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विश्वविद्यालय प्रशासन ने ही किया विश्वविद्यालय ठप

छात्रों को लड़वाया छात्रों से, पिटवाया पुलिस से
कुलपति समेत सभी अधिकारी लापता
शिक्षक संघ का अध्यक्ष ही बन बैठा है चीफ प्राक्टर
कल छात्रसंघ भवन से लेकर बालसन चौराहे तक छात्रों और पुलिस-प्रशासन-विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच जो टकराव हुआ, जिसमें सैकड़ों छात्र-छात्राएं, सपा सांसद धर्मेंद्र यादव समेत कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं, इससे बचा जा सकता था ।
लेकिन विश्वविद्यालय से लेकर प्रशासन और सरकार की अदूरदर्शिता ने इसे करवाने में कोई कोर कसर न छोड़ी ।
विश्वविद्यालय और छात्र संघ हमेशा से राजनीतिक रहे हैं और इन्हें होना भी चाहिए । इलाहाबाद का छात्र संघ आजादी के आंदोलन से लेकर समाजवादी और क्रांतिकारी वाम आंदोलन तक निरंतर इसका भागीदार बना है । ऐसे में किसी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष को रोकना दरअसल छात्रों को अराजनीतिक भीड़ बनाने की योजना ही होती है ।
प्रदर्शनकारियों और प्रशासन के बीच झड़प में दर्जनों हुए घायल
तत्काल घटे इस मामले में, जिसमें सपा अध्यक्ष को छात्र संघ के वार्षिकोत्सव में भाग लेने आना था, उनको विश्वविद्यालय की एक अविश्वसनीय सी एडवाइजरी कमिटी के निर्णय से रोक दिया गया । कहा गया कि कोई राजनैतिक व्यक्ति छात्र संघ के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले सकता और इस बावत जिला प्रशासन से भी सुरक्षा की मांग की गई और सपा अध्यक्ष को आने से रोकने के लिए कहा गया ।

 विश्वविद्यालय प्रशासन कितना गंभीर और चिंतित था कि कुलपति समेत रजिस्ट्रार और चीफ़ प्रॉक्टर भी शहर से बाहर या छुट्टी पर चले गए । कार्यवाहकों के हवाले विश्वविद्यालय कर दिया गया ।
स्थिति की भयावहता की गवाह तस्वीरें
लोग यह मान रहे हैं कि 2015 में जब अभी के मुख्यमंत्री और तब गोरखपुर से सांसद योगी जी को छात्र संघ के समारोह में आना था, जिसे रोक दिया गया था, उसके बदले में यह कार्यवाही है ।
लेकिन इन दोनों के चरित्र में अंतर है । तत्कालीन सांसद उस समय दंगे के आरोपी थे, मुकदमा कोर्ट में था और उस समय की छात्र संघ अध्यक्ष तथा आइसा, एसएफआई समेत तमाम वाम- लोकतांत्रिक छात्र एवं नागरिक संगठनों ने यह कहा कि हमारे छात्र संघ के कार्यक्रम का उद्घाटन कोई आरोपी नहीं करेगा ।
घायल सांसद धर्मेंद्र यादव
इस बार छात्र संघ के अध्यक्ष ने सपा अध्यक्ष को आमंत्रित किया तो एबीवीपी, जिसे छात्र हितों की कितनी परवाह है सभी जानते हैं, बी ए के एक छात्र की मौत के सवाल को उठाकर छात्रसंघ भवन पर अपने महामंत्री शिवम सिंह के साथ धरने पर बैठ गई ।यूनिवर्सिटी के यूनियन गेट पर तालाबंदी कर दी गई । जबकि उस छात्र की मौत के सवाल पर सभी वाम  छात्र संगठन लगातार आंदोलनरत थे ।
मैं 2015 की उस घटना का प्रत्यक्षदर्शी रहा हूँ, जब एबीवीपी के तत्कालीन छात्र संघ के महामंत्री के नेतृत्व में सीनेट हॉल गेट पर छात्र संघ अध्यक्ष समेत धरने पर बैठे आइसा और अन्य संगठनों के छात्र छात्राओं पर गुंडों ने हमला किया और पूरा पुलिस प्रशासन बाहर खड़ा तमाशा देखता रहा ।उस समय यही अधिकारी थे जो आज रजिस्ट्रार हैं और छुट्टी पर चले गए हैं, जिनका कहना था कि पुलिस को कैसे अंदर भेजें । विश्वविद्यालय के ये तत्कालीन अधिकारी खुद उस वक्त मौजूद थे । पुलिस प्रशासन कह रहा था कि हमें विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा अनुमति नहीं मिली है, अतः हम अंदर जाकर हस्तक्षेप नहीं कर सकते ।
सपा अध्यक्ष को विश्वविद्यालय आने से रोके जाने पर प्रदर्शन करते कार्यकर्ता
और जो कल घटा, पूरे विश्व विद्यालय को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया । वार्षिकोत्सव को संबोधित करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और सांसद धर्मेंद्र यादव के नेतृत्व में सांसद फूलपुर एवं सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं छात्र नेता सपा अध्यक्ष को लखनऊ में रोके जाने का विरोध करते हुए बालसन चौराहे पर गांधी प्रतिमा पर अनशन पर बैठने के लिए निकल पड़े । प्रशासन किसी कीमत पर उन्हें बैठने की इजाजत देने को तैयार नहीं था और छात्र सभा लौटने को तैयार नहीं थी । इसी कशमकश में दोनों पक्षों में तकरार बढ़ी  और स्थितियां अराजक हो गईं, जिन्हें तस्वीरों में आप देख सकते हैं ।
जिन परिस्थितियों में यह घटना घटी है उसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार है लेकिन जब राज्य के मुख्यमंत्री एक दिन पहले यह बयान दे रहे हों  कि सपा अध्यक्ष के इलाहाबाद विश्वविद्यालय जाने से छात्रों के दो गुटों में हिंसा भड़क सकती है ।क्या यह बयान उचित कहा जा सकता है ? इसके पीछे की मंशा क्या है उसका अंदाजा लगाना मुश्किल है ?क्या उन्हें 2015 में भी यह बात समझ में आई थी। विश्वविद्यालय बंद है,पढ़ाई ठप है, विश्वविद्यालय के आसपास के नागरिक, दुकानदार आशंकित हैं ।
 आइसा समेत कई छात्र एवं नागरिक संगठन  लोकतांत्रिक अधिकारों के इस दमन के खिलाफ आज विरोध जता रहे हैं, प्रदर्शन कर रहे हैं ।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी का भी बयान आया है और उन्होंने सपा अध्यक्ष को रोके जाने को साधु संतों का अपमान बताया है, क्योंकि सपा अध्यक्ष को दोपहर में बाघम्बरी गद्दी मठ में साधु संतों के साथ ही रहना था और उनका आशीर्वाद लेना था ।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि किसी को भी साधु संतों का आशीर्वाद लेने से नहीं रोका जा सकता है ।

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