पुलिस और जेएनयू प्रशासन खामोश तमाशाई बना रहा, जेएनयू पहुंचे योगेन्द्र यादव पर भी हमला
घटना के विरोध में पुलिस मुख्यालय पर पूरी रात प्रदर्शन
नई दिल्ली। रविवार की शाम 100 से अधिक नकाबपोश हमलावरों ने सुनियोजित ढंग से जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में घुस कर छात्रो-शिक्षकों पर लाठी, डंडा, लोहे के राड व अन्य घातक हथियारों से हमला किया। इस बर्बर हमले में 30 से अधिक छात्र व शिक्षक घायल हुए हैं जिन्हें एम्स व अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया गया। हमले में जेएनयू की प्रोफेसर सुचारिता सेन और छात्र संघ की अध्यक्ष आईषी घोष का सिर फट गया और वे खून से लथपथ हो गई। दोनों की हालत गंभीर है। हमले के दौरान जेएनूय प्रशासन खामोश तमाशाई बना रहा और हमलावरों को संरक्षण देता रहा। जब हमलावार भाग गए तब पुलिस को कैम्पस में प्रवेश की अनुमति दी गई।
जेएनयू छात्रों व शिक्षकों पर हमले की खबर पर जेएनयू गेट पर पहुचे स्वराज पार्टी के योगेन्द्र यादव पर पुलिस व मीडिया की मौजूदगी में नारा लगा रही भीड़ ने हमला किया और उन्हें गिरा दिया। कुछ और लोगों के साथ भी मारपीट की गई। इस भीड़ ने घायल छात्रों-शिक्षकों को अस्पताल पहुंचाने के लिए आयी एम्बुलेंस को भी कैम्पस के अंदर जाने से रोका। कुछ पत्रकारों के साथ भी मारपीट की गई। वहां मौजूद पुलिस यह सब चुपचाप देखती रही और उसने कोई हस्तक्षेप नहीं किया।
इस घटना के विरोध में पुलिस मुख्यालय और जेएनयू गेट पर पूरी रात सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि जेएनयू के छात्रों व शिक्षकों पर हमला भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व उसके द्वारा बाहर से बुलाए गए गुंडों ने किया। हमले में दिल्ली पुलिस व जेएनयू प्रशासन की मिलीभगत थी।
बाहर से आए हथियारबंद गुंडे बहुत आसानी से जेएनयू कैम्पस में घुस गए और उन्होंने सबसे पहले गंगा ढाबा पर मौजूद छात्र-छात्राओं को निशाना बनाया। इसके बाद वे पेरियार हास्टल के पास पहुंचे जहां जेएनयू शिक्षक संघ की अगुवाई में शांति मार्च निकालने की तैयारी हो रही थी। हमलावारों ने वहां मौजूद लोगों को मारना-पीटना शुरू कर दिया। जान बचाने के लिए भागे छात्रों-शिक्षकों का पीछा कर उन पर हमला किया गया। जेएनयू के सात छात्रावासों में ये हमलावार घुस गए और बुरी तरह तोड़-फोड़ करते हुए छात्र-छात्राओं को मारते रहे। छात्राओं के कमरे में घुस कर उन पर हमला किया गया। शिक्षकांे के आवासों पर जाकर तोड़फोड़ की गई। हमलावार हाकी स्टिक, लोहे की राड, लाठी-डंडे से हमला कर रहे थे और वे सीधे सिर पर मार रहे थे। अधिकतर घायलों के सिर में गंभीर चोंटें आयीं है। कई लोगों के हाथ-पैर में फ्रैक्चर हुआ है।
इस हमले के दौरान आश्चर्यजनक तरीके से जेएनयू कैम्पस में मौजूद रहने वाले गार्ड गायब हो गए। शिक्षक और छात्र कंट्रोल रूम, रजिस्ट्रार व अन्य जिम्मेदारों को फोन करते रहे लेकिन किसी का फोन नहीं उठा। जेएनयू के वीसी व अन्य जिम्मेदार चुप बैठे रहे। पूरे तीन घंटे तक हमलावार कैम्पस में तांडव करते रहे। तीन घंटे बाद जेएनयू प्रशासन ने पुलिस को कैम्पस में आने की अनुमति दी। पुलिस ने कैम्पस में जाने के बाद फ्लैग मार्च जरूर किया लेकिन किसी भी हमलावार को पकड़ने का प्रयास नहीं किया।
ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं जिसमें साफ दिख रहा है कि लाठी-डंडे से लैस हमलावार आराम से पुलिस के संरक्षण में कैम्पस से बाहर निकल रहे हैं। ऐसे कई व्हाट्सअप चैट भी सोशल मीडिया में सामने लाए गए हैं जिससे पता लगता है कि यह हमला सुनियोजित था। कैम्पस के अंदर हमलावारों की सुरक्षा के लिए मुख्य गेट के पास 100 से अधिक लोग नारे लगाते हुए मौजूद थे। ये लोग पत्रकरों पर हमला कर रहे थे। स्वराज पार्टी के नेता योगेन्द्र यादव जब गेट पर पहुचे और गेट के अंदर मौजूद कुछ शिक्षकों से बातचीत करने की कोशिश की तो उन पर हमला किया गया। एक पुलिस अधिकारी ने भी उनको पीछे खींचा। हमले के बावजूद वह गेट पर डटे रहे। उन्होंने स्पष्ट आरोप लगाया कि हस हमले को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है।
जेएनयू गेट पर कई घंटे तक यह भीड़ मौजूद रही और उसने कई लोगों के साथ मारपीट की। एम्बुलेंस को कैम्पस के अंदर जाने से भी रोका गया।
जेएनयू छात्र-छात्राओं व शिक्षकों पर हमले की खबर मिलने के बाद रात नौ बजे बड़ी संख्या में लोग आईटीओ स्थित हेडक्वार्टर पहुंच गए और प्रदर्शन करने लगे। यह प्रदर्शन पूरी रात चला। यहां पर वामपंथी दलों, कांग्रेस सहित कुछ दलों के नेता भी पहुंचे।
देर रात घायल छात्र-छात्राओं व शिक्षकों से मिलने कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी भी पहुंची। यहां भी बड़ी संख्या में लोग जुटे थे और जेएनयू पर हमले के खिलाफ पुलिस व मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।
जेएनयू के छात्र-छात्राओं व शिक्षकों पर हमले के खिलाफ कल रात से ही जगह-जगह प्रदर्शन शुरू हो गए। यह सिलसिला आज भी जारी है।