समकालीन जनमत

Month : December 2024

कविता

माया मिश्रा की कविताओं में कभी न ख़त्म होने वाली उम्मीद का एक शिखर है

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गुंजन श्रीवास्तव माया मिश्रा जी की कविताओं को पढ़कर एक बात तो साफ़ कही जा सकती है कि यह एक कवि के परिपक्व अनुभव से...
कविता

हरे प्रकाश उपाध्याय की कविताएँ तनी हुई मुट्ठी की तरह ऊपर उठती हैं।

समकालीन जनमत
चित्रा पंवार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना कविता के विषय में कहते हैं– ‘कविता अगर मेरी धमनियों में जलती है पर शब्दों में नहीं ढल पाती मुझे...
कविता

दुनिया में ताक़त के खेल को समझने की कोशिश है अरुणाभ सौरभ की कविताएँ

समकालीन जनमत
बीते शनिवार को प्रभाकर प्रकाशन में अरुणाभ सौरभ के काव्य-संग्रह ‘मेरी दुनिया के ईश्वर’ के तीसरे संस्करण का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर एक परिचर्चा...
कविता

रचित की कविताएँ यथास्थिति को बदलने के लिए बेचैन हैं

समकालीन जनमत
जावेद आलम ख़ान रचित की कविताओं में गुस्सैल प्रेमी रहता है ऐसा नायक जो यथार्थ को नंगा नहीं करता, बड़े सलीके से परोसता है जिसकी...
ख़बर

बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर महापरिनिर्वाण दिवस समारोह

समकालीन जनमत
8 दिसंबर 2024 दिन रविवार को बरामदपुर गांव (सुल्तानपुर) में डॉ. अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस समारोह के उपलक्ष्य में संविधान के मूल्यों को बनाए और...
साहित्य-संस्कृति

स्वयं प्रकाश के साहित्य में बहुत गहराई से सामने आती है विभाजन की त्रासदी – प्रो. गोपाल प्रधान

नई दिल्ली। देश की स्वतंत्रता के साथ ही विभाजन की त्रासदी जुड़ी हुई है और जो बहुत अधिक गहरी है। इस त्रासदी को स्वयं प्रकाश जैसे...
कविता

ग्रेस कुजूर की कविताओं में नष्ट होती प्रकृति का दर्द झलकता है।

समकालीन जनमत
प्रज्ञा गुप्ता प्रकृति का सानिध्य किसे प्रिय नहीं। प्रकृति के सानिध्य में ही मनुष्य ने मनुष्यता सीखी; प्रकृति एवं जीवन के प्रश्नों ने ही मनुष्य...
साहित्य-संस्कृति

हेमंत कुमार की नयी कहानी ‘वारिस’

समकालीन जनमत
(हेमंत की कहानियां अपने समय के यथार्थ को बेहद संवेदनशील तरीके से चित्रित करती हैं और पाठक को सोचने को विवश करती हैं। पढ़िए हेमंत...
शख्सियत

याद ए मकबूल जायसी का आयोजन : चर्चा और ग़ज़ल संध्या 

समकालीन जनमत
  ‘मकबूल जायसी की शायरी हिंदुस्तानियत और इंसानियत से सराबोर’  ‘अब ये गजलें मिजाज बदलेंगी‘ लखनऊ। जन संस्कृति मंच (जसम) की ओर से ‘याद ए...
कविता

हूबनाथ पांडेय ने अपनी कविताओं में व्यवस्था की निर्लज्जता को बेनक़ाब किया है

उमा राग
मेहजबीं हूबनाथ पांडेय जी जनसरोकार से जुड़े हुए कवि हैं। उनकी अभिव्यक्ति के केन्द्र में व्यवस्था का शोषण तंत्र है, प्रशासन द्वारा परोसा जा रहा...
साहित्य-संस्कृति

वीरेनियत-6: कला और साहित्य का अद्भुत संगम

समकालीन जनमत
नई दिल्ली। दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर के गुलमोहर हॉल में जन संस्कृति मंच द्वारा 15 नवम्बर को कवि वीरेन डंगवाल की स्मृति में आयोजित ...
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