वाराणसी। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) का 9वां राज्य सम्मेलन रानी लक्ष्मीबाई एवम सुशीला सामद हॉल सुंदरपुर, ककर्मत्ता, वाराणसी में सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख मंच पर आयोजित हुआ।
सम्मेलन में लखनऊ, गोरखपुर, सीतापुर,लखीमपुर, कानपुर, इलाहाबाद ,बलिया, मऊ ,देवरिया, गाजीपुर, वाराणसी समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों से आई हुई महिला प्रतिनिधि ने हिस्सा लिया।
सम्मेलन की शुरुआत ऐपवा आंदोलन की शहीद महिलाओं को श्रद्धांजलि दी गई।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी, प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी, जनमत पत्रिका के संपादक रामजी राय, दिल्ली से आई विशिष्ट अतिथि ‘मूकनायक’ पत्रिका की संपादक मीना कोटवाल, प्रलेस की जिला सचिव एवम आर्य महिला डिग्री कॉलेज की प्रो. वंदना चौबे, गांधी स्टडी सेंटर से मुनीजा रफ़ी खान, एलआईसी, मंडल कार्यालय से रेणुका, सर्वसेवासंघ से जागृति राही, मार्क्सवादी विचारक वी के सिंह ने संबोधित किया।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा की बहुत हुआ महिलाओं पर वार, अबकी बार मोदी सरकार का नारा देकर सत्ता में आयी मोदी सरकार की नीति पूरी तरह से अपने नारे के खिलाफ रही है।आज नारा बदल गया है ‘जब से आयी मोदी सरकार महिलाओं पर वार ही वार ‘ हो रहा है। उन्होंने कहा कि ये सरकार बेटियों को बचाने का नारा देती है और बलात्कारियों को बचाने में लगी रहती है। मणिपुर में कुकी महिलाओं पर हुए अत्याचार और महिला पहलवानों के आंदोलन की बात करते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं पर अत्याचार और उनको नंगा करना, घुमाना और बलात्कार करना नई घटना नहीं है। यह दुःखद और गलत है। इसमें सबसे बड़ी, खतरनाक व शर्म की बात है वो है प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी। उन्होंने कहा कि बेटियों को बचाना है तो भाजपा को हटाना होगा।
उन्होंने कहा की मोदी जी महिलाओं को परिवार मानकर उपहार स्वरूप गैस सिलेंडर का दाम 200 रुपए कम कर हितैषी होने का दिखावा कर रहे हैं। जबकि महिलाओं को उपहार नहीं हिस्सा चाहिए। एक देश में कुछ लोग है जिनको एक महीने की सैलरी लाखों लाख रुपए मिलते हैं जबकि बड़ी आबादी को हजार दो हजार रूपए भी नहीं मिलते। आशा,आंगनबाड़ी, रसोईयां वर्कर व पूरी ग्रामीण आबादी इसका उदाहरण है। जिनको बहुत कम पैसे में ही काम करना पड़ता है। देश में आजादी के 75साल पूरा होने पर अमृत काल का नाम दिया गया है लेकिन गैर बराबरी कम होने के बजाय लगातार तेजी से बढ़ रही है। अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब और गरीब होते जा रहे हैं इसके लिए सरकार की जन विरोधी नीति है।
महिलाओं के हित में प्रचार करते हुए कानून में बदलाव किया जा रहा है लेकिन यह बदलाव महिलाओं को गुलाम बनाने की नीति का हिस्सा है। रोजगार,स्वास्थ्य,शिक्षा पर तेजी से हमला बढ़ रहा है। इसके लिए कार्पोरेट परस्त जन विरोधी मोदी नीति जिम्मेदार है। दुनिया की सबसे अमीर पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा पैसे का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार देने पर नहीं खर्च करना चाहती बल्कि पैसे का उपयोग विधायकों,सांसदों व मीडिया को खरीदने में लगाती है।
