प्रयागराज। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने कुलपति कार्यालय पर एकदिवसीय भूख हड़ताल सत्याग्रह कर कोविड संक्रमण काल मे परीक्षा कराये जाने का विरोध किया ।
भूख हड़ताल पर बैठे आइसा उत्तर प्रदेश के राज्य अध्यक्ष शैलेश पासवान ने कहा कि देश में 57 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित लोगों की मृत्यु हो चुकी है । भारत 3 मिलियन संक्रमित मरीजों के आंकड़ा पार कर चुका है । प्रयागराज में ही जहां इलाहाबाद विश्वविद्यालय स्थित है रोज औसतन 300 नए मरीज पाएं जा रहे हैं व 6 मरीजों की मृत्यु हो रही है । शहर के सभी मोहल्ले व देलीगेसियों के रास्ते व गालियां संक्रमण के कारण ब्लॉक होती जा रही हैं । सितम्बर का महीना आने वाले है जिसमें इन डेलीगेसियों के कमरों में बाढ़ का पानी भर जाता है । छात्रों को हास्टलों और देलीगेसियों से विश्व विद्यालय प्रसाशन ने महीनों पहले ही घर खदेड़ दिया है । ऐसी भयावह स्थिति में यूजीसी, एनटीए , सीबीएसई व अन्य परीक्षा संस्थानों द्वारा परीक्षा कराया जाना छात्र, अभिभावकों व कर्मचारियों को मौत के मुंह में धकेलने जैसा है ।
उन्होंने कहा कि यदि मोदी सरकार थोड़ा भी अपने “जान है तो जहान हैं” नारे के साथ ईमानदार है तो छात्रों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए एनटीए द्वारा आयोजित यूजीसी-नेट, जेईई-नीट, डीयू एंट्रेंस टेस्ट, जेएनयू एंट्रेंस एग्जाम समेत एनडीए-क्लेट अन्य परीक्षाओं की तिथियों को स्थगित करे।
आइसा के भूख हड़ताल सत्याग्रह को लिखित रूप में समर्थन देते हुए सीएमपी डिग्री कॉलेज स्टूडेंट्स कॉउन्सिल के अध्यक्ष करन सिंह परिहार ने आइसा छात्रों के जान की सुरक्षा के लिए वास्तविक संघर्ष कर रहा है । मुख्य धारा के राजनीतिक दलों के एजेंडे में छात्रों का भविष्य , सम्मानजनक रोजगार व शिक्षा है ही नहीं । जब भाजपा सरकार नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा को बर्बाद करने पर तुली है तो इसको वापस कराने व रोजगार की मांग करने के बजाय ये पार्टियां हिन्दू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद, राम-परशुराम के मुद्दे में बहस कर रहीं हैं । जिनके लिए गरीबी-भुखमरी मुद्दा नहीं हैं । लिहाजा छात्रों को सड़क पर उतरकर खुद का जीवन व भविष्य बचाने के संघर्ष के सिवा कोई अन्य रास्ता नहीं बचा है । इस मौके पर इविवि की छात्र नेत्री नेहा यादव, एनएसयूआई के इकाई अध्यक्ष सत्यम कुशवाहा आदि ने भी समर्थन दिया। भूख हड़ताल सत्याग्रह में आइसा के अनिरुद्ध शर्मा, प्रदीप ओबामा, उमेश कुमार, आबिद समेत अन्य छात्र शामिल रहे ।
कुलपति को ईमेल से ज्ञापन भेज कर आइसा ने मांग की कि –
1.) छात्रों की जान जोखिम में नहीं डाला जाए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रथम, द्वितीय व अंतिम वर्ष /सेमेस्टर के छत्रों की लरीक्षा रदद् कर उन्हें अगली कक्षा में प्रोन्नत किया जाए ।
2.) जब तक हॉस्टल खुल नहीं जाते , शहर की स्थिति और अंतरनगरीय परिवहन व्यवस्था सामान्य नहीं हो जाते तब प्रवेश परीक्षा की तिथियां स्थगित की जाएं ।
3.) फीस देने के बाद भी लॉकडाउन में छात्रों को हॉस्टल से निकाल दिया गया, वह हॉस्टल में तो रह नहीं पाया लिहाज उनकी इस फीस को आगामी सत्र 2020-2021 में समायोजित कर इस वर्ष की फीस माफ किया जाए ।