता की दुनिया के सजग और सचेत नागरिक हैं। इनकी पहली कविता पुस्तक ‘रात भर रोई होगी धरती’ करीब 25 साल पहले आई...
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अरबाज़ खान की कविताएँ प्रेम, प्रतिरोध और पीड़ा की बानगी हैं

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पुरु मालव अरबाज़ ख़ान और उनकी कविताओं से पहला परिचय हाल ही में आए ’समय के साखी’ पत्रिका के कविता विशेषांक से हुआ। जिसका सम्पादन...
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वल्लभ की कविताओं में सच का ताप है

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जन संस्कृति मंच की ओर से 30 सितंबर 2023 को फूड इंडिया, आरा के मीटिंग हॉल में कवि वल्लभ के तीसरे कविता संग्रह ‘पोतराज’ का...
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नीरज नीर की कविताएँ विडबंनात्मक बोध को उजागर करती हैं

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शिरोमणि राम महतो कुछ लोग कविता बनाते हैं और कुछ लोग कविता रचते हैं। जो कविता बनाते हैं, उनकी कविताओं में बनावटीपन ज्यादा होता है...
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संध्या यादव की कविताएँ समकालीन समाज की अनेक विसंगतियों से एक स्त्री की बहसें हैं

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अमरजीत कौंके फेसबुक पर जिन कवियों की कविता मुझे बहुत पसंद है और मैं जिन्हें ढूंढ कर पढ़ता हूँ, संध्या यादव उन चंद कवियों में...
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जावेद आलम की कविताएँ मानवता के पक्ष में निर्भीकता से खड़ी हैं

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अशोक कुमार “स्याह वक्त कि इबारतें” युवा कवि जावेद आलम खान का पहला संग्रह है, जिसे दीपक अरोड़ा स्मृति सम्मान के तहत बोधि प्रकाशन ने...
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योगेंद्र गौतम की कविताएँ अंधेरे के अज्ञात बिन्दु से प्रकाश की खोज में निकली यात्री हैं

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प्रिया वर्मा यह कवि रात्रि के किसी अज्ञात बिंदु पर खड़ा हुआ है और अंधेरे के उस अज्ञात बिंदु में प्रकाश को खोजते हुए कविता...
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