साहित्य-संस्कृति राजनैतिक आंदोलन के साथ सांस्कृतिक आंदोलन तेज करना ही मधुकर सिंह के साहित्य का संदेश : सुदामा प्रसादसमकालीन जनमतJanuary 4, 2025 by समकालीन जनमतJanuary 4, 2025037 आरा। ‘‘ आज का दौर भारतीय लोकतंत्र के लिए एक नाजुक दौर है। इस दौर में लोकतंत्र को बचाने की जो चुनौती है, उसके लिए...
कविता माया मिश्रा की कविताओं में कभी न ख़त्म होने वाली उम्मीद का एक शिखर हैसमकालीन जनमतDecember 29, 2024December 29, 2024 by समकालीन जनमतDecember 29, 2024December 29, 20240142 गुंजन श्रीवास्तव माया मिश्रा जी की कविताओं को पढ़कर एक बात तो साफ़ कही जा सकती है कि यह एक कवि के परिपक्व अनुभव से...
कविता हरे प्रकाश उपाध्याय की कविताएँ तनी हुई मुट्ठी की तरह ऊपर उठती हैं।समकालीन जनमतDecember 22, 2024December 22, 2024 by समकालीन जनमतDecember 22, 2024December 22, 20240218 चित्रा पंवार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना कविता के विषय में कहते हैं– ‘कविता अगर मेरी धमनियों में जलती है पर शब्दों में नहीं ढल पाती मुझे...
कविता दुनिया में ताक़त के खेल को समझने की कोशिश है अरुणाभ सौरभ की कविताएँसमकालीन जनमतDecember 16, 2024December 19, 2024 by समकालीन जनमतDecember 16, 2024December 19, 2024029 बीते शनिवार को प्रभाकर प्रकाशन में अरुणाभ सौरभ के काव्य-संग्रह ‘मेरी दुनिया के ईश्वर’ के तीसरे संस्करण का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर एक परिचर्चा...
कविता रचित की कविताएँ यथास्थिति को बदलने के लिए बेचैन हैंसमकालीन जनमतDecember 15, 2024December 15, 2024 by समकालीन जनमतDecember 15, 2024December 15, 20240111 जावेद आलम ख़ान रचित की कविताओं में गुस्सैल प्रेमी रहता है ऐसा नायक जो यथार्थ को नंगा नहीं करता, बड़े सलीके से परोसता है जिसकी...
साहित्य-संस्कृति स्वयं प्रकाश के साहित्य में बहुत गहराई से सामने आती है विभाजन की त्रासदी – प्रो. गोपाल प्रधानसमकालीन जनमतDecember 9, 2024 by समकालीन जनमतDecember 9, 2024073 नई दिल्ली। देश की स्वतंत्रता के साथ ही विभाजन की त्रासदी जुड़ी हुई है और जो बहुत अधिक गहरी है। इस त्रासदी को स्वयं प्रकाश जैसे...
कविता ग्रेस कुजूर की कविताओं में नष्ट होती प्रकृति का दर्द झलकता है।समकालीन जनमतDecember 8, 2024December 8, 2024 by समकालीन जनमतDecember 8, 2024December 8, 20240156 प्रज्ञा गुप्ता प्रकृति का सानिध्य किसे प्रिय नहीं। प्रकृति के सानिध्य में ही मनुष्य ने मनुष्यता सीखी; प्रकृति एवं जीवन के प्रश्नों ने ही मनुष्य...
साहित्य-संस्कृति हेमंत कुमार की नयी कहानी ‘वारिस’समकालीन जनमतDecember 8, 2024December 12, 2024 by समकालीन जनमतDecember 8, 2024December 12, 20240100 (हेमंत की कहानियां अपने समय के यथार्थ को बेहद संवेदनशील तरीके से चित्रित करती हैं और पाठक को सोचने को विवश करती हैं। पढ़िए हेमंत...
कविता हूबनाथ पांडेय ने अपनी कविताओं में व्यवस्था की निर्लज्जता को बेनक़ाब किया हैउमा रागDecember 1, 2024 by उमा रागDecember 1, 20240250 मेहजबीं हूबनाथ पांडेय जी जनसरोकार से जुड़े हुए कवि हैं। उनकी अभिव्यक्ति के केन्द्र में व्यवस्था का शोषण तंत्र है, प्रशासन द्वारा परोसा जा रहा...
साहित्य-संस्कृति वीरेनियत-6: कला और साहित्य का अद्भुत संगमसमकालीन जनमतDecember 1, 2024December 2, 2024 by समकालीन जनमतDecember 1, 2024December 2, 20240117 नई दिल्ली। दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर के गुलमोहर हॉल में जन संस्कृति मंच द्वारा 15 नवम्बर को कवि वीरेन डंगवाल की स्मृति में आयोजित ...
