समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

कविता

कायनात शाहिदा की कविताएँ शीरीं लफ़्ज़ों की छोटी सी दुनिया है।

समकालीन जनमत
नाज़िश अंसारी पत्नी पर बेहिसाब चुटकुले बनने के बाद जिस विषय का सबसे ज़्यादा मज़ाक़ उड़ाया गया/ जाता है, वो है कविता। मुक्त कविता (आप...
कहानीजनमतसाहित्य-संस्कृति

पंकज मित्र की कहानियाँ: पूंजी और सत्ता की थम्हायी उम्मीद के बियाबान में भटकते लोगों की दास्तान 

दुर्गा सिंह
1991 में आर्थिक उदारीकरण की नीतियों के लागू होने के बाद भारतीय समाज और संस्कृति में ऐसे परिवर्तन शुरू हुए, जो सतत विकास से अलग...
जनमतपुस्तकसाहित्य-संस्कृति

स्त्री-पुरुष संबंध पर विमर्श का एक और आयाम

समकालीन जनमत
आलोक कुमार श्रीवास्तव   उपन्यास, साहित्य की एक प्रमुख विधा है। इसमें समय-समय पर नये-नये प्रयोग होते रहते हैं और इन प्रयोगों की विशेषताओं के...
कविता

कविताओं के अनुभवों का आयुष

समकालीन जनमत
आज शेखर जोशी जीवित रहे तो 92 साल के हुए। जीवन के अंतिम दो दशकों में उन्होंने फिर से कविताएँ लिखीं और 2012 में ‘साहित्य...
स्मृति

‘ आर के सिन्हा वैचारिक स्कूल थे ’

समकालीन जनमत
लखनऊ, 9 सितंबर। मार्क्सवादी चिन्तक और जन संस्कृति मंच (जसम) के राज्य पार्षद तथा लखनऊ इकाई के उपाध्यक्ष आर के सिन्हा का विगत 27 अगस्त...
कविता

रहमान की कविताएँ प्रेम में बराबरी की पैरोकार हैं

समकालीन जनमत
मेहजबीं “मेरे जीवन में तुम सरई का फूल हो।” युवा कवि रहमान की अभिव्यक्ति के केन्द्र में प्रेम है। काव्य कला की बात करें उनकी...
कविता

रुचि बहुगुणा उनियाल की कविताओं में मानवीय रिश्तों की मिठास और गर्माहट है

समकालीन जनमत
गणेश गनी ‘बिछोह में ही लिखे जाते हैं प्रेम-पत्र’ रुचि बहुगुणा उनियाल उत्तराखंड से सम्बद्ध हिंदी कवयित्री हैं। विभिन्न विषयों पर कविताएँ लिखने वाली रचनाकार...
कविता

संजीव गुप्त की कविताएँ फैन्टेसी, इमेजरी और वैज्ञानिक प्रसंगों का सर्जनात्मक समुच्चय हैं।

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय साहित्य में वायवीयता होती है। कल्पना रचनात्मक साहित्य की प्रकृति है लेकिन किसी भी रचना की विश्वसनीयता के लिए यह आवश्यक है कि...
पुस्तक

कला में प्रतिरोध

गोपाल प्रधान
  2023 में लेफ़्टवर्ड से ब्रह्म प्रकाश की किताब ‘ बाडी आन द बैरीकेड्स: लाइफ़, आर्ट ऐंड रेजिस्टेन्स इन कनटेम्पोरेरी इंडिया ’ का प्रकाशन हुआ।...
कविता

चित्रा पँवार की कविताएँ कातर स्त्री मन से बूंद-बूंद रिसती ध्वनियाँ हैं

समकालीन जनमत
अणु शक्ति सिंह मैं चित्रा पँवार की कविताएँ पढ़ रही थी। उन कविताओं को पढ़ते हुए कई बार खयाल आया कि इन कविताओं का एक...
साहित्य-संस्कृति

 जुमई खां ‘आजाद’ की कविताओं में है वर्ग चेतना की विश्वसनीय और धारदार अभिव्यक्ति 

समकालीन जनमत
गिरिडीह। जन संस्कृति मंच, गिरिडीह और ‘ परिवर्तन ‘ पत्रिका के साझे प्रयत्न से गिरिडीह कॉलेज, गिरिडीह के न्यू बिल्डिंग में अवधी भाषा के प्रगतिशील कवि...
साहित्य-संस्कृति

‘ प्रेमचंद का लेखन विषमता, साम्प्रदायिकता, तानाशाही, अंधराष्ट्रवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की प्रेरणा देता है ’

समकालीन जनमत
बलिया। जन संस्कृति मंच की बलिया इकाई ने 11 अगस्त को पीडब्ल्यूडी के कर्मचारी हॉल में ‘ प्रेमचंद और आज का समय ’ विषय पर...
कविता

उज़्मा सरवत की कविताएँ व्यवस्था द्वारा निर्मित यथार्थ का आईना हैं।

मेहजबीं उज़्मा सरवत की कविताएँ समकालीन समय की आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक परिस्थितियों और पूंजीवादी व्यवस्था द्वारा निर्मित यथार्थ का आईना हैं। बहुत नपे-तुले शब्दों में...
जनमतशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

निराला का वैचारिक लेखन: राष्ट्र निर्माण का सवाल और भाषा

दुर्गा सिंह
राष्ट्र निर्माण में भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। निराला भावी राष्ट्र निर्माण को लेकर अपने लेखों और टिप्पणियों में  विचार करते हैं। आजादी की...
कविता

मनीष यादव की कविताएँ स्त्रियों के पक्ष में एक कवि का आर्तनाद हैं

समकालीन जनमत
आदित्य शुक्ल मनीष यादव की कविताएँ भारतीय समाज में स्त्रियों के पक्ष को खोलती हुई जादू रचती हैं। ये कविताएँ स्त्रियों के पक्ष में मुनादी...
सिनेमा

‘लापता लेडीज़’ स्त्री विमर्श पर बनी हुई एक सशक्त फ़िल्म है।

समकालीन जनमत
प्रतिमा राज ‘लापता लेडीज़’ ये फ़िल्म देखिए और दिखाइए। यह स्त्री विमर्श पर बनी हुई एक सशक्त फ़िल्म है। ये फ़िल्म लेखक बिप्ल्व गोस्वामी की...
यात्रा वृतान्त

लखनऊ में यात्रा संस्मरण ‘अपनी धरती अपना आकाश ‘ का विमोचन

समकालीन जनमत
लखनऊ। जन संस्कृति मंच की ओर से कवि व साहित्यकार भगवान स्वरूप कटियार की नई किताब ‘अपनी धरती अपना आकाश’ का इप्टा दफ्तर कैसरबाग ,...
कविता

हिमांशु जमदग्नि की कविताएँ जीवन के विस्तृत आयामों को स्पर्श करती हैं।

समकालीन जनमत
देवेश पथ सारिया युवा कवि हिमांशु जमदग्नि एक गाँव से आते हैं और एक महानगर में पढ़ाई करते हैं। उनकी कविताओं का फलक कम उम्र...
कविता

मधु सक्सेना की कविताएँ प्रतिकूलता का डटकर सामना करती हैं।

समकालीन जनमत
ख़ुदेजा ख़ान मधु सक्सेना की कविताओं का मूल स्वर भले ही स्त्री केंद्रित है तथापि इसमें सामाजिक संदर्भों की एक वृहत्तर शृंखला दिखलाई पड़ती है...
Fearlessly expressing peoples opinion