समकालीन जनमत

Category : पुस्तक

पुस्तक

अछरिया हमरा के भावेले

गोपाल प्रधान
पुस्तकालय केवल कोई इमारत नहीं होता बल्कि सम्पूर्ण सामाजिक ढांचा होता है। किताब में जो जानकारी कूटबद्ध होती है उसे हासिल करने के जरिए हम...
पुस्तक

विश्व पुस्तक दिवस: किताबें कुछ तो कहना चाहती हैं

अजय कुमार किताबें करती हैं बातें आज यानी 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाया जाता है। और जैसे ही कोई किताबों...
पुस्तक

फ़्रांस में फ़ासीवाद

गोपाल प्रधान
 2020 में ब्लूम्सबरी एकेडमिक से क्रिस मिलिंगटन की किताब ‘ए हिस्ट्री आफ़ फ़ासिज्म इन फ़्रान्स: फ़्राम द फ़र्स्ट वर्ल्ड वार टु द नेशनल फ़्रंट’ का...
पुस्तक

विनाशक पूंजीवाद

गोपाल प्रधान
2007 में मेट्रोपोलिटन बुक्स से नाओमी क्लीन की किताब ‘द शाक डाक्ट्रिन: द राइज आफ़ डिसास्टर कैपिटलिज्म ’ का प्रकाशन हुआ । नाओमी क्लीन ने...
पुस्तक

‘अस्थि फूल’: यात्रा एक अंधी सुरंग की

कैलाश बनवासी
 ‘अस्थि फूल ’ उपन्यास पूरा पढ़ लेने के बाद, बल्कि पूरा पढ़ने के दौरान,पृष्ठ-दर-पृष्ठ एक बात का तीव्र से तीव्रतर अहसास होता रहा कि इसे...
पुस्तक

‘ अनसुनी आवाज ’: एक जरूरी किताब

समकालीन जनमत
नगीना खान एक अच्छा लेखक वही होता है जो अपने वर्तमान समय से आगे की समस्यायों, घटनाओं को न केवल भांप लेता है बल्कि उसे...
पुस्तक

टिकटशुदा रुक्का – जातीय विभेद पर टिके उत्तराखंडी समाज का पाखण्ड

समकालीन जनमत
टिकटशुदा रुक्का :   जातीय विभेद पर टिके उत्तराखंडी समाज का पाखण्ड चन्द्रकला*   ‘नवारुण’ से प्रकाशित नवीन जोशी के नवीनतम उपन्यास ‘टिकटशुदा रुक्का’ को पढ़ते...
पुस्तक

प्रत्यंचा : एक राजा के लोकतांत्रिक प्रयोगों की अभूतपूर्व दास्तान

सुधीर सुमन
‘प्रत्यंचा’  छत्रपति शिवाजी महाराज की उत्तराधिकार परंपरा में कोल्हापुर के राजा बने छत्रपति शाहूजी महाराज की जीवन गाथा है जिसको हिंदी के चर्चित कथाकार संजीव...
पुस्तकसाहित्य-संस्कृति

फ़ासीवाद से लड़ाई की एक दास्तान

गोपाल प्रधान
2019 में रैंडम हाउस से कैरोलीन मूरहेड की किताब ‘ ए हाउस इन द माउनटेन्स : द वीमेन हू लिबरेटेड इटली फ़्राम फ़ासिज्म ’ का...
ख़बरपुस्तक

महिलाओं की आज़ादी पर पाबन्दियाँ उन्हें सुरक्षित नहीं असुरक्षित ही बनाती हैं : कविता कृष्णन

समकालीन जनमत
(भाकपा (माले) लिबरेशन की पोलित ब्यूरो की सदस्य और अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (AIPWA) की सचिव कविता कृष्णन की किताब ‘फीयरलेस फ्रीडम’ पर उनसे...
पुस्तक

मार्क्स लिखित ‘ पूंजी ’ की सीख

गोपाल प्रधान
 2020 में पालग्रेव मैकमिलन से मार्क सिल्वर के संपादन में ‘कनफ़्रंटिंग कैपिटलिज्म इन द 21स्ट सेन्चुरी: लेसन्स फ़्राम मार्क्स’ कैपिटल’ का प्रकाशन हुआ । संपादक...
ख़बरपुस्तक

जिस ख़ाक के ज़मीर में हो आतिश-ए-चिनार

इन्द्रेश मैखुरी
“ भारत हमारी मातृभूमि है और वह हमेशा रहेगी. यह हमारा कर्तव्य है कि हम  अपने देश की आज़ादी के संघर्ष के मोर्चे पर आगे...
ख़बरपुस्तक

फ़ासीवाद से लड़ाई

गोपाल प्रधान
(इस किताब को पढ़ते हुए लगातार महसूस होता रहा कि बात किसी अन्य देश की नहीं, अपने ही प्यारे भारत की हो रही है ।...
जनमतपुस्तक

स्त्री कविता: पहचान और द्वंद्व

समकालीन जनमत
डॉ. रेखा सेठी ने वर्तमान की जटिलताओं एवं अंतर्विरोधों को समझने के क्रम में स्त्री रचनाशीलता के विविध आयामों को व्याख्यायित एवं विश्लेषित करने का...
जनमतपुस्तक

स्त्री रचनाशीलता को समझने की एक कोशिश

समकालीन जनमत
रेखा सेठी स्त्री लेखन, स्त्री की चिंतनशील मनीषा के विकास का ही ग्राफ है जिससे सामाजिक इतिहास का मानचित्र गढ़ा जाता है और जेंडर तथा...
पुस्तकसाहित्य-संस्कृति

‘ मोदीनामा ’ : हिन्दुत्व का उन्माद

कौशल किशोर
  मोदी सरकार दूसरी बार सत्तासीन हुई है। पिछली बार की तुलना में उसका मत प्रतिशत बढ़ा है। उसकी सीटों में भी इजाफा हुआ है।...
पुस्तकसाहित्य-संस्कृति

‘ जनता का अर्थशास्त्र ’ : एक जरूरी किताब

कौशल किशोर
  भगवान स्वरूप कटियार की नयी किताब ‘जनता का अर्थशास्त्र’ ऐसे समय में आयी है जब देश आर्थिक मंदी की चपेट में है। विकास का...
पुस्तक

शैक्षणिक परिसरों की घेराबंदी: बोध-प्रतिरोध-आजादी 

समकालीन जनमत
गीतेश सिंह पीपल्स कमीशन ऑन शृंकिंग डेमोक्रेटिक स्पेस द्वारा भारत में शैक्षणिक संस्थानों पर हो रहे हमलों पर आयोजित जन अधिकरण की रिपोर्ट को किताब...
पुस्तक

एक परिवार, एक देश के हवाले से पूरी दुनिया की कहानी कहता खालिद हुसैनी का उपन्यास द काइट रनर

समकालीन जनमत
ममता सिंह पेंगुइन बुक्स से आये अद्भुत उपन्यास ‘द काइट रनर’ के लेखक ख़ालिद हुसैनी का जन्म अफगानिस्तान के काबुल शहर में हुआ था। 1980...
जनमतपुस्तक

मार्क्स और आधुनिक समाज

गोपाल प्रधान
2019 में मंथली रिव्यू प्रेस से माइकेल हाइनरिह की 2018 में छपी जर्मन किताब का अंग्रेजी अनुवाद ‘कार्ल मार्क्स ऐंड द बर्थ आफ़ माडर्न सोसाइटी:...
Fearlessly expressing peoples opinion