कविता पूजा कुमारी की कविताओं में हाशिये की तमाम आवाज़ें जगह पाती हैं।समकालीन जनमतNovember 24, 2024November 24, 2024 by समकालीन जनमतNovember 24, 2024November 24, 20240249 बबली गुज्जर जिंदगी में जब लगता है कि सब खत्म हो गया है, तो असल में वह कुछ नया होने की शुरुआत होती है। चुप्पियाँ...
साहित्य-संस्कृति ‘ मुक्तिबोध ने अंधकार के खिलाफ अपनी कविताओं से ज्योतिशास्त्र लिखा ’समकालीन जनमतNovember 20, 2024November 20, 2024 by समकालीन जनमतNovember 20, 2024November 20, 20240103 इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में 13 नवंबर को मुक्तिबोध जयंती के अवसर पर प्रणय कृष्ण की किताब ‘ मुक्तिबोध साहित्य का गति- पथ ‘...
कविता माया प्रसाद की कविताएँ उस व्यक्ति-मन की प्रतिक्रियाएँ हैं जो अपने परिवेश के प्रति जागरुक और संवेदनशील है।समकालीन जनमतNovember 17, 2024December 8, 2024 by समकालीन जनमतNovember 17, 2024December 8, 20240232 प्रज्ञा गुप्ता डॉ माया प्रसाद की कविताएँ उस व्यक्ति-मन की प्रतिक्रियाएँ हैं जो बहुत संवेदनशील है और अपने पूरे परिवेश के प्रति जागरुक है। उनकी...
ख़बरसिनेमा आरएसएस के विरोध पर आरएनटी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने नौवें उदयपुर फ़िल्म फेस्टिवल को जबरन रोका समकालीन जनमतNovember 17, 2024 by समकालीन जनमतNovember 17, 2024081 नौवें उदयपुर फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन भोजन के बाद के सत्र में आर एस एस के कार्यकर्ताओं के विरोध और उनके दबाव में कार्यक्रम...
जनमतशख्सियतसाहित्य-संस्कृति निराला का वैचारिक लेखन: राष्ट्र निर्माण का सवाल और सामाजिक लोकतंत्रदुर्गा सिंहNovember 14, 2024 by दुर्गा सिंहNovember 14, 2024053 निराला के निबंधों और टिप्पणियों में राजनीति और समाज को लेकर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श मिलता है। इसमें वे राष्ट्रीय मुक्ति के लिए चलने वाली राजनीति और...
कविता मंजुल भारद्वाज की कविताएँ दमनात्मक व्यवस्था की त्रासदी को उजागर करती हैंउमा रागNovember 10, 2024November 10, 2024 by उमा रागNovember 10, 2024November 10, 20240231 मेहजबीं मंजुल भारद्वाज एक मंझे हुए रंगकर्मी हैं और एक ज़िम्मेदार कवि भी। उनकी अभिव्यक्ति के केन्द्र में लोकतंत्र संविधान और देश की जनता है।...
साहित्य-संस्कृति वंचित-दलित और मेहनतकश जनता की परिवर्तनकारी क्रांतिकारी ताकत में यकीन का नाम है विजेंद्र अनिलसमकालीन जनमतNovember 4, 2024 by समकालीन जनमतNovember 4, 2024070 आरा। जनमित्र कार्यालय, पकड़ी में जन संस्कृति मंच की ओर से तीन नवंबर को जनगीतकार और कथाकार विजेंद्र अनिल के सत्रहवें स्मृति दिवस पर उनके...
कविता कुछ न होगा के विरुद्ध हैं चंद्रभूषण की कविताएँसमकालीन जनमतNovember 3, 2024November 3, 2024 by समकालीन जनमतNovember 3, 2024November 3, 20240133 प्रियम अंकित चंद्रभूषण की कविताएँ निरंतर जटिल होते समय में जनता के सहज सरोकारों के पक्ष में खड़ी होने वाली कविताएँ हैं। आज जब एक...
साहित्य-संस्कृति जसम के स्थापना दिवस पर लखनऊ में परिचर्चा और कविता पाठसमकालीन जनमतOctober 29, 2024October 29, 2024 by समकालीन जनमतOctober 29, 2024October 29, 2024084 लखनऊ। जन संस्कृति मंच के स्थापना दिवस के मौके पर 27 अक्टूबर को जंग और जुल्म के विरोध में परिचर्चा और कविता पाठ का आयोजन...
कविता संजय कुंदन की कविताएँ स्थगित प्रश्नकाल में ख़तरनाक सवाल की उपस्थिति हैं।उमा रागOctober 27, 2024October 27, 2024 by उमा रागOctober 27, 2024October 27, 20240187 अरुण आदित्य संजय कुंदन की कविताओं में गूंजती विविध आवाजों को सुनें तो लगता है कि शास्त्रीयता के बोझ से मुक्त यह कविता दरअसल कविता...