आज देश का लोकतंत्र व संविधान खतरे में है। हमारा भविष्य खतरे में है। हमें अपने हक के लिए लड़ना होगा।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए दिल्ली से आयी मूकनायक पत्रिका की संपादक मीना कोटवाल ने कहा कि डॉ बाबा साहब के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने मूकनायक पत्रिका को फिर से शुरु किया। महिलाओं की आवाज को वैसे ही दबाया जाता है। अगर आप दलित,आदिवासी समाज से आते है तो आपकी आवाज पूरी तरह दबा दी जाएगी। मेन स्ट्रीम मीडिया में हमारी बात नहीं आती इसलिए हमारी मीडिया जरूरी है। उन्होंने सावित्री बाई फुले व फातिमा शेख को याद करते हुए बताया कि जिसने शिक्षा के लिए पहला स्कूल खोला उनको भी हम सब नहीं जानते। समाज को बदलने के लिए काम करना है तो गाली सुननी पड़ेगी। इस तरह के लोगों को अपने काम से जवाब देना होगा। आज मूकनायक के काम की चर्चा देश में ही नहीं विदेशों में भी हो रहा है। इसको एक महिला नेतृत्व कर रही है जिसमें सभी लोग शामिल हैं।
गांधी स्टडी सेंटर बीएचयू की मुनीजा रफ़ी खान ने कहा कि विकास के नाम पर पूंजीपतियों को मुनाफा पहुंचाने के लिए संस्थाओं को बुल्डोजर लगाकर गिरा दे रहे हैं। सर्वसेवा संघ को बिना किसी आर्डर के ही गिरा दिया, इसी तरह से गरीबों का भी मकान गिरा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का विरोध करने वाले लोगों को देशद्रोही बताया जा रहा है। संविधान व लोकतंत्र बचाने के लिए सबको आगे आना होगा।
सर्वसेवासंघ से जागृति राही ने कहा की जी 20 में लगा 27 करोड़ का टेंट ढह गया। ये सरकार जनता पैसे को प्रचार प्रसार में खर्च कर रही है। ये सरकार जनता की वोट को भी लूट रही है। हमे अपने बूथ पर हराने का जिम्मा लेंगे और इस सरकार को 2024 में हराकर सत्ता से बाहर कर देंगे। सर्वसेवा संघ को ध्वस्त कर करोड़ों की किताबें सड़ा रहे है।इनको पढ़ने, लिखने व किताबों से कोई मतलब नहीं है।
भारतीय जीवन बीमा निगम की रेणुका ने कहा कि निजीकरण व छंटनी की तलवार सबसे पहले महिलाओं पर ही पड़ती है इसीलिए सबसे पहले और सबसे आगे महिलाओं को ही लड़ना है।
प्रलेस की जिला सचिव व आर्य महिला डिग्री कॉलेज की प्रो. वंदना चौबे ने कहा कि हम लोगों को एक दूसरे से मिलकर अपने हक की लड़ाई व्यापक व तेज करना होगा।
ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने उत्तर प्रदेश में अतिथियों को धन्यवाद दिया। संचालन ऐपवा की राज्य सचिव कुसुम वर्मा ने किया।
सम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत ऐपवा यंग गर्ल्स द्वारा ग्रुप डांस की प्रस्तुति दी गई जिसका निर्देशन ऐपवा जिला उपाध्यक्ष विभा प्रभाकर ने किया। इसके अतिरिक्त प्रंजना महंती द्वारा एकल नाटक, सुतपा गुप्ता द्वारा एकल नृत्य, विभा वाही और साथियों द्वारा जनवादी गीत, डी पी सोनी और यौदेश बेमिसाल द्वारा क्रांतिकारी गीत की प्रस्तुति दी गई।
सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन जिला सहसचिव सुजाता भट्टाचार्य ने किया।
सांगठनिक सत्र में प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा द्वारा ऐपवा के तीन साल की कामकाज का मसौदा दस्तावेज पढ़ा गाया जिस पर 18 प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी। सांगठनिक सत्र के अध्यक्ष मंडल में प्रदेश विद्या रजवार, उपाध्यक्ष आरती रॉय, गीता पांडे, कमला गौतम, रेखा पासवान, मुन्नी गौंड एवम स्मिता बागड़े शामिल रहे।
9 वें राज्य सम्मेलन से 40 सदस्यीय कौंसिल और 19 सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन किया गया । कृष्णा अधिकारी को प्रदेश अध्यक्ष और कुसुम वर्मा को प्रदेश सचिव चुना गया।